श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में सीतामऊ नगर बंद कर रैली निकाल कर देंगा ज्ञापन जैन समाज

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सीतामऊ।जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ‘आदिनाथ’ अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अत: भगवान पार्श्वनाथ की टोंक की यहाँ विशेष मान्यता है।
झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने के सरकार के कदम का देशभर में जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। 20 तीथर्ंकरों की ‘निर्वाण’ (मोक्ष) भूमि होने के कारण यह उनके लिए पूजनीय क्षेत्र है। जैन समाज का कहना है कि अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया तो इस पूजा स्थल की पवित्रता भंग हो जाएगी। वहां मांसाहार और शराब सेवन जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे ‘अहिंसक’ जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
जैन समाज जनों ने बताया कि झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में भारत बंद के समर्थन में सीतामऊ नगर व क्षेत्र में अपना व्यवसाय बंद रखकर पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल के माध्यम से अपवित्र होने से बचाने में सहयोग कि अपील की। वही कल 21दिसंबर 2022 बुधवार को जैन समाज के द्वारा दोपहर 1.30 बजे नगर के महावीर चौक से फैसले के विरोध में रैली निकाल कर प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर सरकार से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की जायेगी।