मारपीट कर फसल में आग लगाने के आरोपी को तीन वर्षों के कठोर कारावास ओर जुर्माने की सजा
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राजगढ़। जिला न्यायालय राजगढ़ में पदस्थ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रत्नेश चन्द्र सिंह बिसेन द्वारा पुलिस थाना कालीपीठ के एक आपराधिक प्रकरण में फैसला सुनाते हुयेें आरोपी प्रेमसिंह पिता गंगाराम तंवर निवासी ग्राम बाँकपुरा थाना कालीपीठ जिला राजगढ़ को धारा 435 भा.द.वि. में तीन वर्षों के कठोर कारावास तथा धारा 324 भा.द.वि में एक वर्ष के कठोर कारावास के साथ ही 5000 रुपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
घटना की जानकारी देते हुए प्रकरण में राज्य सरकार की और से पैरवी कर रहे लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा नें बताया कि घटना 09.11.2018 की होकर फरियादी मोहनसिंह तंवर निवासी बांकपुरा ने सिविल अस्पताल राजगढ़ में पुलिस को इस आशय की देहाती नॉलसी लेखबद्ध करवाई कि दोपहर 12:00 बजे वह उसकी पत्नी के साथ खेत पर कटी हुई मक्का की फसल की रखवाली करने गया था पास ही उसके भाई प्रेमसिंह का खेत भी है। आरोपी प्रेमसिंह ओर उसकी पत्नी संतरीबाई उस समय खेत पर ही थे तभी आरोपी प्रेमसिंह नें जमीन नाम पर करवाने की बात पर फ़रियादी मोहनसिंह को गंदी गालियां देकर मारने तथा फसल में आग लगाने की धमकी दी। फ़रियादी प्रेमसिंह ने आरोपी को गालियां देने से मना किया तो आरोपी प्रेमसिंह द्वारा फ़रियादी मोहनसिंह के सिर पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया जिससे फ़रियादी को सिर में चोंट लगी तथा संतरीबाई ने भी फ़रियादी के साथ डंडे से मारपीट की। फ़रियादी की रिपोर्ट पर से पुलिस द्वारा आरोपी प्रेमसिंह और उसकी पत्नी संतरीबाई के विरुद्ध धारा 435,384,294,323,324,506 भादवि का आपराधिक प्रकरण दर्ज कर आरोपीगणों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया गया।
प्रकरण में अभियोजन की ओर से घटना के स्वयं फ़रियादी मोहनसिंह और उसकी पत्नी राजूबाई जो घटना की प्रत्यक्षदर्शी साक्षी है के कथन न्यायालय में करवाये गए तथा चिकित्सक साक्षी डॉ. राजेन्द्र कटारिया जिन्होंने आहत का मेडिकल उपचार किया एवं पुलिस साक्षीगण जिन्होंने प्रकरण में कार्यवाही कर विवेचना की उनके कथन भी माननीय विचारण न्यायालय में करवाये गए।
न्यायालय द्वारा समस्त साक्षीगण के कथन और लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा के तर्कों के आधार पर आरोपी प्रेमसिंह को धारा 435 आई.पी.सी में तीन वर्ष और धारा 324 आई.पी.सी में एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा ओर 5000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है। प्रकरण में फ़रियादी ओर आरोपीगणों के बीच राजीनामा हो जाने से आरोपी संतरीबाई के विरुद्ध लगाई गई धाराएं राजीनामा योग्य होने के कारण संतरीबाई को न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया है।