मध्य प्रदेश में 5 लाख कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन, बाबू बन जाएंगे अधिकारी

मध्य प्रदेश में 5 लाख कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन, बाबू बन जाएंगे अधिकारी
भोपाल। मध्य प्रदेश के 4 लाख 75 हजार से अधिक कर्मचारी लंबे समय से अपनी पदोन्नति की राह देख रहे हैं अब उनका इंतजार खत्म होने जा रही है। जानकारी के अनुसार, सीएम मोहन यादव की अगुवाई वाली सरकार इस संबंध में तेजी से काम कर रही है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश को संज्ञान में लेकर प्रमोशन का कार्य किया जा रहा है।
मोहन सरकार की बड़ी पहल
राज्य के लाखों ऐसे कर्मचारी हैं जो कई सालों से एक ही पद पर काम कर रहे हैं। इसमें मुख्य तौर पर पटवारी, शिक्षक, स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी सहित कई कर्मचारी शामिल हैं सभी कर्मचारी कई सालों से योग्यतानुसार प्रमोशन की मांग कर रहे थे अब सरकार ने पदोन्नति के कामों में तेजी दिखाई है। कर्मचारियों का प्रमोशन वर्टिकल रिजर्वेशन के आधार पर किया जाएगा वहीं, यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों पर भी आधारित है
इन कर्मचारियों की होगी पदोन्नति:
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा, पूर्व के गलत नियमों से कई कर्मचारियों की पदोन्नति हो चुकी है, कई ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी दो या उससे अधिक बार पदोन्नति हो चुकी है। वर्तमान में उन्हें पदोन्नति नहीं किया जा सकता, जिन्हें हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार पदोन्नत किया जाना है अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी के अतिरिक्त आरक्षित वर्ग के जो कर्मचारी सीधी भर्ती से प्रथम पद पर हैं, उन्हें छोड़कर किसी की पदोन्नति नहीं की जा सकती है।
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की प्रमोशन प्रक्रिया बीते 9 सालों से रुकी हुई है। इस दौरान 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। क्योंकि 2002 में सरकार ने प्रमोशन का नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था जिसके चलते केवल आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन मिला जिसके बाद कोर्ट में चुनौती देते हुए प्रमोशन में आरक्षण हटाने की मांग की गई कोर्ट ने राज्य सरकार को कर्मचारियों के प्रमोशन को स्थगित करने की बात कही थी इसके बाद से यह मामला रुका हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णयों में दिए निर्देश:
सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष केएस तोमर ने कहा, पदोन्नति में आरक्षण में क्रीमी लेयर को पृथक करने का प्रावधान किया जाना चाहिए यह सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णय में निर्देश दिए गए हैं। क्रीमी लेयर को अलग किए बगैर पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा, तो यह गलत होगा सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णय की अवमानना होगी।
मोहन यादव सरकार के इस कदम को साल 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव और आगामी निकाय चुनाव के मद्देनजर अहम माना जा रहा है किसी भी सरकार के लिए कर्मचारियों की नाराजगी चिंता का सबब बन सकती है ऐसे में मोहन यादव के द्वारा उठाए गए कदम को कर्मचारियों को साधने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।