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उदयपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,हथियारों के सौदागर, मध्यप्रदेश दो आरोपी गिरफ्तार

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उदयपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,हथियारों के सौदागर, मध्यप्रदेश दो आरोपी गिरफ्तार

उदयपुर। उदयपुर शहर की सड़कें ठंडी हवा और सन्नाटे की चादर में लिपटी थीं। लेकिन इस खामोशी के बीच एटीएस यूनिट और सुखेर थाने की पुलिस टीम के लिए यह रात आम नहीं थी। शहर के अंधेरे में कुछ ऐसा छिपा था, जो उनके होश उड़ा सकता था। एक गुप्त सूचना ने पुलिस बल को अलर्ट कर दिया था। मध्यप्रदेश से आए संदिग्ध हथियार तस्कर शहर में घुस चुके थे।

जिला पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल के नेतृत्व में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महावीर सिंह राणावत ने तुरंत अपनी टीम को कार्रवाई के लिए तैयार किया। यह कोई छोटा मामला नहीं था। तस्करों का यह नेटवर्क सिर्फ इंटरस्टेट नहीं, बल्कि संभवतः अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ था। इन तस्करों की चपलता और नेटवर्क की गहराई ने उन्हें पहले भी कानून की पकड़ से बचा लिया था।

सूचना देने वाले एटीएस यूनिट के सिपाही मोहम्मद सलीम ने बताया कि संदिग्धों को स्कूटी पर शहर में घूमते हुए देखा गया है। जैसे ही यह खबर टीम तक पहुंची, सभी सतर्क हो गए। हिमांशु सिंह, थानाधिकारी सुखेर, ने नाकाबंदी की योजना तैयार की और संदिग्धों को दबोचने का प्लान बनाया।

सुखेर रोड पर एक संदिग्ध युवक को रोका गया। उसकी स्कूटी पर तलाशी ली गई, तो वहां से 5 पिस्टल, 6 मैगजीन और 8 जिंदा कारतूस बरामद हुए। युवक ने खुद को तोसीफ खान बताया। उसकी घबराई हुई आंखों और पसीने से तर-बतर चेहरे से साफ था कि उसके पास छिपाने को बहुत कुछ है।

तौसीफ की जानकारी पर पुलिस भैरवगढ़ रोड के एक ढाबे पर पहुंची। यहां एक और संदिग्ध, ऐजाज खां, पुलिस को देखकर भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन टीम की तेज निगाहों और पक्के इरादों ने उसे ज्यादा दूर नहीं जाने दिया। ऐजाज के थैले की तलाशी ली गई, तो उसमें से 4 पिस्टल, 11 मैगजीन और 5 जिंदा कारतूस बरामद हुए।

दोनों तस्करों से बरामद हथियारों की कुल संख्या 9 पिस्टल, 13 जिंदा कारतूस और 8 खाली मैगजीन थी। पूछताछ में तोसीफ और ऐजाज ने कबूल किया कि वे लंबे समय से इस अवैध धंधे में शामिल हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उदयपुर उनके नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

उन्होंने कई और नाम उजागर किए, जिनकी तलाश में पुलिस की जांच और तेज हो गई। यह गिरफ्तारी महज एक शुरुआत थी। एटीएस और पुलिस टीम के सामने अब पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की चुनौती थी।

इस ऑपरेशन में मोहम्मद सलीम का योगदान अहम था। उनकी सूचना ने पुलिस को इस गहरी साजिश तक पहुंचाया। टीम के अन्य सदस्यों—हिमांशु सिंह, सुनील बिश्नोई, भानु प्रताप, और दानिश खान—ने भी इस ऑपरेशन में जान लगा दी।

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