आलेख/ विचार

शब्दों की धार और विचारों की आग कभी ठंडी नहीं होना चाहिए -रमेशचन्द्र चन्द्रे

प्रेस दिवस पर विशेष- शब्दों की धार और विचारों की आग कभी ठंडी नहीं होना चाहिए -रमेशचन्द्र चन्द्रे
प्रशंसा ,भय और लालच, अच्छी और सच्ची पत्रकारिता को खा जाते है
एक संघर्षशील पत्रकार का जीवन का मार्ग सदैव कंटकाकीर्ण रहता है क्योंकि जब वह सिद्धांतों एवं समाज के आदर्शों की रक्षा के लिए लिखता है  जब जब  वह सत्ता के भ्रष्ट नेताओं और दलालों के विरुद्ध लिखता है तब संसार का सिरमौर पत्रकार बन जाता है किंतु जब सत्ता के गलियारों और उद्योगपतियों के द्वारो से अखबार, पत्रकार और पत्रकारिता के लिए प्रशंसा, भय और लालच  के स्वर आने लगते हैं तब पत्रकारिता की तेज धार बोठी होने लगती है और उसके शब्दों की ताकत धीरे- धीरे समाप्त होने लग जाती है क्योंकि इस प्रकार के स्वर अच्छी और स्वच्छ  एवं उच्च स्तरीय तथा क्रांतिकारी पत्रकारिता को खा जाते है।
पर पत्रकारिता के जगत में पत्रकारिता के लिए इस प्रकार के आदर्श भी प्रस्तुत किये है गये हैं कि- पत्रकारिता को आसानी से ना तो कोई खा सकता था और ना हीं पचा सकता था क्योंकि उस पत्रकारिता में वह आग होती थी जो भ्रष्टाचार , तानाशाही और अन्याय सभी को भस्म कर सकती थी, किंतु आज के समय में अनेक पत्रकार तथा अखबार, सत्ता और उद्योगपतियों की कृपा अथवा उनके पोषण की छत्रछाया में छपते- पलते एवं चलते हैं इसलिए उनके शब्दों की चिंगारी ठंडी हो जाती है। इसलिए ना वो खुद जल सकती है और ना ही दूसरों को जला सकती है।
वैसे तो प्रोत्साहित करना, आत्म सम्मान और आत्मविश्वास पैदा करने वाला होता है लेकिन जब यही तारीफ सत्ता के दलालों की तरफ से आती है तो पत्रकारिता से जुड़े हुए लोगों को उसे हमेशा संदेह की नजर से देखना चाहिए क्योंकि आपने यदि उन्हें महत्त्व दिया तो , ष्आपको क्या लिखना है और क्या नहीं लिखना हैष् वे तय करेंगे तथा इनके द्वारा दी जाने वाली अवांछनीय सलाह और सुविधाएं आप पर धीरे-धीरे हावी होने लगेगी। आप उनके कब गुलाम हो जाएंगे आपको पता ही नहीं चलेगा।
देश में जब अंग्रेजों का शासन था तब उनके विरुद्ध बोलना तथा उनके ही खिलाफ छापना साक्षात मृत्यु को निमंत्रण देने जैसा होता था किंतु उस समय के साहसी और सिद्धांतिक विचारों वाले पत्रकार परिणामों की चिंता किए बगैर अपनी बात पूरी दृढ़ता के साथ लिखते थे। उस समय के अनेक पत्रकार रहे हैं जो पत्रकारिता का प्रकाश स्तंभ है और आज भी वे पत्रकारिता का एक आदर्श पैमाना माने जाते हैं।
आओ प्रेस दिवस पर संकल्प करें निष्पक्ष तथा साहसी पत्रकारिता को आगे बढ़ाएंगे तथा अच्छे पत्रकारों को स्थापित करेंगे। प्रेस दिवस पर बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

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