पर्यावरण के साथ-साथ प्राणदायिनी ऑक्सीजन भी देता है पेड़, जैसे माँ देती है स्नेह बिना किसी स्वार्थ के: जिला जज
_”एक पेड़ माँ के नाम” मुहिम का शुभारंभ: पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम_
बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता
औरंगाबाद:–बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार और पटना उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने “एक पेड़ माँ के नाम” मुहिम की शुरुआत की है। इस महत्वपूर्ण अभियान का शुभारंभ जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष और जिला जज श्री राजकुमार-1 द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश श्री सत्य भूषण आर्या, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम श्री पंकज मिश्रा, तथा अन्य न्यायिक अधिकारी भी उपस्थित थे। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री सुकुल राम भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
अभियान की शुरुआत वृक्षारोपण कार्यक्रम से हुई, जिसमें जिला जज और अन्य अधिकारियों ने मिलकर पेड़ लगाए। इस अवसर पर जिला जज ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हर व्यक्ति का नैतिक दायित्व है। उन्होंने बताया, “पर्यावरण और जीवन का आपस में गहरा संबंध है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान हमें याद दिलाता है कि हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। जिस प्रकार माँ अपने बच्चों की बिना स्वार्थ के देखभाल करती है, उसी तरह पेड़ भी हमें निःशुल्क प्राणदायिनी ऑक्सीजन और अन्य लाभ देते हैं।”
जिला जज ने यह भी कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा लगाए गए पेड़ों के कारण आज हमें हरियाली और स्वस्थ वातावरण मिल रहा है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएं और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, वर्षा की कमी, भूजल स्तर का गिरना और गर्मी में बढ़ोतरी जैसी समस्याओं का उल्लेख किया, जो सीधे-सीधे पर्यावरण से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री सुकुल राम ने भी इस अवसर पर संबोधित किया और कहा कि वृक्षारोपण से पर्यावरण स्वच्छ रहता है और इससे लोगों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। उन्होंने कोरोना महामारी का उदाहरण देते हुए बताया कि ऑक्सीजन की कमी से निपटने का एक स्थायी समाधान अधिक से अधिक वृक्षारोपण है।
“एक पेड़ माँ के नाम” मुहिम के अंतर्गत पूरे जिले में वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सभी लोगों से अपील की गई है कि वे इन पेड़ों की देखभाल उसी तरह करें जैसे वे अपनी माँ की देखभाल करते हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ समाज को यह संदेश देना है कि हमें अपने जीवन और प्रकृति के संबंध को समझते हुए उसे संवारना चाहिए।