महाराज अग्रसेन जयंती 3 अक्टुबर पर विशेष- समाजवाद के अग्रगण्य महाराज अग्रसेन

महाराज अग्रसेन जयंती 3 अक्टुबर पर विशेष- समाजवाद के अग्रगण्य महाराज अग्रसेन
-मुकेश पार्टनर, सहसचिव
अग्रवाल समाज नीमच,
9302 066885
एक संपूर्ण समाजवादी साम्राज्य की स्थापना करके सूर्यवंशी महाराज अग्रसेन ने विश्व समुदाय के समक्ष एक नया आदर्श प्रस्तुत किया था, उन्होंने सब संपत्ति समाज की इस मान्यता को प्रस्तावित किया समाजवाद की इस नई अवधारणा का सूत्रपात करने के कारण महाराजा अग्रसेन श्री विष्णु अग्रसेन की संज्ञा से विभूषित किए गए । आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रथम को जन्मे महाराज अग्रसेन की जयंती पर मुकेश पार्टनर का आलेख….
महाराजा अग्रसेन भारतीय इतिहास के महानतम नायकों में से एक माने जाते हैं। नाम भारतीय समाज में व्यापार और उद्यमिता के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है। महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग 5200 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में हुआ था। वे सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा वल्लभ के वंशज थे और उनके परिवार में वीरता, धर्म, और न्याय का बहुत महत्व था।महाराजा अग्रसेन का जन्म महाभारत काल में हुआ माना जाता है। वे प्रतापनगर के राजा थे और उनके शासनकाल में राज्य में सुख-समृद्धि और शांति का वास था और वे अपने न्यायप्रियता और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे। महाराजा अग्रसेन ने 18 गौत्रों की स्थापना की थी, जो आज अग्रवाल समाज के रूप में जानी जाती हैं।
अग्रवाल समाज में विवाह के समय यह परंपरा है कि वे अपने गौत्र के भीतर विवाह नहीं करते, बल्कि अन्य गौत्रों में विवाह करते हैं। इस परंपरा का उद्देश्य था समाज में एकता और भाईचारा बनाए रखना। महाराजा अग्रसेन का यह कदम उस समय के सामाजिक ढांचे को बदलने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन में अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को प्रमुखता दी। उन्होंने युद्ध और हिंसा से दूर रहने का मार्ग अपनाया और अपने राज्य को भी इस दिशा में प्रेरित किया।
एक ईट 1 रू. का समाजवाद
महाराजा अग्रसेन ने व्यापार और आर्थिक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया। उन्होंने अपने राज्य में “एक रुपया, एक ईंट“ की नीति लागू की, जिसके तहत राज्य के हर नए निवासी को एक रुपया और एक ईंट देकर उनकी सहायता की जाती थी। इससे राज्य में व्यापार और उद्योग का तेजी से विकास हुआ। महाराजा अग्रसेन की जयंती हर साल अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह दिन अग्रवाल समाज के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
महाराजा अग्रसेन न केवल एक महान राजा थे, बल्कि वे समाज सुधारक और उद्यमिता के प्रतीक भी थे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि समानता, न्याय और उद्यमिता के सिद्धांतों का पालन करके समाज को कैसे समृद्ध और खुशहाल बनाया जा सकता है। महाराजा अग्रसेन की जयंती पर, हमें उनके आदर्शों का अनुसरण करने और समाज में समानता और न्याय को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।
समाज के युवाओं में तलाक के मामलों में वृद्धि हुई है। आजकल की जीवनशैली में काम का दबाव बहुत अधिक होता है, जिसके कारण नौकरी करने वाले युवाओं के पास अपने जीवन साथी के साथ समय बिताने का समय कम होता है। यह असंतुलन अक्सर भावनात्मक दूरी का कारण बनता है। आर्थिक स्वतंत्रता से आत्मनिर्भरता आती है, जिससे लोग अपने फैसले खुद लेने के लिए सक्षम होते हैं। कभी-कभी यह आर्थिक स्वतंत्रता वैवाहिक संबंधों में संघर्ष का कारण बन सकती है। युवा दंपत्ति अक्सर एक-दूसरे से उच्च आकांक्षाएं और अपेक्षाएं रखते हैं। जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो असंतोष और तनाव पैदा हो सकता है। समय की कमी और व्यस्तता के कारण संचार में कमी आ जाती है। आपसी बातचीत और समझदारी का अभाव वैवाहिक जीवन में दूरी बढ़ाता है। आधुनिक समाज में परिवार और समाज का दबाव कम होता जा रहा है, जिससे तलाक लेना एक विकल्प बनता जा रहा है।
दंपत्ति अपने कार्य और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखें। इसके लिए वे एक-दूसरे के साथ समय बिताने की कोशिश करें और साथ में छुट्टियां प्लान करें। एक-दूसरे से खुलकर बात करना और समस्याओं का समाधान मिल-जुल कर करना आवश्यक है। अच्छे संवाद से आपसी समझदारी बढ़ती है।दंपत्ति को अपने जीवन में प्राथमिकताओं का निर्धारण करें और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें।
यदि समस्या गंभीर हो जाए तो प्रोफेशनल काउंसलर की मदद लेना फायदेमंद हो सकता है। इससे वैवाहिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। पैसों से जुड़े मामलों पर खुलकर बात करें और पारदर्शिता बनाए रखें, ताकि कोई आर्थिक समस्या संबंधों में दरार न लाए।समाज पदाधिकारी समन्वय स्थापित कर समाज के युवा दंपत्ति अपने वैवाहिक जीवन को अधिक सुखी और स्थिर बना सकते हैं।