मंदसौरमंदसौर जिला

हिंदी भावों की भाषा के साथ लाभ की भाषा भी है-ब्रजेश जोशी

हिंदी रचना काव्य पाठ कर अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने मनाया हिंदी दिवस

हे मुकुट हिमालय भारत का, माथे की बिंदी हिंदी है-नंदकिशोर राठौर

मन्दसौर।अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर ने हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी रचनाओं का काव्य पाठ कर पुरातत्व ज्ञाता कैलाशचंद्र पांडे के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल एवं प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी के विशेष आतिथ्य तथा डॉ. उर्मिला तोमर श्रीमती चंदा डांगी, श्रीमती स्वाति रिछावरा, अजय डांगी, नरेंद्र त्रिवेदी, नरेंद्र भावसार, नंदकिशोर राठौर, हिमांशु वर्मा, युवराज राठौर, अजीजुल्लाह खान, राजकुमार अग्रवाल की उपस्थिति में हिंदी दिवस मनाया।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री पांडे ने कहा कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा जरूर मिला पर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के प्रयास शुरू से ही नहीं किए गए। अभिलेखों में इसका उल्लेख 2001 तक कहीं नहीं मिलता है। डॉ. बटवाल ने कहा कि हिंदी हिंद की भाषा है जो राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। हिंदी से हिंद की पहचान है, इस पहचान को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित किए जाने के प्रयास वर्तमान में किये जा रहे हैं जिसमें कुछ सफलता हमें मिली है। डॉक्टरेट एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी में होने लगी है किंतु न्यायालय की भाषा के रूप में अभी भी इसे स्थापित करने की आवश्यकता है। श्री जोशी ने कहा कि हिंदी का उपयोग के साथ प्रयोग वर्तमान में अधिक होने लगा है जिससे प्रभावित होकर फिल्म उद्योग, टेलीविजन, सीरियल और सबसे बड़ा विज्ञापन जगत ने इसे महसूस किया इसलिए यह सभी हिंदी का प्रयोग करके लाभ प्राप्त कर रहे हैं इसलिए हिंदी सिर्फ भावों की ही नहीं लाभ की भाषा भी है।
डॉ. उर्मिला तोमर ने अपने विचार रखते हुए अपनी हिंदी कविता ‘‘जय हिंद जय हिंद’’ सुनाई। नंदकिशोर राठौर ने हिंदी कविता ‘‘है मुकुट हिमालय भारत का, माथे की बिंदी हिंदी है‘‘ सुनाई। श्रीमती डांगी ने कविता ‘‘चाहा है राजभाषा हिंदी, राष्ट्रभाषा बने’’ सुनाई। युवराज राठौर ने कविता ‘‘हमारी आंखों के सामने चोरी हो रही मां से मां चंदा मामा से लोरी हो रही’’ कविता सुनाई। नरेंद्र त्रिवेदी ने अंकित मिश्रा की कविता ‘‘हिंदी हमारी आन है शान है, निराला प्रेमचंद की लेखनी का अभिमान है’’ सुनाई । हिमांशु वर्मा ने जन-जन की वाणी का श्रृंगार ‘‘है हिंदी विश्व में भारत की पहचान है हिंदी’’ कविता सुनाई। स्वाति रिछावरा ने कविता ‘‘एक रोज जब उम्र ढल जाएगी’’ सुनाई। नरेंद्र भावसार ने कविता ‘‘चलो एक कदम आगे बढ़े हिंदी का मान बनाएं’’ सुनाई।
कार्यक्रम में अजीजुल्लाह खान और अजय डांगी ने भी हिंदी की स्थिति के बारे में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र भावसार ने किया व आभार नंदकिशोर राठौर ने माना।

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