शास्त्र और महात्माओं के उपदेश प्रमाणिक होते है – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती
मंदसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
शनिवार को धर्मसभा में स्वामी श्री आनन्द स्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि शास्त्रों के बार – बार अध्ययन करने से ज्ञान को बोध हो जाता है। शास्त्र का अध्ययन न कर सकों तो इन्हें महात्माओं से श्रवण करना चाहिए। शास्त्र और महात्माओं से प्राप्त उपदेश प्रमाणिक होते है। शास्त्रों का अध्ययन हमें करते रहना चाहिए। स्वामी जी ने बताया कि ईश्वर ने संसार को बनाया है लेकिन हमने ही ईश्वर के अनेक रूप कर दिये है जबकि ईश्वर एक है। हम तब भागवत क़ृपा के पात्र बनेंगे मन शुद्ध करके प्रभु भक्ति करेंगे तो हमे ज्ञात हो जायेगा कि ईश्वर एक है। विशुद्ध मन से भगवान की कृपा प्राप्त नहीं हो सकती है इसलिए मन को शुद्ध करके शास्त्रों का अध्ययन करें और प्रभु को समझने का प्रयास करें।
स्वामी जी ने बताया कि भगवान ने दत्रात्रय ने जिन 24 गुरूओं को अपनाया था वह वृतांत यहा समाप्त होता है अब 18 अगस्त रविवार को भगवान श्रीकृष्ण और उद्धवजी के बीच का संवाद प्रारंभ किया जायेगा जिसमें सांसारिक जीवन, ब्रम्हचर्य, गृहस्थ जीवन, व्यवहारिकता के बारे में बताया जायेगा।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, प्रहलाद काबरा, मदनलाल गेहलोत, पं शिवनारायण शर्मा, राजेश देवडा, घनश्याम भावसार, राधेश्याम गर्ग, महेश गेहलोद, रामचंद्र कोकन्दा, डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे। बडी संख्या में धमार्लुजन उपस्थित थे।