नीमचनीमच

पत्रकारों के खिलाफ की द्वेषपूर्ण कार्यवाही  प्रेस संगठनों ने सौंपा ज्ञापन

नीमच। प्री-मैट्रिक छात्रावास रामपुरा के अधीक्षक श्री मोहन सिंह चंद्रवंशी की झूठी रिपोर्ट के आधार पर रामपुरा पुलिस थाना द्वारा पत्रकार मुकेश राठौर व उसके सहयोगी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में नीमच जिले के प्रेस संगठनों के द्वारा एएसपी नवल सिंह सिसोदिया को ज्ञापन सौंपकर प्रकरण वापस लेने दोषी अधीक्षक श्री चंद्रवंशी के खिलाफ विधि पूर्वक कार्रवाई की जाने की मांग की गई। ज्ञापन का वाचन करते हुए पत्रकार कपिल सिंह चौहान व अजय चौधरी ने बताया की रामपुरा के पत्रकार श्री मुकेश राठौर को 27 जुलाई को छात्रावास से तीन छात्रों के लापता होने और चौकीदार, अधीक्षक के रात के गायब रहने जैसी गंभीर अनियमितताएं होने की सूचना मिली थी। इसके बाद वे वहां कवरेज करने के लिए गए थे। जब राठौर वहां कवरेज के लिए पहुंचे तब वहां छात्रावास अधीक्षक श्री मानसिंह चंद्रवंशी मौजूद नहीं थे।दौरान मुकेश राठौर को छात्रों ने बताया कि अधीक्षक महोदय रात के समय छात्रावास में नहीं रहते हैं और तीन बच्चे भी गायब हो गए हैं। तब मामले की गंभीरता ओर बढ़ जाती है। यहीं नहीं छात्रों ने पत्रकार श्री मुकेश राठौर को यह भी बताया कि छात्रावास में हमें अच्छा खाना नहीं दिया जाता है और शिकायत करने पर डराया धमकाया जाता है। यह सब मुकेश राठौर द्वारा अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड किया गया। यही नहीं मौके पर से ही अधीक्षक चंद्रवंशी को मोबाइल से सूचना भी दिलाई गई, लेकिन अधीक्षक मानसिंह उस समय पत्रकार मुकेश राठौर के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, क्योंकि वे उस समय वहां मौजूद ही नहीं थे। ऐसे में जब तक अधीक्षक श्री चंद्रवंशी की अनियमितताओं के संबंध में बाइट नहीं आ जाती, तब तक न्यूज का प्रसारण संभव नहीं था। सोची समझी साजिश के तहत दिनांक 30 जुलाई 2024 को पुलिस थाना रामपुरा द्वारा पत्रकार मुकेश राठौर को न्यूज़ बताने के लिए बुलाया गया और अधीक्षक चंद्रवंशी की रिपोर्ट का हवाला देकर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने यह जानते हुए कि एक पत्रकार है, उनके खिलाफ पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। पूरे मामले में मुकेश राठौर का पक्ष भी नहीं जाना और बिना जांच किए प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। फरियादी के रूप में पुलिस ने छात्रावास अधीक्षक श्री मानसिंह की सूचना के आधार पर गंभीर अपराध की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है तो स्पष्ट रूप से रंजिश की ओर इंगित करता है, क्योंकि रिपोर्ट में अधीक्षक मानसिंह खुद बता रहे हैं कि वे कवरेज के दौरान वहां मौजूद नहीं थे, तो फिर एट्रोसिटी एक्ट का प्रकरण बनता ही नहीं है। अधीक्षक मानसिंह के अलावा छात्रों द्वारा कोई रिपोर्ट नहीं की गई, इस कारण डराने-धमकाने या उकसाने का प्रकरण भी नहीं बनता है। इस तरह से पुलिस ने बिना तथ्यों के आधार पर झूठा प्रकरण दर्ज किया है, जबकि पत्रकार श्री राठौर के पास छात्रावास में गंभीर अनियमितताओं के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जिनकी अनदेखी की गई है। 05- यह कि पत्रकार समाज का आईना होता है। वह हर अच्छी और बुरी खबर को कवरेज करता है और सामाजिक मर्यादा एवं कानून का पालन करते हुए प्रसार का माध्यम बनता है।

पुलिस द्वारा पत्रकार श्री मुकेश राठौर के खिलाफ झूठा प्रकरण दर्ज करने और गिरफ्तारी लेकर शातिर एवं आदतन अपराधियों की तरह से जुलूस निकाले जाने से पत्रकारों में भय व्याप्त है। यदि ऐसे हालात रहे तो क्षेत्र में पत्रकार अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं को कैसे उजागर कर पाएंगे? पत्रकार मुकेश राठौर 27 जुलाई को छात्रावास में गंभीर अनियमितताओं की सूचना मिलने पर पहुंचे थे। छात्रावास में समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चे रहते हैं, जिनकी सुविधाओं और व्यवस्थाओं की चिंता करने की अपेक्षा रखना किसी भी तरह के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। छात्रावास में गंभीर अनियमितताएं हैं, जिनको लेकर अधीक्षक एवं जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए, कवरेज करने गए पत्रकार के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। इस मौके पर जिला प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष कपिल सिंह चौहान, जिला प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजय चौधरी,जावद प्रेस क्लब के अध्यक्ष दिपेश जोशी,प्रहलाद भट्ट विजित महाडिक राकेश मालवीय, महेश जैन मनीष बागड़ी आकाश श्रीवास्तव, आशीश बंग अफजल कुरैशी नंदकिशोर धाकड़ दशरथ भाटी अजय चन्दवशी सहित शहरी व ग्रामीण पत्रकार मौजुद रहे।

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