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नगर निगम रीवा में कचरा कलेक्शन के नाम पर बड़ा घोटाला,निगमायुक्त ने खोली पोल, बड़ी कार्यवाही करने कि तैयारी

 

रीवा।नगर निगम में बीते आठ वर्षों से कचरा कलेक्शन का काम कर कर रही रेमकी कंपनी के पास जादुई छड़ी है, ऐसा कहना इसलिए भी गलत नहीं होगा क्योंकि रेमकी कंपनी काम ही ऐसा कर रही है, जो जमीन पर तो नहीं दिखता लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी इसे कागजों में जरूर पूरा कर रहे हैं। इस वजन में हुए गोलमाल सामने आने के बाद चर्चाएं निगम में कचरा कलेक्शन के नाम पर हुए बड़े घोटाले को लेकर तेज हो गई हैं।

हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2017 में कंपनी के काम शुरू करने के बाद पांच आईएएस अधिकारी नगर निगम की व्यवस्था संभाल चुके हैं लेकिन इस जादुई कंपनी के फर्जीवाड़े को पकड़ नहीं पाए। बता दें कि नगर निगम द्वारा हर स्वच्छता सर्वेक्षण में कागजों में 100 प्रतिशत कचरा कलेक्शन का दावा किया जा रहा है। लेकिन असल में ऐसा हो नहीं रहा है क्योंकि कंपनी द्वारा वर्तमान में 56 गाडिय़ों को चलाने का दावा किया जा रहा है और शहर भर में 61 हजार से अधिक घर हैं। ऐसे में यह कंपनी 100 प्रतिशत कचरा कलेक्शन इन वाहनों से कैसे करती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, इस बात को लेकर हाल ही में निगम के पार्षदों ने कई बार विरोध भी किया लेकिन जिम्मेदार मौन साधे बैठे रहे। सौ प्रतिशत कचरा कलेक्शन का बिल जरूर कंपनी बीते वर्षों से वसूल रही है।

बता देें कि निगमायुक्त संस्कृति जैन ने नोडल अधिकारी एचके त्रिपाठी द्वारा दी गई जानकारी के बाद इसे गंभीरता से लिया और जांच कराई, अब कंपनी पर बड़ी कार्यवाही करने की तैयारी में निगमायुक्त हैं, बता दें कि आयुक्त द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद प्रदेश स्तर पर हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि कंपनी रीवा ननि के अलावा भी कई निकॉयों में कचरा कलेक्शन का काम कर रही है।

2.44 लाख प्रतिदिन भुगतान

बता दें कि रेमकी कंपनी द्वारा प्रतिदिन 130-140 टन कचरा उठाव का बिल बनाया जा रहा था। यह अधिकारियों की मेहरबानी थी, क्योंकि जितना कंपनी कचरा उठाव का दावा करती है, वह एक दिन में कंपनी की वर्तमान व्यवस्था के हिसाब से किया ही नहीं जा सकता है। सूत्रों की माने तो अधिकतम कंपनी प्रतिदिन 80-90 टन कचरा ही उठा पाती है। आपको बता दें कि 1746 रुपए प्रति टन के हिसाब से निगम कंपनी को भुगतान कर रहा है, यानी की लगभग 2.44 लाख रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कंपनी को भुगतान किया जा रहा है जो प्रतिमाह 73 लाख से भी अधिक राशि का भुगतान कंपनी को मिल रहा है। जबकि व्यवस्थाएं आए दिन बद से बदतर होती जा रही हैं।

बता दें कि बीते 8 वर्षों से इस कंपनी की देखरेख कर रहे नोडल अधिकारी, सहायक नोडल अधिकारियों ने कभी कंपनी के वजन की नाप नहीं कराई, कंपनी के अनुसार ही बिल तैयार किया जाता रहा। पहली बार निगरानी हुई तो बड़ा फजीवाड़ा सामने आया। आपको बता दें कि निगम अधिकारी एसी चेंबरों में बैठे ही कंपनी की निगरानी करते रहे। वजन नाप कराने के लिए एक स्थाई कर्मचारी तक नहीं लगाया गया कि कंपनी के कचरा वाहनों की वजन पारदर्शिता के साथ की जाए। जिसे प्राइवेट कंपनी को निगरानी के लिए रखा गया है वह भी बिल बनवाने तक ही सीमित है। जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि निगम में हो रहे घोटाले में अधिकारियों की मौन स्वीकृति थी।

बता दें कि कचरा कलेक्शन कर रही कंपनी द्वारा 56 वाहनों से कचरा कलेक्शन का दावा किया जाता है, 10 अतिरिक्त वाहन खड़े होने की बात कही जाती है। यह वह वाहन हैं जो गाडिय़ां खराब होने पर जाते हैं। हालांकि गाडिय़ां सड़क पर इससे कम ही चलती हैं। भले ही कंपनी दावा करे लेकिन 100 प्रतिशत कचरे का उठाव एक दिन में नहीं किया जा सकता है। क्योंकि निगम के रिकार्ड के अनुसार कुल 61861 घरों से टैक्स लिया जा रहा है, आवासों की संख्या इससे भी अधिक है लेकिन निगम के रिकार्ड पर बात की जाए तो यदि रेमकी कंपनी का एक कचरा वाहन दिन के 12 घंटे लगातार बिना एक मिनट रूके कचरा कलेक्शन करता है तो दिन में वह 720 मिनट कचरा कलेक्शन करेगा।

एक घर में यदि एक मिनट भी वाहन का रुकना माना जाए तो एक वाहन दिन में 720 घरों में कचरा कलेक्शन करता है, इसी प्रकार 56 वाहनों से रेमकी 37440 घरों का कचरा ही उठा सकता है। हालांकि 12 घंटे लगातार काम करने पर ऐसा होता नहीं है। कंपनी के वाहन वार्डों में 4-5 घंटों के लिए ही जाते हैं। इसके बावजूद भी 24421 घरों को कंपनी छोड़ रही है। यदि कंपनी इसके बाद भी 100 प्रतिशत का दावा कर रही है तो वह सच में ही जादुई तरीके से काम कर रही है, जिसे समझ पाना हकीकत से परे है।

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