हिन्दुओं की समस्या ये है कि हमको विजय और पराजय में अंतर करना भी नहीं आता

साभार: श्री विकास जी दवे (निदेशक–साहित्य अकादमी, म.प्र.)
मुझे लगता है हिन्दुओं की समस्या ये है कि हमको विजय और पराजय में अंतर करना भी नहीं आता। कितना भयंकर युद्ध रहा, जिन विश्वस्तरीय शक्तियों के विरोध में हम युद्ध लड़ रहे थे। दस साल की एंटी इन्कम्बेंसी और उसके बाद हम विजयी हो गए। परंतु विजयी होने की ख़ुशी के स्थान पर हारे हुए जैसा ग़म देख रहा हूँ हिंदुओं में।
सारे टटपूंजियों को साथ में लेकर, सभी विदेशी शक्तियों से सहयोग लेकर उसके बाद वे हार जाने के बाद विपक्ष ऐसा माहौल बना रहा है जैसे वही जीते हैं।और हिंदू इसको मानने को तैयार भी है। शत्रु बोध नहीं था ये तो ठीक है परंतु विजय बोध भी नहीं है ये ज़्यादा बड़ी समस्या लगती है।
पंचतंत्र की कथा याद आती है जिसमें ठगों ने मूर्ख बनाकर एक आदमी से उसकी बकरी ख़ुद ही फिंकवा दी थी।
अरे विजय और उल्लास का माहौल होना चाहिए।अंततः युद्ध जीत गए है और अब क़िला मज़बूत करने का समय आया है न कि रोना रोने का।
ध्यान रहे मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
पुनः ध्यानार्थ
संकट-काल में ही निष्ठा व समर्पण की पहचान होती है। सत्ता हमारे लिए कभी साध्य नहीं रही, वह सदा साधन ही रही है। हमने दशकों विपक्ष में रहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। जब सता में हमारे दो थे तब भी 200 पर भारी पड़ते थे। हमने आपात काल का काला अध्याय देखा। उसकी सबसे बड़ी मार झेली। हमने विधर्मियों के असंख्य-असह्य अत्याचार झेले, पर धर्म की टेक न छोड़ी। हमें ईश्वर ने माँ भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने का सौभाग्य भले न दिया। पर हमें धर्म व राष्ट्र के लिए जीने का सौभाग्य दिया है। हम स्वतंत्र भारत में हिंदू धर्म/सनातन शक्ति के लिए जिएंगें। एक नहीं, सौ जीवन धर्म व राष्ट्र पर न्योछावर करेंगें। ईश्वर ने हमें अवसर दिया है, और काम करने का। हमारी संगठित और सक्रिय शक्ति कम नहीं होनी चाहिए। हिंदू अस्मिता के लिए काम करते चलें। सत्ता से परे काम करते चलें। धर्म और राष्ट्र के लिए जीने वाले लोग हमेशा थोड़े ही रहे हैं। स्थितियाँ इतनी भी प्रतिकूल नहीं कि हम कहें कि सारी ज़मीन खो दी। हम थे, हम हैं, हम रहेंगें। यह ध्रुव-सत्य है। इसे मंत्र की तरह स्मरण रखें। हमारी शक्ति हिंदुत्व की शक्ति है। हमारी शक्ति सनातन की शक्ति है। हमारी शक्ति संगठन की शक्ति है। एक ही धुन जय-जय भारत!