अंतर्राष्ट्रीयनई दिल्ली

टीके के साइड इफेक्ट दुर्लभ, इसलिए घबराएं नहीं

 

नई दिल्ली:– कोरोना (Corona) महामारी से दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हुई. कोविड से बचाव के लिए कई देशों की सरकारों की तरफ से आनन फानन में लोगों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था की गयी. दुनिया की कई कंपनियों ने कोविड वैक्सीन(Covid vaccine) बनाया था. उन्हीं में से एक कंपनी एस्ट्राजेनेका थी. एस्ट्राजेनेका जिसने कोविशील्ड नामक कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया था ने स्वीकार किया है कि उसके द्वारा बनाए गए वैक्सीन से लोगों को कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. कंपनी ने कहा है कि इससे खून के थक्के जमने की संभावना है. गौरतलब है कि भारत में 1 अरब 70 करोड़ डोजेज कोविशील्ड के लगाए गए थे.

यूरोप में एक लाख में एक को खतरा, भारत में नुकसान नगण्य*
भारत में कोविड के टीके का करीब 2 अरब 21 करोड़ डोजेज लोगों को लगाए गए हैं. भारत में 93 प्रतिशत लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया है. कोविड वैक्सीन को मॉनिटर करने वाली ऐप Cowin की डेटा के अनुसार AEFI के मामले 0.007% हैं.  इन डोजेज में 1 अरब 70 करोड़ डोजेज कॉविशिल्ड के लगे हैं.  वहीं, दुनिया में एस्ट्रेजनेका के 2 अरब 50 करोड़ से ज़्यादा डोजेज लगाए गए हैं. लेकिन 2021 में ही यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 222 लोगों में एस्ट्रेजनेका की वजह से ब्लड क्लोटिंग की बात कही थी. मसलन उस वक्त लाख में 1 को खतरा था. वो भी यूरोपीय देशों में. भारत की जानकारी में भी ब्लड क्लोटिंग की बात थी और नजर और निगरानी इस पर रखी गई, लेकिन फायदा का आंकड़ा बहुत बड़ा था और नुकसान नगण्य है.

कोरोना के टीके लेने के बाद कब तक हो सकती है तकलीफ? 
किसी भी टीके के roll out के बाद AEFI यानी After Events Following Immunization को देखा जाता है.  ठीक ऐसा ही भारत सरकार ने कोरोना के टीके लगने के दौरान लंबे वक्त तक मॉनिटरिंग की. पोर्टल बना. कमिटी बनी. समय समय पर इसको देखा गया. अब एस्ट्रेजनेका को लेकर आई खबर के बाद भारत के कोविशील्ड सवालों के घेरे में है, हालांकि जानकारों का मानना है कि इतना लंबा असर नहीं होता है.  कोई दिक्कत आती है तो या तो टीके के तुरंत बाद दिखती है या फिर महीने से डेढ़ महीने में असर दिखना शुरू हो जाता है. असर दिखा भी पर AEFI का वो फीसद भारत में टीके के बाद 0.007 % है.  लिहाज़ा अब डरने की बात नहीं है.

भारत में कॉम्प्लिकेशन की अधिक शिकायत नहीं भारत सरकार ने कोरोना के टीके के roll out के बाद AEFI पोर्टल बनाया. साथ में एक AEFI कमिटी भी गठित की.  सबसे आखिरी बार इस कमिटी ने मई 2022 में अपनी रिपोर्ट दी. ये रिपोर्ट उनको लेकर था जिन्होंने कोरोना के टीके लेने के बाद कॉम्प्लिकेशन की शिकायत दी थी.  तो सिर्फ समस्या कोविशिल्ड के साथ अकेले की नहीं थी बल्कि स्पुतनिक, covaxin और Corbevax के साथ भी थी.  इन टीकों को लेने के के बाद लोगों ने अपनी तकलीफ की शिकायत की थी और ये दस्तावेज इंटरनेट पर जाने के बाद अगर आप सिर्फ AEFI टाइप करेंगे तो आप भी देख सकते हैं.

कोविशिल्ड के क्या-क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट? 
कोविशिल्डको लेकर जिस तरह के दावे किए जा रहे हैं उसकी जानकारी पहले से थी हालांकि इसके लाभ की तुलना में नुकसान का प्रतिशत बेहद कम था जिसे नगण्य ही माना जा सकता है. सीरम इंस्टीट्यूट के मुताबिक टीका लगवाने के बाद आपको बेहोशी या चक्कर आने की समस्या हो सकती है. इसके अलावा दिल की धड़कन में बदलाव, सांस फूलने या सांस लेने के दौरान सीटी जैसी आवाज आने की समस्या हो सकती है. होठ, चेहरे या गले में सूजन की समस्या भी सामने आ सकती है.  कंपनी का कहना है कि टीकाकरण के बाद एक ही समय पर एक से ज्यादा  साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं. इनमें मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, कंपकंपी आना. कंपनी ने सलाह दी है कि इस स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें.कंपनी का कहना है कि ये समस्याएं 10 में से एक व्यक्ति को हो सकती हैं.

एस्ट्राजेनेका ने क्या कहा है? 
एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि “यह माना जाता है कि AZ वैक्सीन, बहुत ही दुर्लभ मामलों में, TTS का कारण बन सकती है. इसके अलावा, TTS AZ वैक्सीन (या किसी भी वैक्सीन) की अनुपस्थिति में भी हो सकता है.” एस्ट्राज़ेनेका ने स्कॉट के दावे के कानूनी बचाव में अपनी स्वीकृति दी है, जिससे पीड़ितों और शोक संतप्त रिश्तेदारों को भुगतान मिल सकता है.

‘सभी दवाई के होते हैं साइड इफेक्ट, घबराएं नहीं’

इस बारे में एम्स के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने बताया कि इस विवाद में पड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है। किसी भी दवाई के साइड इफेक्ट्स होते हैं, लेकिन उसके लाभ ज्यादा और नुकसान बेहद कम होते हैं। इसलिए इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।

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