नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर सवाल उठाने और बैलेट पेपर से मतदान करने की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। ईवीएम-वीवीपैट मिलान वाली याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पर्चियों का मिलान नहीं किया जा सकता है। इसी तरह सर्वोच्च अदालत ने ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से मतदान कराने की याचिका भी खारिज कर दी।
ईवीएम-वीवीपैट मिलान पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि वीवीपैट का 4 करोड़ डाटा सही पाया गया है। यही तर्क आयोग के पक्ष में फैसला आने में मददगार रहा।
याचिका में ईवीएम के परिणाम और वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की बात कही गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 45 दिन तक ईवीएम-वीवीपैट का डाटा सुरक्षित रखा जाए। इस दौरान यदि कोई उम्मीदवार परिणाम पर सवाल उठाता है तो जांच की जाएगी। इसका खर्च उम्मीदवार वहन करेगी।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) संस्था और कुछ अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान की मांग की थी।
चुनाव आयोग ने पीठ के समक्ष कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट में किसी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है। आयोग ने मशीनों की सुरक्षा, उन्हें सील करने और उनकी प्रोग्रामिग के बारे में भी शीर्ष कोर्ट को अवगत कराया था।
कोई और डाल गया आपका वोट तो परेशान न हो, ये काम करेंगे तो मिलेगा मतदान का मौका
पहले चुनावों के दौरान फर्जी मतदान के मामले बहुत अधिक सामने आते थे, लेकिन अब ऐसे मामले बहुत कम हो गए हैं कि कोई और व्यक्ति आपके नाम पर मतदान करके चले जाएं। आजकल फर्जी वोटिंग के मामले बहुत ही कम सामने आते हैं, लेकिन फिर भी यदि कोई व्यक्ति आपके वोट का दुरुपयोग करके चला गया है तो उसके बावजूद भी आप वोट दे सकते हैं। जानें ऐसी परिस्थिति में आपको सबसे पहले क्या कदम उठाना चाहिए।
आज 88 सीटों पर हो रहा है मतदान
आज लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण की वोटिंग जारी है और इस चरण में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल सहित 13 राज्यों की 88 सीटों के लिए मतदान हो रहा है। इस दौरान यदि आपका वोट फर्जी तरह से किसी और ने डाल दिया है और इसे चुनाव आयोग की नियमावली में ‘वोट की चोरी’ कहा गया है। भारतीय चुनाव आचरण अधिनियम-1961 धारा 49 (पी) में वोट की चोरी को लेकर विस्तार से उल्लेख किया गया है। 1961 में चुनाव आयोग ने वोटों की चोरी पर पर गंभीरता दिखाते हुए नियमों में बड़ा बदलाव किया था, ताकि मतदाता को वोटिंग के अधिकार से वंचित न होना पड़े।
वोट चोरी हो जाए तो करें ये काम
वोट चोरी होने की स्थिति में सबसे पहले पोलिंग स्टेशन के पीठासीन अधिकारी को इस बात की जानकारी दें और मतदान करने की अपील करें। चुनाव संपन्न कराने में पीठासीन अधिकारी की अहम भूमिका होती है। यदि आप पीठासीन अधिकारी को वास्तविकता बताएंगे तो वह आपको मतदान करने के अनुमति दे सकता है। इस दौरान आपको प्रमाण के तौर पर वोटर आईडी या वोटिंग स्लिप दिखानी पड़ सकती है।
वोट चोरी हो गया है EVM से नहीं कर सकते मतदान
पीठासीन अधिकारी की ओर से अनुमति मिलने के बाद ऐसे मतदाता ईवीएम के जरिए मतदान नहीं कर सकते हैं। उन्हें बैलेट पेपर से ही मतदान करना होता है। आमतौर टेंडर वोट की गितनी नहीं की जाती है। किसी विशेष स्थिति में यदि दो प्रत्याशियों को समान वोट मिल जाते हैं तो भी टेंडर वोटों की गिनती नहीं की जाती। इन हालात में फैसला टॉस से होता है। टॉस हारने वाले कैंडिडेट के पास कोर्ट में जाने का अधिकार होता है और वह अपील कर सकता है कि टेंडर वोट उसके पक्ष में हो सकते हैं। ऐसे में टेंडर वोट की मदद से गलत वोट की पहचान की जाती है और उसे गिनती से हटाया जाता है।
साल 2008 में ऐसा मामला तब सामने आया था, जब राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सीपी जोशी, भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान से एक वोट से हार गए थे तो उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की थी और यह दावा किया था कि डाले गए कुछ वोट टेंडर थे। कोर्ट ने पुनर्मतगणना का आदेश दिए और मामला टाई पाया गया। आखिर में ड्रा के बाद कल्याण सिंह चौहान को विजेता घोषित किया गया।