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इतिहास लेखन के काम को आम जन तक पहुंचाने का संकल्प

 

 

इतिहास लेखन के काम को आम जन तक पहुंचाने का संकल्प

12 वां अधिवेषन की समाप्ति के बाद इतिहास संकलन समिति का निर्णय

 

 

 

सासाराम( रोहतास ):– बिहार 

 

 

 

इतिहास संकलन समिति की बिहार इकाई ने इतिहास लेखन के काम को आम जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। सासाराम के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी में संपन्न तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के बाद बिहार इकाई ने यह संकल्प लिया है। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के नव निर्वाचित राष्ट्रीय सचिव और बिहार इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष प्रो राजीव सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया।

 

प्रो राजीव रंजन ने कहा कि भारतीय इतिहास के लेखन को भारतीय दृष्टिकोण से लेखन का काम किया जाना है। पहले का इतिहास यूरो सेंट्रिक रहा है, जिसे ब्रिटिश ने लिखा उसी हिसाब से देखा जा रहा है। लेकिन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के जरिए भारतीय इतिहास के चैतण्य के प्रकाश में लिखने का काम शुरू किया गया है।

 

प्रो राजीव ने कहा कि अबतक यह काम सिर्फ संगठन से जुड़े इतिहासकारों के बीच रहा है। लेकिन इसे आमजन तक पहुंचाने की जरूरत है। बिहार इकाई ने इस दिशा में पहल शुरू कर दिया है। आम लोगों को खुद के बारे में खुद के इतिहास से अवगत कराया जाना है। इतिहास के गर्त में छिपे अनछूए पहलू को सामने लाना है। लोगों तक पहुंचाया जाना है। अमृत महोत्सव का आयोजन भी उसी कड़ी का हिस्सा है।

 

-संगठन के महासचिव शैलेश कुमार ने बिहार इकाई के पिछले कार्यकलापों से लोगों को अवगत कराया और भविष्य की रणनीतियों के बारे में लोगों को अवगत कराया। जबकि कार्यकारी अध्यक्ष रामाकांत शर्मा ने हर किसी को जिम्मेवार बनने की सलाह दी। वहीं सचिव अरूण कुमार ने लोगों को कर्तव्य बोध से अवगत कराया।

 

बिहार से 170 इतिहासकार और शोधार्थी हुए शामिल

गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी में स्व, स्वतंत्रता और प्रतिरोध: अतीत से वर्तमान तक आयोजित कार्यक्रम में देषभर से 1700 से अधिक इतिहासकार शामिल हुए थे, जिनमें बिहार से 170 प्रतिभागी थे, जिनमें 60 महिला इतिहासकार और शोधकर्ता हुए थे शामिल। इस मौके पर इतिहास संकलन समिति के उपाध्यक्ष डाॅ. राजीव कुमार, डाॅ सुधांशु कुमार झा, कोषाध्यक्ष सूर्यनारायण प्रसाद, मीडिया प्रमुख डाॅ अशोक प्रियदर्शी के अलावा इतिहासविद डाॅ अरूण कुमार, प्रो मनीष सिन्हा, प्रो नृपेन्द्र कुमार, शिवेश कुमार, प्रो संजय झा, सुधांशु शेखर, डाॅ.अनिता, डाॅ.मीता, डाॅ.नम्रता, डाॅ. प्रतिमा कुमारी, डाॅ. स्वर्णा, ईशा शर्मा, अर्चना राय भटट, श्याम सुंदर तिवारी, राहुल कुमार, अभिराज कुमार अकेला समेत अनेक इतिहास लेखन और शोध से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए।

 

 

 

इतिहास लेखन में कला संस्कृति और लोकतांत्रिक परंपरा जोड़े गए

प्रो राजीव ने बताया कि इतिहास लेखन में अबतक छह आयाम यानि इतिहास लेखन विधा, पुराण अंतर्गत इतिहास, स्थानीय इतिहास, रक्षा एवं प्रतिरोध का इतिहास, भारतीय कृषि का इतिहास, जनजातीय इतिहास पर लेखन किया जा रहा था। लेकिन 12 वां अधिवेशन के बाद कला संस्कृति आयाम और लोकतांत्रिक परंपराओं के आयाम को जोड़ा गया है। शैलेश कुमार ने बताया कि सासाराम के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार की उत्कृष्ट कला का नमूना यक्षिणी और सनेस के रूप में मखाना देकर देश में बिहार की संस्कृति से अवगत कराया गया।

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