मंदसौर जिलासीतामऊ

महाकाल मुक्ति धाम पर काल भैरव जी की महा आरती कर भक्तों ने सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना की

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काल भैरव जी ऐसे देवता हैं जो काल यानी समय से परे हैं- डॉ जैन

काल भैरव की पूजा करने से शरीर में नकारात्मक समाप्त होकर सकारात्मकता का संचार होता – श्री जैन

सीतामऊ।प्रकृति के संरक्षक देवाधिदेव महादेव के 52 भैरव में प्रमुख महाभैरव, संहार भैरव, असितांग भैरव,रुद्र भैरव, कालभैरव, क्रोध भैरव, ताम्रचूड़ भैरव और चंद्रचूड़ भैरव है जिसमें काल भैरव पांचवें रुद्र अवतार है। काशी के कोतवाल, उज्जैन महाकाल के द्वारपाल काल भैरव जी है। कष्ट भर को हरने वोले शिव अवतार भैरव जी का महाशिवरात्रि के पावन पर्व के अवसर पर महाकाल मुक्ति धाम में महा आरती कर महा प्रसादी का वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस अवसर पर पुजारी रामदास बैरागी समाजसेवी डॉ अरविंद जैन सुख शांति , विवेकानंद हाई स्कूल संचालक श्री अशोक जैन स्वास्थ्य विभाग सुपरवाइजर घनश्याम शर्मा दिलीप राठौड़ होटल आदर्श रमेश चंद्र सिसोदिया भूपेंद्र राजपुरोहित हेमंत जैन लक्ष्मी नारायण मांदलिया, संजय चौहान अंशुल कोठारी सागरमल राठौर घनश्याम कामरीया प्रदीप चौरडिया गोपाल साकी मोहनलाल राठौर मुन्ना लाल चावड़ा,किरणमल चैनाल तेजराम कहार सहित कई भक्त जनों ने भगवान काल भैरव जी कि पूजा अर्चना तथा महा आरती कर सर्वे भवन्तु सुखिन कि कामना कि।
इस अवसर पर समाजसेवी डॉ अरविंद जैन ने कहा कि काल भैरव जी भारत, श्रीलंका और नेपाल के साथ-साथ तिब्बती बौद्ध धर्म में भी पूजे जाते हैं।हिन्दू सनातन और जैन दोनों में पूज्यनीय आराध्य देवता हैं। काल भैरव ऐसे देवता हैं जो काल यानी समय से परे हैं। जो इनकी पुजा करता उनकी महाकाल स्वयं रक्षा करते हैं।
श्री अशोक जैन (विवेकानंद) ने कहा कि प्रकृति के संरक्षक देवों के देव भगवान महादेव शिव शंकर है काल भैरव जी उनके अंश है।धर्मग्रंथों के अनुसार शिव के रक्त से भैरव की उत्पत्ति हुई थी।भैरव दो प्रकार के होते हैं- काल भैरव और बटुक भैरव, देश में काल भैरव के सबसे जागृत मंदिर उज्जैन और काशी में हैं। जबकि बटुक भैरव का मंदिर लखनऊ में है। काल भैरव जी के स्मरण और दर्शन मात्र से ही प्राणी निर्मल हो जाता है। काल भैरव की पूजा करने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
संपादक लक्ष्मीनारायण मांदलिया ने कहा कि जो भी काल भैरव भगवान को पूजते हैं उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती साथ ही, रोग, दोष और भय से परेशान नहीं रहते। शास्त्रों की मानें तो काल भैरव को रूद्र अवतार माना गया है, ये भगवान शिव के ही स्वरूप हैं। काल भैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार कहा जाता है काल भैरव जी अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत जैन ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि भैरव जी के पुजा अर्चना करने से पितरों के कष्टों से मुक्ति मिलती और सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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