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यदि स्थानीय प्रत्याशी व खाद काण्ड में जेल जाने की सहानुभूति की लहर चली तो चावला बाजी मार सकता है!
ताल –शिवशक्ति शर्मा
आलोट विधानसभा चुनाव क्षेत्र के चुनाव में 83.33 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने-अपने मतों का उपयोग किया है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चावला, भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि मालवीय व निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के इर्द-गिर्द घूमता दिखाई दिया है जो काफी रोचक रहने वाला है।शेष रहे छः निर्दलीय प्रत्याशियों की स्थिति तो जमानत बच जाए इस प्रकार के लाले पड़ने जैसी हो रही है।
सत्रह नवंबर को मतदान सम्पन्न हुआ जिसमें 222088 कुल मतदाता होकर इनमें से 185074 मतदाताओं ने83.33प्रतिशत मतदान कर अपने-अपने मतों का उपयोग कर नया विधायक चुन लिया है जो फिलहाल इवीएम मशीनों में बंद होकर तीन दिसंबर को बाहर निकलेगा और फैसला करेगा कि सेहरा किसके सिर सजेगा?
अभी गली, बाजारों व चौपालों पर चर्चाओं का सिलसिला जारी है। सट्टा बाजार के गणित अनुसार निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू व मालवीय के मध्य उन्नीस-बीस का खेल दिखाई दे रहा है साथ ही मतदाताओं से रूबरू होने पर इस बात की पुष्टि भी होती दिखाई दे रही है। कुछ लोगों के मतानुसार कहा जा रहा है कि सबसे आगे निर्दलीय प्रेमचंद गुड्डू व भाजपा के चिंतामणि मालवीय तथा कांग्रेस के मनोज चावला के काफी पीछे रहने की संभावना को व्यक्त किया जा रहा है! सबके समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं के अपने-अपने दावे हैं जो समय ही बताएगा कि राजयोग किसके है? कुछ पुराने अनुभवियों से चर्चा करने पर उनका कहना था कि नाई-नाई बाल कितने तीन दिसंबर को सामने आ जाएंगे! स्पष्ट राय व्यक्त नहीं की,मात्र इतना भर कहा कि गुड्डू और मालवीय में उन्नीस -बीस का खेल होगा!यदि स्थानीय प्रत्याशी का एवं खाद काण्ड में जेल जाने का मुद्दा हावी रहा और सहानुभूति की लहर चली तो चावला बाजी पलट सकता है!
बहरहाल निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के मैदान में आने से चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है।इसका एक कारण यह भी है कि प्रेमचंद गुड्डू क्षेत्र से पूर्व से ही परिचित होकर उनकी प्रभावशाली कार्यशैली से मतदाता भली भांति परिचित हैं। साथ ही गुड्डू को भाजपा व कांग्रेस के असंतुष्टों का भरपूर सहयोग होना बताया जा रहा है ओर उनको इन्हें साधने में काफी सफलता भी मिली है ऐसा सूत्रों द्वारा कहा जा रहा है। बावजूद इसके सभी प्रत्याशी व उनके समर्थक अपनी अपनी जीत का कयास लगा रहे हैं जो तीन दिसंबर को मतगणना होने पर स्पष्ट हो जाएगा कि मतदाताओं ने किसे पसंद किया है? फिलहाल तो दो दिन के इंतजार का खाली समय है केवल ख्याली पुलाव पकाते रहिये कि ऊंट किस करवट बैठेगा?