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मध्य प्रदेश में भाजपा शेष बची 94 सीटों में युवाओं पर बढ़ाएगी फोकस

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भाजपा ने 70 वर्ष पार के 4 व 60 से 70 वर्ष के बीच के 15 और 50 वर्ष से कम उम्र के 40 प्रत्याशी चुनावी रणक्षेत्र में उतारे

भोपाल। मध्य प्रदेश में मिशन-2023 को जीतने की तैयारी में जुटी भाजपा बचे हुए 96 प्रत्याशियों की सूची में युवा चेहरों को प्राथमिकता देगी। इन 96 सीटों में फिलहाल 70 विधायक (कुछ मंत्री भी) हैं। पार्टी इनमें से कई उबाऊ चेहरों को बदल सकती है। भाजपा की तीन सूचियों में नवीनता ने पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाया था लेकिन सोमवार को जारी चौथी सूची में परंपरागत चेहरों को टिकट दिए जाने से जमीनी फीडबैक सही नहीं आया।

इस कारण जो बढ़त पार्टी अनुभव कर रही थी, उसे झटका लगा है इसलिए बची सीटों पर एक बार फिर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इन पर ऐसे युवा चेहरों को उतारने की तैयारी की जा रही है, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में जमीनी स्तर पर मेहनत की है और सक्रिय हैं। बता दें, भाजपा ने अब तक 136 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।

दावेदारों की तैयारी न होने से चेहरे बदलना हुआ था मुश्किल

दरअसल, भाजपा ने बहुत से विधायकों को इस बार भी टिकट मात्र एक कारण से दिया है क्योंकि उनके विधानसभा क्षेत्र में ऐसा कोई दावेदार नहीं मिला, जिसने चुनाव लड़ने की जमीनी तैयारी की हो। मंथन में यह निकला कि बिना तैयारी चेहरे बदल दिए जाएंगे तो दोहरा नुकसान होगा। अब बची सीटों पर ज्यादा से ज्यादा युवाओं व नए चेहरों को चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।

अब तक भाजपा द्वारा जारी चार सूचियों में 136 प्रत्याशी हैं। इनमें से पार्टी ने 70 वर्ष पार के मात्र चार प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जबकि 60 से 70 वर्ष के बीच के 15 और 50 वर्ष से कम उम्र के 40 प्रत्याशी चुनावी रणक्षेत्र में हैं। पार्टी का मानना है कि जिन विधायकों और मंत्रियों को सत्ता विरोधी रुझान के बावजूद टिकट मिला है, वे सब दूसरी पीढ़ी के नेता हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में इस बार युवा मतदाताओं की संख्या (29 वर्ष तक) एक करोड़ 61 लाख है।

30 से 35 तक बदल सकते हैं टिकट

बची सीटों पर काबिज कई भाजपा के विधायकों और मंत्रियों की इन दिनों धुकधुकी बढ़ी हुई है। इसकी वजह यह है कि केंद्रीय नेतृत्व के सर्वे में उनकी स्थिति जिताऊ नहीं पाई गई है। लगभग 30 से 35 मौजूदा विधायकों के टिकट बदले जा सकते हैं, इनमें से कुछ मंत्री भी हैं।

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