आध्यात्मनीमचमध्यप्रदेश

गुणों के जनक, तो संस्कार है, पद या प्रतिष्ठा नहीं- ऋतंभराजी

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श्रीराम कथा का छठवा दिन-

नीमच। मानवीय गुण किसी पद, प्रतिष्ठा से प्राप्त नहीं होते हैं। मानवीय गुणों के जनक तो संस्कार हैं। याने जो दरिद्र वृत्ति को राजेश्वरी बना दे वह है मानस। इसलिए जब हमारी वृत्ति सीमा लांघती है तो वह विकृत्ति बन जाती है। इस विकृत्ति से हमें बाहर निकालती है रामचरित मानस। आप अगर विचारधारा के पक्के हैं तो भले ही आपकी जिव्हा 32 दांतों की साथ रहे आप निष्ठा नहीं छोड़ते हो।
यह विचार स्व. कंचनदेवी-प्रेमसुखजी गोयल व स्व. रोशनदेवी-मदनलाल चौपड़ा की स्मृति में गोयल व चौपड़ा परिवार द्वारा दशहरा मैदान में आयोजित श्री रामकथा में छठवे दिन शुक्रवार को दीदी माँ साध्वी ऋतम्भराजी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि जैसे जीवन में परम उत्कृष्ट के लिए केवट जैसी सरलता चाहिए वैसे ही जहां मन में प्रेम भाव होता है वहां सौंदर्य होता है।   दीदी माँ ने कहा कि भारत देश और भारतीय संस्कृति में प्रेमदर्शन होता है। प्रेम प्रदर्शन नहीं। कुछ भावनाएं ऐसी होती है। जो अंतर्मन में पनपती है। यही सुंदरता है। अंतर्मन जब तृप्त होगा तब ही  तो होठों पर मुस्कान आएगी। दीदी माँ ने कहा कि संत का स्वभाव ऐसा होता है कि उन्हें प्रत्येक परिस्थिति में अपना दोष नजर आता है, जबकि दुष्ट व्यक्ति को सब में दोष दिखता है। उन्होंने कहा कि वात्सल्य भाव का यही रूप होता है कि वह अपने पराए में भेद नहीं समझता है। उन्होंने कहा कि चित्त वृत्ति में प्रभु रहेंगे तो प्रभु के लिए मन में व्याकुलता बढेगी और जीवन धन्य हो जाएगा। दीदी माँ ने कहा कि मृत्यु कब किस समय आ जाए कोई भी बता नहीं सकता है, लेकिन मन में प्रभु का नाम है तो मृत्यु भी आसान हो जाती है।
हम राम के हैं और राम है हमारे-
साध्वी दीदी माँ ऋतम्भराजी ने राम-भरत वियोग प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि भरत जैसे संत अगर जीवन में मिल जाएं तो कैकई जैसे दुष्टों का  मार्ग भी प्रशस्त हो जाता है, जिस भरत के लिए कैकई ने राम को अयोध्या त्यागने पर मजबूर कर दिया था, उस भरत ने राम के खातिर राजपाट को त्यागने का संकल्प ले लिया। दीदी माँ ने कहा कि हम राम के हंै और राम हमारे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी इंद्रियां भटकती रहती है, जिन्हें संकल्प के कोड़े से संयमित किया जा सकता है, वश में किया सकता है। जैसे घोड़े को वश में करने के लिए उस पर कोड़े से प्रहार किया जाता है, उसी तरह मन को वश में करने के लिए संकल्प का कोड़ा मारना पड़ता है।  दीदी माँ ने कहा कि संयम पाने के लिए मन को शांत करना होगा। दीदी माँ ने कहा कि चढ़ता है तूफान तो कभी उतरता है।  श्रीराम कथा में संघ प्रचारक धम~द्र आर्य, शेखर नाहर जावरा, दशपुर एसक्प्रेस के संपादक आरवी गोयल, हरयाणवी सिंगर वीर दाहिया, जम्बूकुमार जैन, मुकेश चौपड़ा जावद, नीमच जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष श्याम गुर्जर, राजेश सोनी, गौरव चौपड़ा समेत भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
प्रसादी का वितरण किया गया।

श्री रामकथा विश्राम आज
स्व. कंचनदेवी-प्रेमसुखजी गोयल व स्व. रोशनदेवी-मदनलाल चौपड़ा की स्मृति में साध्वी दीदी माँ ऋतम्भराजी के मुखारविंद से  दशहरा मैदान पर आयोजित श्री रामकथा का विश्राम आज 7 अक्टूबर को होगा। आयोजन समिति के संयोजक पवन पाटीदार ने बताया कि कथा के विश्राम अवसर पर दीदी माँ द्वारा हनुमान का सीता मिलन, रावण-कुंभकर्ण का वध, श्रीराम का सीता संग अयोध्या आगमन आदि प्रसंगों की व्याख्या की जाएगी।

आज श्रद्धालुओं को दीक्षा दंेगी दीदी माँ
नीमच। श्री रामकथा के अवसर पर दीदी माँ साध्वी ऋतम्भराजी आज शनिवार को श्रद्धालुओं को दीक्षा देंगी। दीक्षा कार्यक्रम सुबह 9 बजे श्री रामकथा स्थल वात्सल्य धाम दशहरा मैदान पर आयोजित होगा।  यह जानकारी वात्सल्य सेवा समिति के अध्यक्ष संतोष चौपड़ा ने दी।

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