वैश्विक कल्याण का महान ग्रंथ है गोस्वामी तुलसीदासजी का श्री रामचरित मानस-पू. स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज
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श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में मनाया तुलसीदास जयंती महोत्सव
मन्दसौर। हिन्दू सनातन धर्म ग्रंथ चारों वेद, 18 पुराण, उपनिषद, स्मृतियां आदि संस्कृत में रचित हिन्दू धर्मके जितने भी ग्रंथ है उन सबका मूल मंत्र, एक मात्र जीवों का कल्याण-सुख पहुंचाने का है जिसका व्यासजी ने संस्कृत में इस प्रकार उदृत किया है- अष्टादस पुराणेषु वचनम द्वय। परोपकराय पुण्याय पापाय पर पीड़नाम। ।
दूसरों का हित करना ही पुण्य और दूसरों को दुख देना सताना ही पाप है। इसी का रूपान्तर गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में ‘‘पर हित सरिस धर्म नहीं भाई। पर पीड़ा सम नहीं अधमाई।’’ से किया है।
श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में हरिद्वार के परम पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानंदजी महाराज ने 23 अगस्त को अपने चार्तुमास प्रवचन में गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर प्रवचन करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने संस्कृत के स्थान पर जनसाधारण की समझ को ध्यान में रखते हुए लोक भाषा में जिन 16 ग्रंथो की रचना की उनमंे श्री राम चरित मानस सर्वोपरी है।
श्री रामचरित मानस की एक-एक चौपाई में मानव मात्र के कल्याण की भावना निहित है रामचरित मानस अत्यंत प्रासंगिक है। गोस्वामीजी ने उत्तरकांड में जिस रामराज्य का वर्णन किया है वह केवल भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिये प्रेरणास्पद और अनुकरणीय है। चौपाई -देहिक देवकि भौतिक तापा। राम राज्य नहीं काहू ही व्यापा।।
शारीरिक, प्राकृतिक और सांसारिक रोग किसी को व्याप्त नहीं होता था और वर्तमान में तीनों एक साथ सबको पीड़ित किये हुए है। जिनसे बचने का उपाय एक मात्र जो तुलसीदास जी ने भगवान के नाम का स्मरण, ध्यान बताया है। तुलसीदासजी के जिस रामचरित मानस का विदेशों में सम्मान के साथ अध्यापन अध्ययन कराया जा रहा है उसकी भारत में प्रतियां जलाने के समाचार अत्यन्त सोचनीय है।
चातुर्मास प्रवचन का बड़ी संख्या में प्रतिदिन प्रातः 8.30 से 9.30 बजे तक प्रवचन का लाभ ले रहे हे।
सत्संग भवन ट्रस्ट अध्यक्ष जगदीशचन्द्र सेठिया ने बताया कि चातुर्मास का समापन 29 सितम्बर भादवा मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होगा। श्री केशव सत्संग भवन न्यास ने सभी श्रद्धालुओं से शेष रहे दिनों में सत्संग लाभ लेने की अपील की है।