लेबड नयागांव फोरलेन पर टोल वसूली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को जारी किया नोटिस
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सुप्रीम कोर्ट मे शुक्रवार को देश के मुख्य न्यायाधीश माननीय चन्द्रचूड तथा न्यायाधीश माननीया हीमा कोहली की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें लेबड-जावरा और जावरा-नयागाव फोरलेन पर टोल वसुली को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता तथा पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड डॉ.सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में उल्लिखित है कि जावरा-नयागांव रोड पर, वर्ष 2020 तक टोल टैक्स लगभग 1461 करोड़, जो कुल परियोजना लागत की तीन गुना से भी अधिक है, वसूला जा चुका है। कुल परियोजना लागत 471 करोड़ है। इसी प्रकार लेबड-जावरा सड़क पर, जिसकी परियोजना लागत 605 करोड़ थी, अब तक टोल 1325 करोड़ यानि परियोजना लागत का लगभग ढाई गुना वसूल किया जा चुका है। ठेके की अवधि 25 साल यानी 2033 तक है , और तब तक वसूला जाने वाला टोल कई गुना अधिक होगा जो जनता पर अत्यधिक और मनमाना कराधान है। तथा इन्डियन टोल एक्ट 1851के विपरीत है ।
सकलेचा ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी , जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उस आदेश के खिलाफ, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई ।
शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा अधिवक्ताओं ओल्जो जोसेफ और डॉ. सर्वम रितम खरे की सहायता से की गई दलीलें सुनने के बाद भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी किया एवम सरकार से जवाब तलब किया है।
इन दो सड़कों पर टोल संग्रह की चुनौती का असर पूरे मध्य प्रदेश में टोल टैक्स कलेक्शन और टोल नीति पर पड़ेगा, जिसे ठेकेदार के बजाय जनता के अनुकूल किया जाना चाहिए ।