शरीर के स्थान पर आत्मा को सुंदर बनायें – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
गुरूवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि आज का मनुष्य अपने शरीर का अच्छे से रखता है उस पर बहुत खर्च करता है खिलाता पिलाता है अच्छे कपडे पहनाता है सुंन्दर दिखने का हर प्रयास करता है। लेकिन
फिर भी शरीर में कुछ न कुछ चलता रहता कभी क्या तो कभी क्या। शास्त्रो के अनुसार शरीर नश्वर होता है, शरीर के उपर ध्यान देना अच्छी बात है साफ सुथरा रहना चाहिए लेकिन जितना साथ हम उपर से रहते है उससे भी अधिक हमें अपनी आत्मा को साफ सुथरा अर्थात् पवित्र रखना चाहिए। आपने बताया कि प्रभु के अनेकों जीवों का निर्माण किया है लेकिन उन्हें सर्वाधिक प्रिय मनुष्य ही है क्योंकि सिर्फ मनुष्य ही प्रभु भक्ति कर सकता अन्य जीव ऐसा नहीं कर सकते है। संतश्री ने बताया कि हमें प्रभु ने बनाया है इसलिए आत्मा को शुद्ध कर मन का्र प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए। आपने बताया कि मनुष्य की पांच इन्द्रियां होती है जो मनुष्य इन इन्द्रियों को काबू में कर लेता है वो जन्म मृत्यु के बंधन से आचार होकर मोक्ष पथ पर चल पडता है।
गुरूवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, उपाध्यक्ष राधेश्याम गर्ग, प्रहलाद पंवार, प्रवीण देवडा, कमल देवडा,रविन्द्र पाण्डेय, इंजि आर सी पाण्डेय, राव विजयसिंह,भगवतीलाल पिलौदिया, जगदीश गर्ग, घनश्याम भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।
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