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हमारे जीवन में संगत का विशेष महत्व होता है जो जिसके साथ रहता है वैसा ही हो जाता है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
सोमवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि हमारे जीवन में संगत का विशेष महत्व होता है हम जिसके साथ रहते है वैसे ही हो जाते है। इसलिए संगत का विशेष ध्यान रखें। आपने बताया कि भगवान शंकर को हमें एक आदर्श के रूप में अपने जीवन में उतारना चाहिए क्योंकि भगवान का शंकर के पास सबकुछ है फिर भी वे अपने लिए कुछ नहीं रखते लेकिन जो दूसरों जो कुछ भी उनसे मांगता है वे उसे दे देते है। आपने बताया कि भगवान शंकर के सिर पर चंद्रमा है जिससे अमृत टपकता है और गले में सांप है जिससे विष बाहर आता है लेकिन कभी भगवान ने अमृत से प्रेम और विष से भय नहीं रहा। स्वयं मां गंगा भी उनकी जटाओं से निकलती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर का स्वरूप वैराग्य का स्वरूप है। धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण की स्तुति की गई एवं आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, पं शिवनारायण शर्मा, संतोष जोशी, मोहन पारिख, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, घनश्याम भावसार, जगदीश गर्ग सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

 

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