ज्ञान से ही अज्ञनता को दूर किया जा सकता है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
शनिवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि हमें अपनी शक्तियों का अहसास होना चाहिए। लेकिन कभी अज्ञानता वश अपनी शक्तिायों का दुर्पयोग नहीं करना चाहिए। आपने बताया कि एक बार इन्द्रदेव को भगवान शंकर की तपस्या से भय लगा उन्हें लगा कि यदि कोई ज्यादा तपस्या कर लेगा तो मेरा सिंहासन चला जायेगा। लेकिन यह उनकी अज्ञानता थी इसी कारण उन्होने काम देव को भगवान शंकर की तपस्या में विघ्न करने पहुंचा दिया लेकिन कामदेव बाण चला – चलाकर परेशान हो गये लेकिन भगवान शंकर की तपस्या में विघ्न नहीं डाल पायें।
जैसे ही तपस्या पूरी हुई भगवान शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोला और उसका खामियाजा कामदेव को भुगतना पडा। आपने कहा कि अज्ञानता को ज्ञान के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। हम सभी के पास तीसरा नेत्र होता है जिसे ज्ञान नेत्र कहते है जो हमें तपस्या और ज्ञान से प्राप्त होता है। आपने कहा कि अज्ञानता के चलते किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए नाही उससे डरना चाहिए।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, मदनलाल गेहलोत, डाॅ रविन्द्र पाण्डेय, डाॅ रविन्द्र पाण्डेय, पं नितिन शर्मा, आनंदीलाल, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, घनश्याम भावसार, जगदीश भावसार, पं रूनवाल सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।