नए संसद भवन के प्रति आप सभी की भावनाएं युवाओं की कल्पना को एक नई उड़ान देने वाली हैं।-विजय कुमार गुप्ता
नए संसद भवन के प्रति आप सभी की भावनाएं युवाओं की कल्पना को एक नई उड़ान देने वाली हैं।-विजय कुमार गुप्ता
गुजरात राज्य के सुरत के प्रतिष्ठित उद्योगपति , चर्चित समाजसेवी, देश के वैश्य समाज के नेताओ में से एक विजय कुमार गुप्ता ने नए संसद भवन पर सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि
यह केवल लाल रंग की शिला, हरे रंग के कार्पेट और राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंखों को प्रतिबिम्बित करता एक भवन मात्र नहीं, इसमें सम्राट अशोक के धर्म चक्र से ले कर चोल राजाओं के सेंगोल और राजपूत राजाओं के भवन निर्माण शैली की झलक दिखती है। जहाँ से विदेशी हमारी दासता के लिए कानून रचते थे, वहीं से बैठ कर सत्ता चलाना हमारी विवशता रही होगी, पर आज उभरते भारत की वैश्विक स्थिति नए संसद की छत पर विराजमान चार गरजते सिंहों की भाँति है कि हमारी दृष्टि चहुँदिस है, हम तैयार हैं इसकी रक्षा हेतु।
जब एक नया राष्ट्र दासता त्याग, स्वतंत्र और संप्रभु अस्तित्व में आता है, तब उसे अपनी आकांक्षाओं, संस्कृति और सभ्यता के मूर्त रूप में एक ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता होती है, जो उसकी जनसंख्या एवम् भौगोलिक, सांस्कृतिक तथा पारंपरिक विविधता का प्रतिनिधित्व करे। चुनी हुई संसद के जनप्रतिनिधि उसका वैयक्तिक रूप हैं परंतु यह जो संसद आप देख रहे हैं, वह अपने दासत्व को पीछे छोड़, पचहत्तरवें वर्ष में उन्हीं मूल्यों का स्थूल रूप है, जिसकी सूक्ष्मता से हम सब अवगत हैं।
यह हमारी स्वतंत्रता की क्रांति और उसके परिणाम का एक संग्रहालय भी है और प्रत्यक्ष अभिलेखागार भी। यह हमारी राष्ट्रीयता की घनी, विस्तृत जड़ भी है और भविष्य के भारत का नवपल्लवन भी। यह हमारा आत्मबोध भी है, इतिहासबोध भी।
आधुनिकता और परंपरा के समायोजन को चिह्नित करता यह भवन भविष्योन्मुख है क्योंकि आज के नए भारत को पुराने संसद की सीमाएँ सँभालने में अक्षम हैं। यह भवन भव्य है, उत्कृष्ट है और भारतीय स्थापत्य कला का एक अप्रतिम नमूना है।
नए संसद भवन को लेकर आपकी और हमारी ये भावनाएं हर किसी को उमंग और उत्साह से भर देने वाली हैं।
विजय कुमार गुप्ता ने सभी देशवासियों को बहुत बहुत बधाई दी।