इतिहास दर्शनमंदसौर जिलाशामगढ़

आराध्य देवी महिषासुर मर्दिनी 500 से अधिक वर्षों से भक्तों को दर्शन आशीर्वाद प्रदान कर रही

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शामगढ़। नगर की आराध्य देवी महिषासुर मर्दिनी माताजी अपने धाम में लगभग 500 से अधिक वर्षों से भक्तों को दर्शन आशीर्वाद प्रदान कर रही । शामगढ़ नगर में पहाड़ी क्षेत्र पर बना हुआ है। ऐसी किंवदंती है कि नवरात्रि में मां महिषासुर मर्दिनी अलग-अलग मुद्रा में भक्तों को दर्शन देती है। मंदिर के इतिहास को लेकर जानकारी और चर्चाओं के अनुसार अविभाजित मंदसौर जिले के तथा वर्तमान में नीमच जिले के रामपुरा निवासी राजपूत सरदार श्यामसिंह चंद्रावत अपने परिवार के साथ विक्रम संवत 1523 में यहां लाल टेकरी पर आकर बस गए थे। उन्होंने अपना यहां गढ़ बनाकर अपने नाम के अनुसार इस स्थान का नाम श्यामगढ़ रखा था। कहा जाता है कि श्याम सिंह चंद्रावत मां महिषासुर मर्दिनी का भक्त था जिसने लगभग 557 वर्ष पहले मां महिषासुर मर्दिनी के इस धाम को बनाया वर्ष 1946 के बाद वैद्य बालाशंकर चौहान ने मंदिर का समुचित विकास करने के लिए समिति का गठन कर मंदिर में भव्यता प्रदान करने के लिए कांच लगवाए गए यह कांच के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। मां के इस धाम पर निरंतर भक्तों का आवागमन होता रहता है खासकर नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा सकती है यहां पर नवरात्रि में भक्त मां की आराधना करते हैं वही नवरात्रि के नवमी को दुर्गा नवमी के रूप में मां की पूजा कर चुल का आयोजन और हवन पूर्णाहुति से लेकर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है ।

पंडित बगदीराम योगी के अनुसार मां महिषासुर मर्दिनी देवी माता मंदिर में दोनों नवरात्रि पर विशेष सिंगार प्रत्येक दिन एवं मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से सजावट की जाती है यहां पर नवरात्रि की अष्टमी व नवमी के दिन बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ रहती है।

आस्था का केंद्र बने मां महिषासुर के इस मंदिर क्षेत्र का क्षेत्रफल बड़ा होने पर नगर परिषद शामगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया से पशु मेले का आयोजन किया जाने लगा। वर्तमान में मंदिर के संचालन व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारियों के देखरेख में संचालित होती है। मंदिर के भव्य नव निर्माण केंद्र को लेकर भक्तों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं मंदिर को करोड़ों रुपए की लागत से प्रशासन एवं जन सहयोग से मंदिर का निर्माण होना प्रस्तावित है के सेतु मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों द्वारा श्रद्धालु भक्तजनों से लगातार समर्पण राशि एकत्रित की जा रही है।

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