ईश्वर ने जो दिया वह दान पुण्य और सत्कर्म से दिया इसलिए हमें हमेशा सत व पुरुषार्थ के कार्यों में लगे रहना चाहिए – डॉ कृष्णानंद जी

ईश्वर ने जो दिया वह दान पुण्य और सत्कर्म से दिया इसलिए हमें हमेशा सत व पुरुषार्थ के कार्यों में लगे रहना चाहिए – डॉ कृष्णानंद जी


पंकज बैरागी
सुवासरा। मधुवन होटल एंड रिसॉर्ट, सुवासरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का प्रारंभ आरती के साथ हुआ आरती के बाद समिति के सदस्यों एवं गणमान्य नागरिकों एवं परिवार के सभी सदस्यों ने कथा व्यास संत डॉक्टर कृष्णानंद जी महाराज का माला पहनाकर स्वागत सम्मान किया।
कथा व्यास डॉक्टर कृष्णानंद जी ने द्वितीय दिवस की कथा भगवान नाम संकीर्तन गोविंद मेरो है गोपाल मेरो है से प्रारंभ कर बताया की यह मानव जीवन बड़ी मुश्किल से प्राप्त हुआ जी है। हमें इसे प्राप्त करके प्रभु के स्मरण, भजन और ध्यान में लगाना चाहिए। मानव जीवन का लाभ यही है कि नारायण की सेवा हमेशा स्मृति में बनी रहे। साथ ही जिंदगी जीने के लिए नियम अवश्य ही बनाना चाहिए। जिंदगी सरल एवं सहज हो सके।
महाराज श्री ने व्यास पीठ से बताया कि राजा परीक्षित को मृत्यु का भय था । राजा परीक्षित ने सब कुछ त्याग करके गंगा तट पर श्री सुखदेव भगवान के पास जाते हैं । राजा परीक्षित को सुखदेव भगवान श्रीमद् भागवत की कथा सुनाते है।भगवान के दिव्य चरित्रों के माध्यम से व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहि। ईश्वर ने जो दिया है वह आपके दान पुण्य और सत्कर्म से दिया है । इसलिए हमें हमेशा सत कार्यों में एवं पुरुषार्थ के कार्यों में रहना चाहिए। ईश्वर सिर्फ भाव के भूखे हैं, वह आपसे प्रेम और समर्पण चाहते हैं। कहते हैं कि हर समस्या का हल तप और साधना ही है। जीवन में तप और साधना बहुत ही आवश्यक है । हमारे तप और साधना की कमी कारण ही जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती है । भगवान का स्मरण भजन, मंत्र जाप ध्यान और साधना करने से समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है । आगे की कथा प्रसंग में ध्रुव चरित्र एवं भगवान कपिल का प्रसंग सुनाया कथा के दौरान भगवान भोलेनाथ ध्रुव पर भगवन नारायण की सुंदर झांकियां सजाई गई कथा में बहुत सुंदर भजन सुनाए एवं भक्तों ने आनंद के साथ भजनों पर नृत्य किया । कथा का विराम ठीक 4:15 बजे आरती के साथ हुआ । कथा में उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद का वितरण किया गया।



