स्वास्थ्य

मधुमेह (Diabetes): जानिए, समझिए और जीतिए

विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) पर विशेष

मधुमेह (Diabetes): जानिए, समझिए और जीतिए

आज 14 नवंबर को हम सब ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मना रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), मंदसौर की ओर से, हमारा उद्देश्य मधुमेह या डायबिटीज़ (जिसे आम भाषा में ‘शुगर की बीमारी’ भी कहते हैं) के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसी स्थिति है जो धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करती है, लेकिन सही जानकारी और जीवनशैली में बदलाव से इसे न केवल नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि कई मामलों में टाइप 2 मधुमेह को रोका भी जा सकता है।

मधुमेह आखिर है क्या?

जब हम भोजन करते हैं, तो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं को काम करने के लिए शुगर (ग्लूकोज) की आवश्यकता होती है । यह शुगर हमारे खून से कोशिकाओं तक इंसुलिन नामक हॉर्मोन की मदद से पहुंचती है । इंसुलिन हमारे पेट में स्थित पैंक्रियास (अग्न्याशय) नामक अंग द्वारा बनाया जाता है ।

मधुमेह तब होता है जब या तो पैंक्रियास पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता, या शरीर की कोशिकाएं उस इंसुलिन पर सही प्रतिक्रिया नहीं करतीं । दोनों ही सूरतों में, शुगर कोशिकाओं में जाने के बजाय खून में जमा होने लगती है, जो शरीर के लिए हानिकारक है।

मधुमेह के मुख्य प्रकार

मुख्य रूप से मधुमेह दो प्रकार का होता है:

टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes):

यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की अपनी रक्षा प्रणाली (immune system) गलती से पैंक्रियास में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है । नतीजतन, शरीर में इंसुलिन बहुत कम या बिलकुल नहीं बनता । यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अक्सर बच्चों या युवाओं में पाया जाता है । इसके इलाज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन या पंप की जरूरत होती है ।

टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes):

यह सबसे आम प्रकार है (लगभग 90% मरीज इसी श्रेणी में आते हैं) । इसमें शुरुआत में शरीर इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन कोशिकाएं उस पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करतीं (इसे ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ कहते हैं)। समय के साथ, पैंक्रियास शरीर की बढ़ी हुई जरूरत को पूरा नहीं कर पाता और इंसुलिन बनाना कम कर देता है ।

लक्षणों को पहचानें: खतरा कहाँ है?

मधुमेह के प्रकार के आधार पर लक्षण अलग हो सकते हैं।

टाइप 1 के लक्षण अक्सर जल्दी और स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, जैसे:

बहुत ज्यादा प्यास लगना

बार-बार पेशाब आना

अचानक वजन कम होना

बहुत थकान महसूस होना

धुंधला दिखना

टाइप 2 का सबसे बड़ा खतरा यह है कि अक्सर इसके शुरुआती लक्षण होते ही नहीं हैं । लोग सालों तक बिना जाने इस बीमारी के साथ जीते रहते हैं, जबकि खून में बढ़ी हुई शुगर शरीर को अंदर ही अंदर नुकसान पहुंचा रही होती है। जब लक्षण दिखते हैं, तो वे बहुत हल्के हो सकते हैं, जैसे:

बार-बार पेशाब आना

अत्यधिक प्यास लगना

धुंधला दिखना

जोखिम किसे है और क्या बचाव संभव है?

टाइप 1 मधुमेह को रोकना मुश्किल है, लेकिन टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारकों को पहचानकर उसे रोका जा सकता है या लंबे समय तक टाला जा सकता है।

टाइप 2 के मुख्य जोखिम कारक:

मोटापा या अधिक वजन: यह सबसे बड़ा जोखिम कारक है ।

पारिवारिक इतिहास: यदि माता-पिता या भाई-बहन को मधुमेह है ।

खराब जीवनशैली: अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता।

गर्भावस्था (Gestational Diabetes): जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शुगर की समस्या हुई हो, उन्हें बाद में टाइप 2 होने का खतरा अधिक होता है।

“प्री-डायबिटीज” (Prediabetes) को समझें:

यह एक चेतावनी है। इस स्थिति में आपका ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना नहीं कि उसे मधुमेह कहा जा सके। अच्छी खबर यह है कि जीवनशैली में सही बदलाव करके, प्री-डायबिटीज को वापस सामान्य किया जा सकता है और टाइप 2 मधुमेह से बचा जा सकता है ।

स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं । मीठे पेय (शर्बत, कोल्ड ड्रिंक, जूस) से बचें ।

सक्रिय रहें: हफ्ते में ज्यादातर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें । पैदल चलना भी एक बेहतरीन व्यायाम है।

वजन नियंत्रित करें: यदि आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने से बहुत फर्क पड़ता है।

धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान भी मधुमेह का खतरा बढ़ाता है।

मधुमेह का प्रबंधन: सिर्फ शुगर ही नहीं, “ABCs” पर ध्यान दें

यदि आपको मधुमेह है, तो सिर्फ ब्लड शुगर को नियंत्रित करना ही काफी नहीं है। मधुमेह हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा 2 से 3 गुना बढ़ा देता है। इसलिए, प्रबंधन के “ABCs” को याद रखें:

A = A1C (ए-वन-सी):

यह पिछले 2-3 महीनों का औसत ब्लड शुगर बताता है। ज्यादातर लोगों के लिए इसका लक्ष्य 7% से कम होना चाहिए ।

B = Blood Pressure (ब्लड प्रेशर):

शुगर के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना हृदय और गुर्दों के लिए बहुत जरूरी है 39।

C = Cholesterol (कोलेस्ट्रॉल):

खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को नियंत्रित रखने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।

इलाज के मुख्य स्तंभ:

स्वस्थ आहार और व्यायाम मधुमेह प्रबंधन की नींव हैं। टाइप 1 के मरीजों को हमेशा इंसुलिन की आवश्यकता होती है । टाइप 2 के मरीजों का इलाज जीवनशैली में बदलाव के साथ शुरू होता है , जिसके बाद मेटफॉर्मिन जैसी गोलियों, या अन्य दवाओं और इंसुलिन की जरूरत पड़ सकती है।

गंभीर जटिलताओं (Complications) से बचें

अनियंत्रित मधुमेह शरीर के कई अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है:

आंखें (Diabetic Retinopathy):

यह अंधापन का एक प्रमुख कारण है । खतरनाक बात यह है कि शुरुआती दौर में इसका कोई लक्षण नहीं होता ।

जरूरी है: टाइप 1 के मरीजों को निदान के 3-5 साल बाद और टाइप 2 के मरीजों को निदान होते ही तुरंत अपनी आंखों की जांच (पर्दे की जांच) करानी चाहिए ।

गुर्दे (Kidney):

मधुमेह गुर्दे खराब (किडनी फेलियर) कर सकता है ।

नसें (Nerves) और पैर (Feet):

यह नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हाथों और पैरों में झुनझुनी, दर्द या सुन्नपन हो सकता है । पैरों के सुन्न होने से चोट लगने का पता नहीं चलता, जो बाद में घाव (ulcer) और गैंग्रीन का रूप ले सकता है, जिससे पैर काटने (amputation) तक की नौबत आ सकती है।

जरूरी है: अपने पैरों की रोज जांच करें। आरामदायक जूते पहनें और कभी भी नंगे पैर न चलें ।

हृदय और मस्तिष्क:

जैसा कि पहले बताया गया है, यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।

एक जरूरी चेतावनी: लो ब्लड शुगर (Hypoglycemia)

जो मरीज इंसुलिन या कुछ विशेष गोलियां (जैसे सल्फोनील्यूरिया) लेते हैं, उनका ब्लड शुगर कभी-कभी बहुत कम हो सकता है। इसके लक्षण हैं: पसीना आना, कांपना, घबराहट, तेज भूख लगना या उलझन (confusion)। यह एक इमरजेंसी है और इसका तुरंत इलाज (जैसे जूस, शक्कर या कैंडी) करना चाहिए 58।

IMA मंदसौर का संदेश

मधुमेह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है। आप एक अनुशासित जीवनशैली, सही इलाज और अपनी “ABCs” की नियमित जांच से एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

इस विश्व मधुमेह दिवस पर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), मंदसौर आप सभी से, विशेषकर उन लोगों से जिनमें जोखिम कारक हैं, आग्रह करता है कि वे अपने ब्लड शुगर की जांच अवश्य कराएं। याद रखें, जानकारी ही आपका सबसे बड़ा बचाव है।

(इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मंदसौर द्वारा जनहित में जारी)

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