समाचार मध्यप्रदेश मंदसौर 23 अक्टूबर 2025 गुरुवार

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गौ माता को पाले एवं गौ माता की सेवा करें – उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा
उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने लामगरी स्थित कमलमुनि चिन्मयानंद गौशाला में गोवर्धन पूजा की
अन्नकूट में शामिल हुए एवं प्रसादी ग्रहण की
मंदसौर 22 अक्टूबर 25/ उप मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन श्री जगदीश देवड़ा ने सह पत्नीक गुरूदेव कमलमुनि चिन्मयानंद गौशाला, लामगरी-नगरी में गोवर्धन पूजा एवं गौ पूजा की। उन्होंने गौ माता को गुड़ एवं रोटी खिलाई तथा गाय-बछड़ों को दुलारा। इस अवसर पर लोकसभा सांसद श्री सुधीर गुप्ता, राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर, श्री राजेश दीक्षित, जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री बसंत शर्मा, श्री नानालाल अटोलिया, नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती संगीता घनश्याम बगड़, श्री अनिल गुप्ता, श्री आशीष गुप्ता सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी एवं ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने इस अवसर पर सभी को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि हम सभी को गौ माता की सेवा करनी चाहिए, गाय को पालना चाहिए। हमारी सनातन संस्कृति हमें प्रकृति से जुड़ना सिखाती है। गौ माता अपने बछड़े के साथ हम सबका भी ध्यान रखती हैं।
उन्होंने कहा कि हम सभी को स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत का मार्ग स्वदेशी से होकर जाता है। छोटे एवं कुटीर उद्योगों से निर्मित वस्तुएं खरीदें, हर घर स्वदेशी और घर-घर स्वदेशी का संकल्प लें। उन्होंने आगे कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, इसके लिए हमें स्वदेशी चीजों को अपनाना होगा। गौशाला में बिजली की व्यवस्था शीघ्र कराई जाएगी। इस अवसर पर उन्होंने किसानों को भावांतर भुगतान योजना की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सोयाबीन के लिए भावांतर भुगतान योजना प्रारंभ की गई है, जो किसानों और व्यापारियों के बीच सेतु का कार्य करेगी।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर ने कहा कि प्रकृति ही हमें सब कुछ प्रदान करती है, अतः उसका संरक्षण करना हमारा दायित्व है। उन्होंने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं।कार्यक्रम के अंत में उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने गौशाला सेवादारों का सम्मान किया तथा अन्नकूट प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम का संचालन श्री बृजेश जोशी एवं आभार श्री राजेश धाकड़ द्वारा व्यक्त किया गया।
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भारतीय डाक विभाग की अखिल भारतीय ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता की अंतिम तिथि 14 दिसम्बर तक
मंदसौर 22 अक्टूबर 25/ डाकघर अधीक्षक द्वारा बताया गया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा “अखिल भारतीय ढाई आखर पत्र लेखन अभियान” वर्ष 2025-26 के तहत पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन 8 दिसम्बर 2025 तक किया जा रहा है | इस वर्ष प्रतियोगिता का विषय “मेरे आदर्श का पत्र: Letter to my Role Model“ निर्धारित किया गया है। प्रतियोगिता सभी आयु वर्ग के लिए रखी गई है, जिसमे अठारह वर्ष तक तथा अठारह वर्ष के अधिक की दो श्रेणियां रखी गई है। इन दो श्रेणियों में अंतर्देशीय पत्र (अधिकतम 5 सो शब्दों में ) एवं लिफाफा (अधिकतम 1 हजार शब्दों में) की दो उपश्रेणियां रखी गई है।
हस्त लिखित पत्र हिंदी / अंग्रेजी में अधीक्षक डाकघर, मंदसौर संभाग, मंदसौर-458001 के कार्यालय के पते पर रजिस्टर्ड डाक / स्पीड पोस्ट के माध्यम से अथवा हाथों-हाथ भेजा जा सकता है। पत्र में प्रतिभागी को उम्र के सम्बन्ध में स्वहस्ताक्षरित प्रमाण पत्र देना होगा कि 1 सितम्बर 2025 को मेरी आयु 18 वर्ष से कम/अधिक है। मध्यप्रदेश परिमंडल से प्रत्येक उपश्रेणी के सर्वश्रेष्ठ तीन पत्रों को क्रमश: रू. 25 हजार रूपये, 10 हजार रूपये एवं 5 हजार रूपये से पुरुस्कृत किया जायेगा एवं चयनित पत्रों को अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु महानिदेशालय नई दिल्ली भेजा जाएगा।
महानिदेशालय नई दिल्ली द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रत्येक उपश्रेणी में चयनित सर्वश्रेष्ठ तीन पत्रों को क्रमश : 50, हजार रूपये, रु 25 हजार रूपये एवं रु 10 हजार रूपये से सम्मानित किया जायेगा। पत्र पोस्ट करने की अंतिम तारीख 14 दिसम्बर 2025 रखी गयी है। इसक बाद पोस्ट किये गये पत्रों पर विचार नहीं किया जाएगा।
परिमंडल स्तर पर चयनित प्रतिभागियों का परिणाम 23 जनवरी 2025 तक घोषित किया जावेगा। परिमंडल प्रमुख श्री विनीत माथुर ,मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, मध्यप्रदेश परिमंडल,भोपाल ने मध्यप्रदेश के सभी नागरिको से “अखिल भारतीय ढाई आखर पत्र लेखन अभियान” से जुड़ने की अपील की है।
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विद्युत कार्यों के पर्यवेक्षण हेतु पर्यवेक्षक परीक्षा के लिए ऑनलाईन आवेदन आमंत्रित
पर्यवेक्षक परीक्षा के लिए आवेदन करने की करने की अंतिम तिथी 16 नवंबर
मंदसौर 22 अक्टूबर 25/ ऊर्जा विभाग सहायक यंत्री विद्युत सुरक्षा एवं सहायक विद्युत निरीक्षक द्वारा बताया गया कि जिला मंदसौर के विद्युत संबंधी कारोबार से जुङे समस्त नागरिकों के लिए मध्यप्रदेश अनुज्ञापन मंडल (विद्युत), भोपाल के द्वारा प्रतिवर्ष की भांति विद्युत कार्यों के पर्यवेक्षण के लिये सक्षमता (Competency) हेतु पर्यवेक्षक परीक्षा-जनवरी 2026 आयोजित की जा रही है।
परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि 16 नवंबर 2025 तक है। जिसकी पात्रता संबंधित जानकारी/ऑनलाइन परीक्षा फार्म लिंक
https://esd.mponline.gov.in/Portal/Services/MPED/MPEDHome.aspx पर उपलब्ध हैं। जिसका प्रदेश स्तरीय परीक्षा केन्द्र भोपाल है। CEA विद्युत सुरक्षा रेगुलेशन में प्रावधान अनुसार विद्युत कार्यों का पर्यवेक्षण सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण व्यक्ति ही सकता है। अधिक जानकारी के लिए लिंक
https://esd.mponline.gov.in/Portal/Services/MPED/MPEDHome.aspx या सहायक यंत्री विद्युत सुरक्षा एवं सहायक विद्युत निरीक्षक, विद्युत निरीक्षकालय, ऊर्जा विभाग पर संपर्क कर सकते है।
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बहनों, युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए सरकार निरंतर प्रयत्नशील : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
लाड़ली बहनों से किया वादा होगा पूरा
मंदसौर 22 अक्टूबर 25/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में बहनों, युवाओं, किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बहनों को भाईदूज के अवसर पर लाड़ली बहना योजना में 250 रुपए की राशि देने का वादा पूरा किया जा रहा है। अब बहनों के योजना के अंतर्गत 1500 रुपए प्राप्त होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा की तरह लाड़ली बहनों को यह राशि योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी लाड़ली बहनों को भाईदूज की बधाई भी दी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज के त्यौहार सौगात देने का अवसर बने हैं। इस क्रम में किसानों को प्राकृतिक आपदा से प्रभावित फसलों के लिए 1800 करोड़ की राहत राशिजिलों में दी गई। प्रत्येक क्षेत्र में अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, पीला मोजेक जैसी समस्याओं का सर्वे करवाकर किसानों को मदद पहुंचाई गई। इसके लिए जिलों में आवश्यक प्रबंधन किया गया। सरकार अन्नदाता के जीवन में आए कष्ट में उसके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को ईदगाह हिल्स में निर्धन बेटियों के साथ दीपावली मनाने के बाद टीवी चैनल प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे।
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गौरवशाली इतिहास से युवा वर्ग को परिचित करवाने का सशक्त माध्यम बना, महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य
मंदसौर 22 अक्टूबर 25/ भारतीय इतिहास में अनेक प्रतापी शासक हुए हैं। ऐसे ही शासक थे सम्राट विक्रमादित्य। उन्होंने न्याय, शौर्य और कालगणना के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुआ। सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में इस वर्ष बहुआयामी प्रयास हुए हैं। कुछ वर्ष पहले वार्षिक विक्रमोत्सव प्रारंभ हुआ, फिर विक्रम विश्वविद्यालय का नाम संशोधित किया गया, जो विक्रम विश्वविद्यालय था। यह सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिष्ठा के अनुकूल सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय हो गया है। ये सब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से हुआ है।
मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर राजधानी के नागरिक महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य देखेंगे। विक्रम संवत प्रारंभ करने वाले कल्याणकारी शासक रहे सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में महत्वपूर्ण कदम मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी स्थापित की गई है। वार्षिक विक्रम उत्सव की शुरुआत कर राज्य सरकार ने सम्राट विक्रमादित्य को यथोचित सम्मान देने का कदम उठाया था। शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत का भी उल्लेख प्रारंभ किया गया है। इस क्रम में हाल ही में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का नई दिल्ली में अप्रैल- 2025 में मंचन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस महानाट्य के माध्यम से रंगमंच के महत्व से भी पूरे राष्ट्र को अवगत करवा दिया है। वैसे तो इस डिजिटल युग में सूचना और मनोरंजन के कई फॉर्मेट लोकप्रिय हो चुके हैं, लेकिन भारतीय नाट्यशास्त्र की सुदृढ़ और समृद्ध परंपरा से जन-जन को विशेष रूप से युवा वर्ग को परिचित करवाने के लिए नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य नाटक का निरंतर तीन दिन मंचन होना महत्व रखता है। मध्यप्रदेश से जो संदेश पूरे राष्ट्र में पहुंचा है वह यह है कि अभिनय, प्रकाश संयोजन, संगीत, वेशभूषा और विशाल मंच के माध्यम से हमारे पौराणिक चरित्रों का जीवन सामने आना चाहिए। हमारे वे आदर्श शासक और आराध्य जो युवा पीढ़ी द्वारा भुला दिए गए हैं उन्हें युवा पीढ़ी को जानकारी देकर इस गौरवशाली अध्याय से अवगत करवाना सराहनीय है। युवाओं में सृजन की शक्ति है, जिज्ञासा का तत्व भी विद्यमान है तो फिर उन्हें इन राष्ट्र के आदर्श प्रतीकों की जानकारी से वंचित क्यों रखा जाए और बच्चे भी कलाओं के प्रति रुचि रखते हैं, वे भी इस विधा के लिए जिज्ञासु हो सकते हैं। उन्हें महान व्यक्तित्वों के बारे में ज्ञानवर्धक विवरण देने वाले नाटक मंचन से जोड़ा जाए, यह समय की मांग है।
राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
सम्राट विक्रमादित्य के गुणों के अनुकूल योगदान देने वाले व्यक्ति सम्मानित हों, इस उद्देश्य से जहां पांच-पांच लाख रूपए के तीन राज्य स्तरीय सम्मान देने का प्रावधान किया गया, वहीं 21 लाख रूपए के राष्ट्रीय सम्मान और एक करोड़ एक लाख रूपए सम्मान निधि के अंतर्राष्ट्रीय विक्रमादित्य सम्मान प्रारंभ करने की पहल की गई। निश्चित ही यह सम्मान और पुरस्कार सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन, साहस और भारतीय संस्कृति को पोषित करने की परम्पराओं को निरंतर बनाए रखने के लिए प्रेरक बनेंगे।
प्रतापी शासक राजा भोज और अन्य सेनानियों की गाथा भी आएगी मंच पर
भोपाल में कुछ वर्ष पूर्व लाल परेड मैदान पर “जाणता राजा” का हिंदी में मंचन हुआ, जिसमें शिवाजी महाराज के कृतित्व को दर्शाया गया था। हालांकि जाणता राजा नाटक का एकाध मंचन ही हुआ। देश की राजधानी में लाल किले पर तीन दिन लगातार सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का नवाचार है। हमारे ऐसी दानवीर शासक जिन्होंने वीरता और न्याय के क्षेत्र में भी दृष्टांत स्थापित किए, वे पाठ्य-पुस्तकों में तो आ गए लेकिन पाठ्य- पुस्तकों से बाहर मंच तक क्यों न पहुंचें। आखिर युवा पीढ़ी को उनकी विस्तार पूर्वक जानकारी क्यों नहीं दी जाना चाहिए? यह नवाचार अवश्य ही अन्य राज्यों तक जाएगा। सम्राट विक्रमादित्य के कार्यों की जानकारी देश भर के नागरिकों को मिलेगी। यही नहीं भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, राजा भोज, सम्राट अशोक और स्वतंत्रता सेनानियों सहित भारत के अन्य गौरवशाली महापुरुषों के कृतित्व की गाथा बताने वाली नाट्य प्रस्तुतियां भी होंगी। नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य नाट्य मंचन सफल रहा है। हाथी, घोड़ों के उपयोग और बीसियों की संख्या में कलाकार दल के साथ इतिहास के उस दौर को जीवंत करना साधारण कार्य नहीं है। संस्कृति विभाग, विक्रमादित्य पीठ, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक संगठन इसके लिए एकजुट हुए। दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने इन कार्यक्रमों के लिए जो समन्वय किया उसकी भी मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रशंसा की है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प की भी पूर्ति होगी
राज्यों में नाटक सहित लोक कलाओं के विकास के साथ भारतीय गौरव का स्मरण करते हुए देश की प्राचीन संस्कृति, भारतीय अस्मिता को सामने लाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ कहने के लिए “विरासत से विकास” की बात नहीं कही, वे चाहते हैं इसका दायरा विस्तृत हो। हमारे युवा हेरिटेज वॉक करें। वे किलों और स्मारकों को देखें।
शौर्य और मेधा के धनी भारत के शासकों के योगदान से परिचित हों। भारतीय स्वाभिमान के प्रसंग चर्चा का विषय बनें। सिर्फ बंद कमरों में संगोष्ठियां न हों बल्कि भारत के ऐसे गौरवशाली व्यक्तित्व बच्चों के बीच भी जाने जाएं। स्कूली पाठ्यक्रम से लेकर विद्यालयों, महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सगर्व उनका उल्लेख हो और नाट्य मंचन उस थ्योरी को प्रैक्टिकल रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत करें। महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य का मंचन युवाओं को रंगमंच विधा की ओर आकर्षित करने के लिए प्रेरित करेगा।
रंगमंच कलाकार भी हुए उत्साहित
रंगमंच से जुड़े देश के हजारों कलाकारों का मन हर्षित है और वे मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रति आभार का भाव रखते हैं जो उन्होंने इस कला को महत्व और राज्याश्रय भी दिया। सैकड़ों कलाकारों को प्रोत्साहित किया। थिएटर की शक्ति सही दिशा में और सही विषय को लेकर दिखाई दी है। इस नाते मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर लाल परेड ग्राउंड भोपाल में दो और तीन नवम्बर को होने जा रहा नाटक विक्रमादित्य का मंचन दर्शकों द्वारा निश्चित ही पसंद किया जाएगा।
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