मंदसौर में फर्जी रजिस्ट्री कांड का हुआ खुलासा, मृत व्यक्ति को जिंदा बताकर दस्तावेजों में हेरफेर कर किया सौदा

मंदसौर में फर्जी रजिस्ट्री कांड का हुआ खुलासा, मृत व्यक्ति को जिंदा बताकर दस्तावेजों में हेरफेर कर किया सौदा
मंदसौर। मंदसौर जिले में एक सनसनीखेज फर्जी रजिस्ट्री कांड का खुलासा हुआ है, जिसमें संगठित गिरोह ने मृत व्यक्ति को जिंदा दिखाकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीन का सौदा कर दिया। यशोधर्मन नगर थाना पुलिस ने मुख्य आरोपी दशरथ सिंह चंद्रावत, फर्जी गवाही देने वाले अखिलेश शर्मा, महेश माली, और खुद को राजेंद्र कुमार शुक्ला बताने वाले व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है।
मामले का खुलासा
रजिस्ट्रार कार्यालय में जांच शुरु हुई, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में पता चला कि रजिस्ट्री में उपयोग किया गया आधार कार्ड फर्जी था। क्रेता दशरथ सिंह चंद्रावत द्वारा विक्रेता को दिया गया चेक भी संदिग्ध था, जिसका भुगतान असली राजेंद्र कुमार शुक्ला को नहीं, बल्कि अन्य व्यक्तियों को किया गया। सबसे हैरानी की बात यह रही कि जिस राजेंद्र कुमार शुक्ला के नाम से रजिस्ट्री की गई, उनकी मृत्यु 2023 में हो चुकी थी, जबकि रजिस्ट्री 2024 में कर दी गई।
संगठित गिरोह की करतूत
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने संगठित गिरोह की तरह काम करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार किए और रजिस्ट्री कार्यालय में मृतक के नाम पर सौदा पूरा किया। इस मामले में जिस जमीन पर वर्तमान में जीवन कुमावत नरसिंहपुरा का कब्जा है और जिसने दशरथ सिंह चंद्रावत से एग्रीमेंट किया था, वह सौदा भी संदेह के दायरे में है।
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
यशोधर्मन नगर थाना पुलिस ने फर्जी दस्तावेज तैयार करने और सहयोग करने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और फर्जी रजिस्ट्री से जुड़े अन्य लोगों पर भी कार्रवाई होगी। इस कांड में और बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
यह मामला मंदसौर में फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन हड़पने के संगठित नेटवर्क की गंभीरता को दर्शाता है। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता से इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। जांच पूरी होने पर इस मामले में और सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।
संपदा 2.0 सॉफ़्टवेयर प्रणाली से फर्जी आधार से संपत्ति हस्तांतरण का मामला उजागर
पंजीयक श्री प्रशांत पाराशर द्वारा बताया गया कि कार्यालय में दर्ज एक प्रकरण की जांच में फर्जी आधार का उपयोग कर संपत्ति का विक्रय पत्र (सेल डीड) संपन्न कराए जाने का मामला सामने आया है।
शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन के अनुसार पंजीयन क्रमांक MP249392024A1759159, 14 जून के अंतर्गत विक्रय पत्र में विक्रेता राजेन्द्र कुमार शुक्ला का आधार कार्ड संलग्न कर हस्तांतरण किया गया था। इस संबंध में UIDAI रीजनल ऑफिस, दिल्ली से जांच करने पर पाया गया कि प्रस्तुत आधार क्रमांक 4183 5803 9441 UIDAI के डेटाबेस में उपलब्ध ही नहीं है और यह आधार अवैध है।
जांच में यह भी सामने आया कि विक्रय संपत्ति के भुगतान हेतु खरीदार द्वारा दिए गए चेक का विवरण भी संदिग्ध एवं असत्य पाया गया। अतः प्रथम दृष्टया यह मामला फर्जी एवं षड्यंत्र की श्रेणी में लगा। तत्पश्चात विक्रय पत्र के पंजीयन को अमान्य मानते हुए निरस्त कर दिया गया है। साथ ही विक्रेता एवं उससे जुड़े अन्य संबंधित पक्षकारों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्यवाही किए जाने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
वर्तमान में संपदा 2.0 सॉफ़्टवेयर प्रणाली के माध्यम से आधार सत्यापन के बाद ही दस्तावेज पंजीयन की प्रक्रिया संपन्न की जा रही है। इससे भविष्य में इस प्रकार की फर्जीवाड़े की घटनाओं पर रोक लग सकेगी।
जिला पंजीयक ने आमजन से अपील की है कि संपत्ति क्रय-विक्रय करते समय आधार नंबर एवं सभी विवरणों की भलीभांति जांच एवं सत्यापन अवश्य कर लें।