भोपालमध्यप्रदेश

पुस्तक फटी या गुम हुई तो फिर से दूसरी मिलेगी, 20 प्रतिशत अधिक होगी छपाई

पुस्तक फटी या गुम हुई तो फिर से दूसरी मिलेगी, 20 प्रतिशत अधिक होगी छपाई

 

भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष शासन की ओर से निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाती है। कई बार विद्यार्थियों से यह किताबें फट जाती है या गुम जाए तो उन्हें दुबारा दी जाएगी।खासतौर पर अभ्यास पुस्तिका समय से पहले फट जाती है। इससे पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए इस सत्र में स्कूल शिक्षा विभाग अब ऐसी स्थिति होने पर दूसरी पुस्तक निश्शुल्क बच्चों को उपलब्ध कराएगी। इसके लिए इस वर्ष 20 प्रतिशत अधिक पुस्तकें छपवाई जाएंगी।

इस सत्र में फरवरी में ही पूरी पाठ्यपुस्तकें तैयार-:

उल्लेखनीय है कि मप्र पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से पहली से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए वर्तमान में सात करोड़ पाठ्यपुस्तकों की छपाई कराई जाती है। इसमें अब 1.40 करोड़ किताबें अधिक प्रकाशित की जाएंगी। इसके अलावा निगम करीब एक करोड़ फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी (एफएलएन) अभ्यास पुस्तिकाएं और करीब 26 लाख ब्रिज कोर्स की पुस्तकें निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही इस सत्र में फरवरी में ही पूरी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर ली जाएंगी।

एक अप्रैल को ही वितरित कर दी जाएंगी पाठ्यपुस्तकें-:

मप्र पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से इस सत्र में फरवरी में ही सभी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर ली जाएंगी, ताकि एक अप्रैल को स्कूल खुलते ही विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें वितरित कर दी जाए। विद्यार्थियों को किताबें मिलीं या नहीं, इसकी मोबाइल एप से ट्रैकिंग भी की जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग आनलाइन टेक्स्ट बुक वितरण ट्रैकिंग मोबाइल एप से किताबों के स्कूलों तक पहुंचने की ट्रैकिंग की जाएगी।

एप पर विद्यार्थी का नाम दर्ज कराना होगा-:

अगर बच्चों को किताबें दे दी गई है और वह एक-दो महीने बाद ही फट जाती है तो इसकी जानकारी कक्षा शिक्षक को देनी होगी। कक्षा शिक्षक प्राचार्य को सूचित करेंगे और इसकी जानकारी मोबाइल एप के माध्यम से दर्ज करना होगा। इस एप के माध्यम से स्कूल में कक्षा के अनुसार विद्यार्थियों की संख्या दर्ज कर ली जाएगी। फिर से दुबारा विद्यार्थियों को किताबें दी जाएंगी।

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अगले सत्र की अगर किसी बच्चे की पाठ्यपुस्तकें या अभ्यास पुस्तिका फट जाए या गुम जाएगी तो उन्हें दुबारा पाठ्यपुस्तकें दी जाएंगी। इस साल फरवरी में ही किताबें तैयार कर ली जाएंगी।

– डॉ. संजय गोयल, सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

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