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पहली बार जनप्रतिनिधि पर लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई, जावद जनपद अध्यक्ष गोपाल चारण के खिलाफ चालान पेश

पहली बार जनप्रतिनिधि पर लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई, जावद जनपद अध्यक्ष गोपाल चारण के खिलाफ चालान पेश.

 

नीमच। जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जावद जनपद पंचायत अध्यक्ष गोपाल चारण के खिलाफ स्पेशल कोर्ट नीमच में चालान पेश किया है। भाजपा समर्थित चारण को वर्ष 2023 में ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। जांच पूरी होने के बाद अब उनके खिलाफ विशेष अदालत में चालान प्रस्तुत किया गया है। इसके बाद विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू होगी।

ऐसे हुआ था रिश्वत कांड का खुलासा

जावद तहसील के ग्राम खोर के सरपंच बलराम जाट ने लोकायुक्त को शिकायत दी थी कि ग्राम पंचायत खेड़ा राठौड़ में ई-कक्ष भवन निर्माण की स्वीकृत ₹5 लाख की राशि के बदले जनपद अध्यक्ष गोपाल चारण ₹50,000 की रिश्वत मांग रहे हैं। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए 21 मार्च 2023 को निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव की टीम ने ट्रैप योजना बनाई। जैसे ही बलराम जाट ने रिश्वत की रकम चारण को सौंपी, टीम ने उन्हें जनपद कार्यालय में रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

अब तक की कार्रवाई

मामले की जांच पूरी कर गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने स्पेशल कोर्ट नीमच में चालान प्रस्तुत कर दिया। यह नीमच जिले का पहला मामला है जिसमें किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ लोकायुक्त ने चालान पेश किया है।

लोकायुक्त एसपी आनंद यादव ने बताया, “चालान अदालत में पेश कर दिया गया है। विभागीय कार्रवाई के लिए रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा जनपद अध्यक्ष को पद से पृथक करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।

भ्रष्टाचार मामलों में कानूनी प्रक्रिया और संभावित कार्रवाई

भ्रष्टाचार के मामलों में लोकायुक्त पुलिस द्वारा चालान पेश किए जाने के बाद आरोपी जनप्रतिनिधि के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होती है। इसके चरण इस प्रकार हैं:

1. जांच और चालान पेश करना:

लोकायुक्त पुलिस पहले भ्रष्टाचार के आरोपों की विस्तृत जांच करती है। आरोप साबित होने पर विशेष न्यायालय में चालान (अभियोग पत्र) पेश किया जाता है।

2. न्यायालय में मुकदमा:

चालान पेश होने के बाद विशेष न्यायालय शिकायत की जांच करता है और आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है

3. सजा और दंड:

यदि न्यायालय आरोपी जनप्रतिनिधि को दोषी मानता है, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है।

सदस्यता समाप्ति: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम या अन्य प्रावधानों के तहत दोषी पाए जाने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो सकती है, जिससे वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो सकता है।

जेल की सजा: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 13(1)(D) और 13(2)(E) के तहत आरोपी को जेल की सजा हो सकती है।

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