भक्ति में टीक गए तो तर जाओंगे, त्याग की भावना को समझे-पं. शास्त्री

कनावटी में आयोजित कथा के चौथे दिन धार्मिक प्रसंगों से गृहस्थ जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला
नीमच, 21 अगस्त (नप्र)। त्याग की भावना की समझना होगा। भाव और श्रद्धा से अपने शब्दों को प्रेषित करे। क्यों की भगवान के लिए राग कैसी भी हो वो सिर्फ अनुराग देखते है। अर्थ मालूम पड़ जाए तो आनंद की अनुभति अधिक होती है। भक्ति में टिक गए तो तर जाओगे। जीवन मे भागम भाग को छोड़ दीजिए। समय के मामले में इंसान बहुत बड़ा चोर हो गया। पहले से वतमान में बहुत सुविधा आ गई है फिर भी समय नही है। हर चीज में तररकी कर ली लेकिन भगवान के लिए समय नही है।
यह बात पं. भीमाशंकर शास्त्री ने कही। वे कनावटी में समस्त ग्राम वासियों द्वारा श्रेष्ठा पेराडाइस रिसोर्ट में भागवत कथा के चौथे दिन प्रवचन में बोल रहे थे। उन्होंने विभिन्न धार्मिक प्रसंगों के माध्यम से जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने कहा पति सेवा करो यही पत्नी का सबसे बडा धर्म है। क्योंकि इनको प्रश्मेश्वर माना है। महान पतिव्रता बनो। गंगा से पवित्र क्षति नारी को माना गया है। मांग का बहुत महत्व हैं, ये पति की लम्बी उम्र की लिए बनती है। उन्होंने 5 महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद दिया जिन्होंने कथा स्थल पर सबके सामने अपने पति के चरण स्पर्श कर प्रमाण किया और वह रोजाना उसका पालन करेगी। वहीं कथा आदेश करती हैं नारी का सम्मान करना चाहिए। पति के कर्म भी अच्छे होना चाहिए। आज संस्कृति में पत्नी कों बहुत प्रताडना मिलती है। उन्होंने पति-पत्नी में प्रेम बढाने के लिए धार्मिक उपाय भी बताए।
साथ ही कहा कि शांति के बिना भजन करने बैठ गए तो फिर कोई पुण्य प्राप्त नही होगा। जिसका जीवन में गुरु नही तो उसका जीवन शुरू नही। भगवान की छवि देखकर जप करेंगे तो पूरा प्रतिफ़ल प्राप्त करेंगे। कथा रोजाना दोपहर 12.15 बजे से शाम 4 बजे तक हो रही है। जिसे श्रवण करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे है।
किसानों से किया आधुनिक खेती का आव्हान-
पं. शास्त्री ने किसानों से आव्हान किया कि पारम्परिक खेती के बजाए आधुनिक खेती करें उसमें ज्यादा सफलता मिलेगी। किसान अपनी फसल का मूल्य निर्धारण नहीं कर सकते है । इस क्षेत्र में नीमच बहुत आगे है। यहां ओषधि भी बहुत बिकती है। आज का किसान समृद्धि की तरफ बढ़ रहा है।
ऑनलाइन गेम लोग हो रहे बर्बाद-
कथा के दौरान पं. शास्त्री ने कहा कि रूपए की लालच में ऑनलाइन गेम खेलकर कई लोग बर्बाद हो रहे है। आज के अखबारों में इस बारे में जानकारी प्रकाशित हुई है। सरकार ने इसको लेकर अब कड़ी सजा का प्रावधान कर दिया है।
शीशा गलती से रिश्ता गलत फहमी से टूटता-
पं. शास्त्री ने कहा कि शीशा ओर रिश्ता बहुत नाजुक हुआ करते है। शीश गलती और रिश्ता गलत फहमी से टूटता है। उन्होंने नृसिंह मेहता चरित्र का वर्णन भी सुनाया। जिनके लिए भगवात ने 56 करोड़ों का मामेरा भरा था। भगवान का नाम सभी उम्र में लिया जा सकता हैं । राम-राम बोलकर संवाद करें। इससे बहुत पुण्य मिलता है। 2 बार राम का नाम लेने से 108 की पूरी माला जप करने का प्रतिफल प्राप्त होता है।
कथा के माध्यम से कर रहे मंदिर निर्माण का आव्हान-
पं. शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा के माध्यम से वह जगह जगह मंदिर निर्माण करवा रहे है। जिले में भी कई स्थानों के नाम बताए जहां कथा आयोजन के बाद मंदिर का निर्माण हुआ। उनका उदेश्य धर्म का प्रचार पूरे भारतवष में करना है। उन्होंने कहा परिस्थितियो के अनुसार मनो स्थिति बना लेना चाहिए। संकल्प में विकल्प नही ढूढ़ना चाहियें। पूजन में व्यधान नही होना चाहिए। संतान को साधन के बजाए संस्कार जरूर दो । अच्छे कर्म वालें स्वर्ग में जाते है।
उन्होंने घर निमार्ण पर शास्त्र के अनुसार दोष ओर समाधान बताया।
आज होगा भगवान के प्राकट्य का वर्णन-
कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को पं. शास्त्री द्वारा भगवान श्रीकृष्ट के प्राकट्य प्रसंग का वर्णन किया जाएगा। कथा पांडाल को आकर्षक रूप में सजाया जाएगा। साथ ही श्रोताओं से भी माखन मिश्री लाने को कहा है।
संगीतमय भजनों के साथ भक्ति में डूबे श्रद्धालु-
भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में पं. शास्त्री ने कई धार्मिक भजनों की प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु भक्ति भाव में डूब गए। जिसमें बन तितली में उड़ती फिरा किशोरी तेरे बरसाने…,एक पलड़े में पति विराजे दूजे में गिरधारी, आंख खोलकर देख ले बहन किसका पलड़ा भारी है….,
पहले शांति सरोवर में नाहया करो फिर हरी जी ध्यान लगाया करो…
माल परायो भावे रे, पैसा लाग्यो गांठ का तो अब क्यो आवे टे..,हर सांस में हो सुमिरन तेरा, यू बीत जाए जीवन मेरा….,तूने शिव को नहीं मनाया कैसे होंगे पूरण काम…जैसे कई भजन प्रस्तुत किए।



