भगवान राम व माता जानकी का गृहस्थ जीवन पूरी दुनिया के लिए आदर्श बना- पं. खुशीराम महाराज

ग्राम रावटी में चल रही श्री राम कथा का चौथा दिन
सीतामऊ-पाटीदार धर्मशाला रावटी में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा के चौथे दिन पंडित खुशीराम महाराज वृंदावन ने सीता स्वयंवर की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक द्वारा अपनी पुत्री जानकी के स्वयंवर में शर्त रखते हुए कहा कि जो राजा इस शिव धनुष को तोड़ेगा उसके साथ में अपनी पुत्री का विवाह करूंगा,सारे देश एवं विदेश से राजाओं को बुलाया गया,एक के बाद एक राजा उस शिव धनुष को तोड़ने गये पर सारे राजा असफल रहे अंत में जब भगवान राम शिव धनुष को तोड़ने उठे तो वहां उपस्थित राजाओं ने राम की हंसी उड़ाते हुए कहा कि अब यह बच्चा क्या धनुष तोड़ेगा पर भगवान राम ने शिव धनुष को प्रणाम किया वह एक हाथ से शिव धनुष को उठाकर तोड़ दिया सारे राजाओं के मुंह लज्जा से झुक गए जब वरमाला पहनाने का समय आया तो गुरु विश्वामित्र ने कहा कि हे राम सीता को वरमाला पहनाओ इतने में भगवान राम बोले हे गुरुवर एक बार मैं अपने पिता से तो पूछ लूं,इतने में गुरुवर बोले हे राम राजा महाराजाओं में तो अनेक विवाहों का प्रचलन है जब दूसरा विवाह करो तब अपने पिता से पूछ लेना,राम बोले हे गुरुवर में एक पत्नी व्रत का संकल्प लेता हूं मैं अपने जीवन में कभी भी दूसरा विवाह नहीं करूंगा, गुरु बोले क्यों राम,हे गुरुवर मेरे पिता राजा दशरथ ने तीन विवाह किये पहला विवाह माता कौशल्या से किया,लेकिन दूसरा विवाह जब माता कैकई से किया होगा तो निश्चित ही माता कौशल्या को दुख हुआ होगा और जब तीसरा विवाह किया तो माता कौशल्या एवं माता कैकई दोनों को निश्चित ही दुख हुआ होगा इसलिए मैं दूसरा विवाह कभी नहीं करूंगा भगवान राम की बातें सुनकर जनक बहुत ही प्रसन्न हुए और अपनी बाकी तीन पुत्री का विवाह भी राम के तीनों भाई भरत,लक्ष्मण,शत्रुघ्न से करने का निश्चय किया और अपनी चारों पुत्रीयों का विवाह राजा दशरथ के पुत्रों के साथ किया। भगवान राम व माता जानकी का गृहस्थ जीवन पूरी दुनिया के लिए आदर्श बना।
इस अवसर पर उपस्थित माता बहनों ने खूब मंगल गीत गाये और नाची, कथा में उपस्थित सभी राम भक्तों ने भगवान राम विवाह उपलक्ष में हिचावनी की। इस अवसर पर कथा सुनने सभी ग्रामवासी व आसपास के गांव रावटा, कोचरियाखेड़ी, दूधिया,आक्या, साखतली आदि कई गांव के भक्त जन भी कथा सुनने पधारे।