उत्तर प्रदेश निर्मित मदिरा निर्यात में अभूतपूर्व उछाल, वैश्विक पटल पर ‘मेड इन यूपी’ की धूम

उत्तर प्रदेश निर्मित मदिरा निर्यात में अभूतपूर्व उछाल, वैश्विक पटल पर ‘मेड इन यूपी’ की धूम
लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार की दूरदर्शी नीतियों और आबकारी विभाग के अथक प्रयासों से प्रदेश का मदिरा उद्योग अब केवल देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है। सुपीरियर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष अग्रवाल के अनुसार, यह उद्योग अब ‘मेड इन यूपी’ ब्रांड को एक प्रीमियम पहचान दिलाने के लिए तैयार है।हाल ही में लखनऊ में आयोजित प्रथम Excise Investors’ Summit में मदिरा उद्योग ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस समिट में ₹39,479 करोड़ के 135 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें ₹4,320 करोड़ के निवेश प्रस्ताव और 73,524 नए रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। सुपीरियर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के सीएचआरओ एवं कार्पोरेट अफेयर्स डॉ. सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बने अपराध-मुक्त और उद्योग-हितैषी माहौल ने इस औद्योगिक क्रांति को गति दी है।उत्तर प्रदेश की मदिरा उत्पादन क्षमता में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2017-18 में 61 डिस्टिलरी थीं, जिनकी क्षमता 170 बिलियन लीटर थी। वहीं, 2022-23 तक डिस्टिलरी की संख्या बढ़कर 85 हो गई है और क्षमता 348 बिलियन लीटर तक पहुँच गई है, जो कि 15% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है। एक ही वर्ष में 18 नई डिस्टिलरी स्थापित हुई हैं और 20 अन्य निर्माणाधीन हैं।निर्यात के मोर्चे पर भी प्रदेश ने शानदार प्रदर्शन किया है। 2017-18 में जहाँ निर्यात 292.78 मिलियन लीटर था, वहीं 2022-23 में यह 155% बढ़कर 743.53 मिलियन लीटर हो गया है। प्रदेश से देशी और विदेशी मदिरा, जैसे- शोल्डर, रसीली अंगूरी, स्टार गोल्ड, और रॉयल एंटीक प्रीमियम व्हिस्की, सहित अन्य मशहूर उत्पाद 38 देशों में निर्यात किए जा रहे हैं।
2025-26 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य
सरकार और उद्योग जगत ने 2025-26 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इस दौरान निर्यात को 1,000 मिलियन लीटर से अधिक करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, 200-300 बिलियन लीटर की नई क्षमता का समावेश भी किया जाएगा। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ENA शुल्क ₹3 से घटाकर ₹2 प्रति लीटर कर दिया गया है। यूरोप, उत्तर अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे नए बाजारों में प्रवेश की योजनाएं भी बन रही हैं।APEDA और UPDA की संयुक्त पहल से ‘मेड इन यूपी’ ब्रांड को वैश्विक स्तर पर एक प्रीमियम पहचान दिलाने की कवायद शुरू हो गई है। 2030 तक मदिरा निर्यात को US$ 370.5 मिलियन से बढ़ाकर US$ 1 बिलियन तक पहुँचाने का लक्ष्य है। इस पहल में 50 से अधिक सक्रिय निर्यातक कंपनियाँ भाग ले रही हैं, जिससे उत्तर प्रदेश की मदिरा का वैश्विक पटल पर एक नया अध्याय लिखा जाएगा। यह केवल व्यापारिक सफलता नहीं, बल्कि कृषि, रोजगार और निवेश के लिए भी एक अद्वितीय अवसर है।