तहसीलदार संघ का आंदोलन बना महाआंदोलन ,बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष,30 से अधिक विधायकों और कई मंत्रियो से मिले राजस्व अधिकारी

20 से अधिक कर्मचारी संघठनों ने किया राजस्व संघ का समर्थन
संवर्ग विभाजन के मुद्दे पर मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के आह्वान पर चलने वाला प्रदेश के राजस्व अधिकारियो का आंदोलन आज सत्ता के गलियारों और विधायिका के सदस्यों के बीच पहुंचा!मध्यप्रदेश शासन द्वारा तहसीलदार संवर्ग को बिना किसी सूचना, बिना किसी तैयारी, बिना जनमत को जाने, बिलकुल अव्यवहारिक रूप से न्यायिक और गैर न्यायिक 2 वर्गों में विभाजित कर दिया गया है, जिसका संवर्ग के प्रत्येक सदस्य द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है!मुग़लकालीन तहसीलदार पद की तहसील स्तरीय प्रत्येक कार्य को करवाने में महती भूमिका होती है!सरकार की प्रत्येक विभाग की प्रत्येक योजना को लागू करवाने और सफलता पूर्वक संचालित करवाने की जिम्मेदारी तहसीलदार की ही होती है!बाढ़ की विभीषिका, कोरोना का दंश, ओलावृष्टि का प्रकोप, आकस्मिक दुर्घटना, सांप्रदायिक सद्भाव और अतिक्रमण हटाने जैसे कार्यक्रम में सरकार का सबसे जमीनी स्तर का अधिकारी अपने संवर्ग के विभाजन के मुद्दे पर पिछले तीन दिनों से कार्य से विरत है और कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठा है!जिस अधिकारी को कलेक्टर और सरकार विपक्षी दलों और नाराज़ जनता के धरना- प्रदर्शन समाप्त करने के लिए भेजते थे,उसका संवर्ग विभाजन के लिए स्वयं धरने पर बैठना और शासन का इस अतार्किक निर्णय को वापस ना लेना सरकार की नीतिगत विफलता का द्योतक है!तहसीलदार संवर्ग किसानों से सीधा जुडा पद है जो 54 विभागों का कार्य करता है किन्तु सरकार द्वारा राजस्व न्यायालय कम किये जा रहे है और अधिकारियो की संख्या में कमी की जा रही है जिससे संवर्ग आहत है! साथ ही कृषक भी भी परेशानी का सामना कर रहे है!राजस्व के अधिकतर विवाद मौका स्थल के निरिक्षण से सम्बंधित होते है लेकिन उनके निराकरण और स्थल निरीक्षण के लिए अलग अलग अधिकारी होना कृषकों को विचलित कर रहा है!आदेश देने की अधिकारिता के दोहराव के कारण पटवारी संघ और राजस्व निरीक्षक संघ भी सरकार के इस निर्णय के विरोध में है!तहसीलदार सिर्फ राजस्व अधिकारी नहीं है बल्कि विकासखंड स्तर का प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी और विभिन्न विभागों का समन्वयकर्ता अधिकारी भी है!सरकार की यह विभाजनकारी योजना विभिन्न विभागों में समन्वय करने वाले अधिकारी के प्रति संदेह उत्पन्न कर रही है!जिसके कारण 15 से अधिक कर्मचारी संगठन इस नीति के विरोध में राजस्व संघ के साथ खड़े हो गए है!जिन कृषकों और अभिभाषक संघ के नाम पर इस नीति का जन्म हुआ वे स्वयं इस नीति का विरोध कर रहे है!आज पूरे प्रदेश में विभिन्न राजस्व अधिकारियो ने 30 से अधिक विधायकों को इस नीति की खामियों के बारे में अवगत कराया है जिसमे सत्तारुड़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री हेमंत खंडेलवाल भी शामिल है!राजस्व संघ बिना किसी आर्थिक लाभ और अतिरिक्त वेतन के वर्ष में पूरे 365 दिन और 24 घंटे कार्य करने वाला संवर्ग है!शासन के लिए राजस्व मांग की पूर्ति करने वाला और कभी कोई मांग ना रखने वाला शासन का ये संवर्ग सिर्फ सरकार से इस पालिसी को तत्काल वापस लेने की मांग करता है और मांग पूरी होते ही ततक्षण शासन की रीड के रूप में कार्य प्रारम्भ करने का वचन देता है ।