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गुरु कृपा से जीवन शव यात्रा से शिवयात्रा की ओर गति करता है 

गुरु कृपा से जीवन शव यात्रा से शिवयात्रा की ओर गति करता है

हरिद्वार ,(निप्र) 30 जुलाई 2025 महादेव गुरु के रूप में व्यक्त होते है जो गुरु पादुका पर भरोसा करता है  कैलाश को पा जाता है संभु चरित “सुनी सरस् सुहावा भरद्वाज मुनि अति सुख पावा”
“तुम त्रिभुवन गुरु बेद बखाना
आन जीव पाँवर का जाना “
उक्त पंक्तियों के आधार पर प्रवाहित व्यासपीठ से आचार्य श्री रामानुज  महाराज ने कहा कि जिसका पारपाना नामुमकिन है वह है शिवतत्त्व। शिवतत्त्व व्यापक है,
उन्होंने अपने गुरुदेव पूर्व शंकराचार्य श्री  सत्यमित्रानंद गिरी महाराज को स्मरण में लाते हुए बोले कि सद्गुरु स्वयं भी दैहिक शिवलिंग है।
उन्होंने आत्मलिंग, ब्रह्मलिंग, द्रव्यलिंग  आदि की चर्चा को बड़े रोचक शैली से सुनाया। उन्होंने कहा:
शिव अंधकार है तो सूर्य भी, शिव वैभव भी है तो विभूति भी, शिव ज्ञान भी है तो अज्ञान भी, शिव क्रोध भी है तो करुणा भी।
उन्होंने वर्तमान कथा के परिवेश पर तल्ख प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि जहाँ मनोरंजन होना चाहिए, वहाँ मनोरंजन ही होना चाहिए, जहाँ चिंतन होना चाहिए, वहाँ चिंतन ही होना चाहिए।
आचार्य जी इसी संदर्भ में बोले, हमारी वाणी महादेव में एकाकार हो, हमारी श्रुति भी महादेव में एकाकार हो। आचार्य जी ने कथा के आयोजक की सराहना करते हुए कहा कि आपके कारण मुझे मेरे गुरुदेव के आश्रम में शिव के गुणगान गाने का अवसर मिला।
कथा से हमारे अंतःकरण की प्रवृत्ति बदलनी चाहिए। मन का स्थिर होना ब्रह्मलिंग की पूजा है। सन्यासी सहजता में आनंद प्राप्त करता है। गुरु कृपा से जीवन शव यात्रा से शिवयात्रा की ओर गति करता है।
आचार्य जी बार-बार स्मरण करवाए कि यदि मंदिर जाते हो तो महादेव को पा लो, तुच्छ मनोकामना पूर्ति की आशा से मूल्यवान निधि को मत गवाओ।
महादेव गुरु के रूप में व्यक्त होते हैं, जो गुरु पादुका पर भरोसा करता है, कैलाश को पा जाता है। नागपंचमी के अवसर पर विशेष चर्चा आचार्य श्री रामानुज जी महाराज  ने की। इटावा उत्तर प्रदेश के निवासी गुप्ता परिवार के  आयोजन में चल रही शिव पुराण कथा नित्य प्रातः 09 बजे से यूट्यूब पर प्रसारित हो रही है।
|| शिवचरित्र कथा ||
 भारतमाता मंदिर हरिद्वार 

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