सीतामऊ नगर के साथ -साथ क्षेत्र के गांव हल्दुनी भगोर में भी प्राचीन काल से देवालयों होने के साथ तप साधना के केंद्र रहे
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संस्कार दर्शन
सीतामऊ। धर्म एवं शिक्षा के नाम से विख्यात नगरी छोटीकाशी सीतामऊ के ऐतिहासिक धरोहर को देखा जाए तो यहां पर हर गली मोहल्ले में यही नहीं देवालयों के साथ भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरूपों, हनुमान जी सहित अन्य देवी देवताओं के कई घरों में मंदिर देखने को मिलेंगे सैकड़ों की संख्या में सीतामऊ नगर में मंदिर प्राचीन काल समय से विद्यमान है। सीतामऊ नगर ही नहीं अपितु क्षेत्र में भी देवालयों और मंदिरों की बड़ी संख्या में स्थापना हैं। यहां पर भगवान के दर्शन के साथ ही प्रकृति का अद्भुत वातावरण देखने को मिलता है। यहां पर आम जनता ही नहीं बल्कि राजा महाराजाओं तथा ठिकानों के ठाकुरों द्वारा देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना करने के प्रमाण नगर के विभिन्न मंदिरों के साथ-साथ राधा बावड़ी नांदिया बावड़ी गणपति चौक नीलकंठेश्वर महादेव वैद्यनाथ महादेव हंडिया बाग हनुमान जी स्थित महादेव मंदिर, गंगेश्वर कोटेश्वर, एलवी हल्दूनी, भड़केश्वर भृगु ऋषि की तपस्थली भगोर आदि प्रमुख स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा अर्चना के स्थल देखने को मिलते हैं।
ऐसी जनश्रुति एवं चर्चाएं हैं कि भगवान देवाधिदेव महादेव के भक्त यति इतनी तप साधना करते थे कि अपने तब साधना में किसी प्रकार की विघ्न बाधा उनको पसंद नहीं थी इसलिए वे अपने तब स्थल देवालय को एक स्थान से दूसरे स्थान जहां पर निर्विघ्न भक्ति की जा सके उस स्थान पर ले जाकर देवालय तप स्थल को स्थापित कर पुनः भक्ति लीन हो जाते थे। ऐसे मंदिर देवालय सीतामऊ नगर सहित क्षेत्र में कई स्थानों पर देखने को मिल सकेंगे जहां पर सच्चे मन से भक्त अपनी साधना करते हैं तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं समाजसेवी श्री ओम सिंह भाटी ने बताया कि हल्दुनी गांव में बाबा भोलेनाथ का जो स्थान है यह बहुत प्राचीन स्थान है इस स्थान पर हमारे परिवार द्वारा लगातार तीन पीढ़ियों से भोलेनाथ शिव की पूजा अर्चना कि जा रही है। यहां पर बाबा भोलेनाथ शिव परिवार के साथ विराजमान है वहीं मंदिर के बाहर माता शीतला का स्थान और हनुमान जी महाराज विराजमान है।
भगोर निवासी युवा श्री दशरथ सोलंकी जनपद सदस्य श्री राहुल पाटीदार ने बताया कि हमारे सप्तर्षियों में एक ऋषि भृगु ऋषि की तपस्थली भगोर है। यह तप स्थली मालवा कि जीवन दायिनी गंगा चंबल नदी के किनारे प्राकृतिक मनोहरम से परिपूर्ण स्थल में शिव शंकर भोलेनाथ निलकंठेश्वर महादेव के रुप में अंजनी लाल हनुमान जी शिव परिवार के साथ प्राणप्रतिष्ठित है।
नीलकंठेश्वर महादेव पुजारी नागुगीर गोस्वामी पुत्र ने बताया कि प्राचीन समय में महादेव जी कि ज्योर्तिलिंग खंडित मानकर गांव के लोग नदी में प्रवाहित करने गए पर जब नदी से यहां आकर जब गांव के लोग पहुंचे और देखा कि वहीं प्रतिमा ज्योतिर्लिंग पुनः यहां स्थापित मिलीं। तब से भोलेनाथ निलकंठेश्वर महादेव यहां विराजमान हैं।
भगोर में ही गढ़ में स्थित भगवान श्री लक्ष्मी सत्यनारायण एवं भगवान राम जानकी मंदिर के पुजारी गोपाल दास बैरागी ने कहा कि रियासत के समय से ही यहां पर भगवान राम जानकी एवं माता लक्ष्मी सत्यनारायण भगवान के मंदिर है यहां दूर-दूर के लोग दर्शन के लिए आते हैं। यही समीप स्थित गढ़ के पीछे की ओर चंबल नदी के ऊपरी भाग में भृगु ऋषि की तपस्थली तथा एक गुफा है जिसका द्वार हमारे बुजुर्गो के अनुसार महाकाल की नगरी उज्जैन में खुलता था।