मंत्री विजय शाह ने उन पर ऐसी विवादित टिप्पणी की जिसे देखकर हर किसी का खून खौल उठा
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मंत्री विजय शाह ने उन पर ऐसी विवादित टिप्पणी की जिसे देखकर हर किसी का खून खौल उठा
देश की जिस बेटी कर्नल सोफिया पर इस समय पूरा देश नाज कर रहा है। मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने उन पर ऐसी विवादित टिप्पणी की जिसे देखकर हर किसी का खून खौल उठा। विवाद इतना बढ़ा कि जबलपुर हाईकोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को FIR दर्ज करने के निर्देश दे दिए। महिला आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया है। लेकिन डिप्टी सीएम हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार करते रहे
बेटियों का अपमान
भाजपा की राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं। यह न केवल हमारे समाज में महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि राष्ट्र की उन बेटियों का भी अपमान है जो देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।”
अपमानजनक बयानों की कड़ी निंदा की
उन्होंने आगे कहा, “प्रिय कर्नल सोफिया कुरैशी इस राष्ट्र की गौरवशाली बेटी हैं, देश से प्यार करने वाले सभी भारतीयों की बहन है, जिसने साहस और कर्तव्यनिष्ठा से देश की सेवा की है। उनकी मेहनत, समर्पण और नेतृत्व क्षमता का सम्मान करना हम सभी का दायित्व है। कर्नल सोफिया जैसी बहादुर महिलाओं पर पूरा देश गर्व करता है और उनके प्रति ऐसे अपमानजनक बयानों की कड़ी निंदा होनी चाहिए।”
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और नेतृत्व करें
उन्होंने आगे लिखा, “जब सीबीएसई के ताज़ा परिणामों में लड़कियों ने एक बार फिर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम महिलाओं के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण अपनाएं। एक प्रगतिशील राष्ट्र की दिशा में अग्रसर होने के लिए यह आवश्यक है कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और नेतृत्व करें।”
महिलाओं के प्रति सम्मानजनक भाषा अपनाने की अपील
उन्होंने सबसे अपील करते हुए लिखा, “सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के प्रति सम्मानजनक भाषा और दृष्टिकोण अपनाया जाए। महिलाओं की भागीदारी और योगदान को कम करके आंकना न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि देश के विकास में बाधक भी है।”
डिप्टी CM करते रहे HC के आदेश का इंतजार
मंत्री विजय शाह के मामले में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा हाईकोर्ट का इंतजार करते रहे। उन्होंने कहा, “हाईकोर्ट का आदेश देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बिना कोर्ट का आदेश देखे कुछ कहना ठीक नहीं है। आदेश आ जाए फिर देखेंगे।” डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा आज अपने प्रभार वाले जिले जबलपुर प्रवास पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंत्री के विवादित टिप्पणी पर बयान दिया।
मंत्री का मुंह काला करने वाले को 51 हजार देने की घोषणा
इंदौर 2 के वार्ड 20 की महिला पार्षद ने मंत्री विजय शाह का मुंह काला करने वाले को 51000 रुपये देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि जो भी मंत्री का मुंह काला करेगा उसे 51 हजार रुपए दिया जाएगा।
NSUI ने कर्नल सोफिया की फोटो को दूध से नहलाया
मंत्री विजय शाह के बयान के बाद NSUI कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर विरोध किया। मंत्री का पुतला दहन किया गया और कर्नल सोफिया की फोटो को दूध से नहलाया। इस दौरान मंत्री के इस्तीफे की मांग कर जमकर नारेबाजी की।
आपस की लड़ाई में यात्रीयों की जान लोगे क्या …?
उक्त वायरल विडीयो बिती बुधवार रात करीब 8 बजे मंदसोर शहर के मंडी रोड स्टील नगर का बताया जा रहा है। यहां निजी ट्रेवल्स जय श्री व अशोक ट्रेवल्स के बीच रोड़ लाईन की आपसी बात में अशोक ट्रेवल्स द्वारा इस तरह की हरकत की गई जबकी जिस बस का कांच इस तरह बस रिवर्स लगाकर फोड़ा गया उसमें कई यात्री भी सवार थे। गनीमत यह रही की किसी को चोट नहीं आई। मामले मे फरियादी जय श्री बस स्टाप द्वारा अशोक ट्रेवल्स की इस गुंडागर्दी पर YD नगर थाने में FIR भी करवाने की सुचना है। लगातार ट्रेवल्स बसे चर्चा का विषय रहती है, इनको यात्रीयों की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है। अधिकारीगणो को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए और इस घटना सहीत अन्य सभी लापरवाही वाले मामलों पर शिकंजा कसने की जरुरत है, अन्यथा भविष्य में इनकी यह हरकतें लोगों की जान तक ले सकती है।
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मंत्री को सुप्रीम अदालत से भी झटका
मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायधीश ने मंत्री शाह की याचिका को सुनने से ही इंकार कर दिया। साथ ही, उन्हें फटकार लगाते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर हुई एफआईआर पर रोक लगाने तक से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से ये भी स्पष्ट हो गया है कि,मंत्री विजय शाह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना चाहिए। पार्टी से निकाला जाना एक अलग मसला है।
देश और सेना के खिलाफ कुछ भी मंजूर नही
अनजान नंबरों से आने वाले मैसेज, ऑडियो, वीडियो और फोटो को डाउनलोड करने से बचना चाहिए। फोन में एंटी वायरस और सिक्योरिटी एप इंस्टाल करें। धोखाधड़ी की घटना होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
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मन्दसौर शहर में ऐसा क्या हुआ जो ,,, इतने आर टी ओ अधिकारी आए और चले गए पर कोई करवाई नहीं होना बड़ा सवाल है शहर का सबसे अधिक व्यस्त चौराहा है शहर का जो बीपीएल चौराहा के नाम से जाना जाता है
,, *बात वर्तमान अधिकारी की भी की जावे तो भी ,,,,,, मन्दसौर शहर में अशोक ट्रैवल की* *दादागिरी ,पुलिस और प्रशासन जैसे इस के आगे नतमस्तक जो यात्रियों को तो कराता ही है जोखिम भरी यात्रा जिसमें यात्रियों से जादा तो इस की बसों में रहता हैं लगेज़ और तो और सुबह से ही रोड पर रहती है जाम जैसी स्थिति जो इसका रोज का काम है कई वर्ष होंगेये*
इस प्रकार से अशोक ट्रैवल बस संचालक के आगे मन्दसौर जिल प्रशासन वास्तविकता में नतमस्तक है,, आखिर क्या है कारण जो जिला प्रशासन और कलेक्टर महोदया इस के ऊपर करवाही नहीं कर पा रही है और तो और इस के लिए भाजपा के अनिल सारस्वत जैसे व्यक्ति को आगे आना पड़ा मतलब मामला बड़ा और सही,
जिला कलेक्टर महोदया को पूरा मामला संज्ञान में लेकर तुरंत करवाही करना होगी मंदिरों में केवल ब्राह्मण ही पुजारी क्यों? मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में सवाल उठाया गया कि जिन मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है, उनमें पुजारी के रूप में सिर्फ ब्राह्मण वर्ग की नियुक्ति क्यों हो रही है आजाद संगठन ने यह याचिका लगाई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार के कई विभागों से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
सरकार के विधेयक पर अजाक्स ने उठाए सवाल
याचिका में कहा गया है ऐसे मंदिर जो सरकारी जमीन पर बने हैं और राज्य सरकार के अधीन हैं, इन मंदिरों में ब्राह्मण पूजा करते हैं। इन्हें शासन तनख्वाह देता है। मध्य प्रदेश शासन के अध्यात्म विभाग द्वारा 4 अक्टूबर 2018 एवं 4 फरवरी 2019 में मंदिर विधेयक 2019 पास किया गया अजाक्स ने इसी की संवैधानिकता को चुनौती दी है। जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। जनहित याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत तथा विवेक जैन की खंडपीठ द्वारा की गई।
मध्यप्रदेश में सरकार के अधीन साढ़े 3 सौ मंदिर
याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं पुष्पेंद्र शाह ने कोर्ट को बताया मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों तथा अधीनस्थ मंदिरों, भवन तथा अन्य संरचनाओं सहित लगभग 350 से अधिक मंदिरों को अधिसूचित किया गया है। इनमें ब्राह्मण पुजारी काम कर रहे हैं। अधिसूचित मंदिरों को मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य कंट्रोल्ड के अधीन रखा है, जिनमे पुजारियों की नियुक्तियों की पॉलिसी मध्य प्रदेश के अध्यात्म विभाग ने बनाई थी इसके तहत केवल ब्राह्मण को ही पुजारी के पद पर नियुक्ति दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
सभी नागरिकों को समानता का अधिकार का तर्क दिया
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है पुजारी पद पर केवल ब्राह्मणों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 तथा 21 से का उल्लंघन करती है। इसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार देने की बात कही गई है। इसलिए इस पॉलिसी को निरस्त किया जाना चाहिए रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को यह भी बताया हिंदू समुदाय में OBC/SC/ST वर्ग भी शामिल हैं,। फिर हिन्दू संप्रदाय की केवल एक जाति को ही पुजारी नियुक्त किया जाना भारतीय संविधान से असंगत है।
सरकार ने याचिका पर उठाए सवाल
राज्य शासन की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल अभीजीत अवस्थी द्वारा जनहित याचिका पर प्रश्न उठाया गया “याचिकाकर्ता अजाक्स कर्मचारियो का संगठन है, जिसे याचिका दाखिल करने का कानूनी अधिकार नहीं है। इस पर अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया सदियों से मंदिरों मे पूजा-पाठ करने का काम ब्राह्मण ही करता आ रहा है, जिसमे राज्य सरकार का कोई दखल नहीं रहा चूंकि 2019 से राज्य सरकार ने धार्मिक मामलों में दखल देकर सेलरी बेस पुजारी नियुक्त किए जाने का कानून बनाया है, जिसकी जानकारी आम जनता को नहीं है।याचिका पर सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव जीएडी, सामाजिक न्याय मंत्रालय, धार्मिक एवं धर्मस्व मंत्रालय एवं लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया है।
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