धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलासीतामऊ

जिसने उसको पहचान लिया उसका जीवन धन्य हो जाता ,जो बाबा के आश्रम जाता है वह पहचान लेता – ब्रह्माकुमारी कृष्णा दीदी 

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संस्कार दर्शन 

सीतामऊ। जो कथाएं हो रही है वो भगवान को नजदीक ला रही है। यहां हम भगवान को पहचानने आ रहें हैं। जिसने उसको पहचान लिया उसका जीवन धन्य हो जाता है।जो बाबा के आश्रम जाता है वह पहचान लेता हैं।उक्त उद्बोधन ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सीतामऊ सेंटर पर आयोजित महाशिवरात्रि पर्व पर कहें।

कृष्णा दीदी ने कहा कि भगवान को पहचानने के लिए थोड़ा समय निकालना पड़ेगा। जब हम समय निकाल कर यहा आते हैं तो परम पिता परमात्मा यहां नहीं है। वह भी अपने धाम शिव लोक, श्मशान, अमरनाथ, उज्जैन में महाकाल जैसे स्थानों,पर्वत कंदराओं प्रकृति में रहता है। शिव का मुख्य धाम ज्योति बिंदु में है। जैसे हम किसी को बुलाते उन्हें याद करते हैं।तो वें आते हैं वैसे ही हम भगवान को याद करते उन्हें बुलाते हैं तो परमात्मा हमारा साथ देने आ जाता है।

कृष्णा दीदी ने कहा कि हमारा नाम हमारे शरीर के साथ है जब तक आत्मा है, जब शरीर शव हो जाता है उस दिन नाम भी चला जाता है पर उसका नाम अजर अमर है। वह ज्योति बिंदु में विराजमान हैं इसलिए परमात्मा को अजर अमर कहते हैं। जब परमात्मा का तीसरा नेत्र खुलता है तो श्रृष्टि का परिवर्तन होता है। ब्रह्मा जी श्रृष्टि का पुनः निर्माण करते हैं और भगवान विष्णु उस श्रृष्टि का पालन हार होते हैं।

श्रृष्टि का परिवर्तन कब आता है जब इस श्रृष्टि में पापाचार अनाचार दुराचार और अधर्म के मार्ग में मनुष्य चलने लगते हैं और जो भक्त हैं उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। कहा जाता है कि जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं. जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।

कृष्णा दीदी ने कहा कि हम अमुल्य समय को दे कर यहां भगवान कि प्राप्ति के लिए आ रहे हैं। हमें भगवान कि प्राप्ति हो जाती है। तो हम लोक कल्याण के लिए कार्य करते हैं। बाबा के धाम आने से हमारे शरीर में व्याप्त अज्ञान को ज्ञान रुपी तेज का विकास होता है। जिसका ज्ञान का द्वार खुल जाता या वो यहां आने वाले यहां के नहीं होते हैं। वो घर में अपने परिवार के साथ दुसरे परिवार समाज में परमात्मा से जुड़ने में सहयोग कर बाबा के कार्यों में अपनी सहभागिता करते हैं।

कृष्णा दीदी ने कहा कि हम मस्तिष्क में तिलक किसलिए लगाते है। इसलिए लगाते हैं कि यहां आत्मा का वास है। आत्मा में तीन तत्व है मन बुद्धि और संस्कार है और आत्मा का घर पांच तत्वों से है पंच तत्व में निवास करती हैं।

कृष्णा दीदी ने स्वार्थी मनुष्य जीवन को लेकर कहा कि जिस प्रकार बच्चों को खेल खेल में चोट लग जाती माता पिता के मना करने पर भी बच्चे खेलने जाने से नहीं रुकते हैं। ऐसे ही मनुष्य यहां खेल खेल रहा है। चाहें कुछ भी हो जाए पर मोह माया के खेल में लगा रहता है। किसी के जीवन का परिवार वाले, मित्र रिश्तेदार सब उसके धन दौलत को नहीं उसके अच्छाईयों को याद करतें हैं। जिसके जीवन में आनंद नहीं वह नश्वर है। हम अपने घर कि जिम्मेदारी के साथ थोड़ा सा समय निकाल कर बाबा के धाम आ कर अपने जीवन कि सुखी बना सकते हैं।

आयोजन के प्रारंभ में बाबा अमरनाथ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतीकात्मक स्वरूप के सामने ब्रम्हाकुमारी कृष्णा दीदी प्रीति बहिन, राधेश्याम घाटिया मुरली पागानी, सुनीता नवीन पालीवाल राजेंद्र राठौर, महेश सोनी दिनेश सेठिया, संपादक लक्ष्मीनारायण मांदलिया, पत्रकार सुरेश गुप्ता आदि ने दीप प्रज्वलित कर बाबा का ध्यान करते हुए महाशिवरात्रि पर्व का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कुमारी प्रियाशी दर्शना ने शिव भजन पर नृत्य प्रस्तुत किया। आयोजन का संचालन गौरव जैन ने एवं आभार लक्ष्मीनारायण मांदलिया ने व्यक्त किया।

इस दौरान उपस्थित जनों को गौरव जैन ने जीवन चक्र तथा भगवान के विभिन्न स्वरूपों के अवतरण आदि पर चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से हमारे परिवार में खुशियां ला सकते हैं का मेडिटेशन कराया गया। इस अवसर पर यशवंत माली, दशरथ पाटीदार,बाल कृष्ण बैरागी, मोड़ी राम भोई, मोहनलाल चौधरी मुकेश गुप्ता, कविता पांडेय पुजा माहेश्वरी अंबालाल मकवाना, उपस्थित रहे।

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