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मजदूर दिवस 1 मई पर विशेष ..दो जून की रोटी मिल जाए तो मानों सब कुछ मिल गया

आलेख विचार दर्शन

मजदूर दिवस 1 मई पर विशेष ..दो जून की रोटी मिल जाए तो मानों सब कुछ मिल गया

राधेश्याम मारू

-लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार मंदसौर

हमने पिछले वर्ष आज ही के दिन 1 मई को मजदुर दिवस मनाया था और फिर हम आज 1 मई को मजदुर दिवस मना रहे है। आजादी के 78 वें सालो में भले ही देश में बहुत कुछ बदल गया होगा लेकिन मजदूरों के हालात तो आज भी नहीं बदले हैं तो फिर श्रमिक वर्ग किस लिये आज मजदूर दिवस मनाये.?सरकारी कागजो मे, कानुनों मे मजदुरों के काम करने का समय निर्धारित होता है लेकिन नियोक्ता द्वारा 12-12 घंटे लगातार काम करवाया जाता है। ये मजदुरों के ठकेदार बन बेठे, मजदूर यूनियने अपना फर्ज भी निभाती है लेकिन अधिकारों के प्रति अनजान, अनभिज्ञ मजदुर आज मजबुर है। मजदूरों की स्थिति सबसे भयावह होती जा रही है।

मजदूर दिन प्रतिदिन और अधिक गरीब होता जा रहा है। दिन रात रोजी-रोटी के जुगाड़ में जद्दोजहद करने वाले मजदूर को तो दो जून की रोटी मिल जाए तो मानों सब कुछ मिल गया।किसी भी राष्ट्र की प्रगति करने का प्रमुख भार मजदूर वर्ग के कंधों पर ही होता है। मजदूर वर्ग की कड़ी मेहनत के बल पर ही राष्ट्र तरक्की करता है,

लेकिन भारत का श्रमिक वर्ग श्रम कल्याण सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहा है। हमारे देश में मजदूरों का शोषण आज भी जारी है। समय बीतने के साथ मजदूर दिवस को लेकर श्रमिक तबके में अब कोई खास उत्साह नहीं रह गया है। बढ़ती महंगाई और पारिवारिक जिम्मेदारियों ने भी मजदूरों के उत्साह का कम कर दिया है। अब मजदूर दिवस इनके लिए सिर्फ कागजी रस्म बनकर रह गया है।भारत सहित दुनिया के सभी देशों में आज 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उस दिन मजदूरों की भलाई के लिए काम करने व मजदूरों में उनके अधिकारों के प्रति जागृति लाना होता है। मगर आज तक तो कहीं ऐसा हो नहीं पाया है। मजदूर फिर बेचारा मजबूर बनकर रह जाता है। आओ हम आज 1 मई को पुनः मजदूर दिवस मनाते है।

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