तालरतलाम

नदी सूख चुकी है कुछ गड्ढों में बचा पानी खेत पिलाने एवं ईट भट्ठा चलाने वाले कर रहे खाली, दाह संस्कार वाले को पानी कि बनी समस्या, जिम्मेदार मौन

नदी सूख चुकी है कुछ गड्ढों में बचा पानी खेत पिलाने एवं ईट भट्ठा चलाने वाले कर रहे खाली, दाह संस्कार वाले को पानी कि बनी समस्या, जिम्मेदार मौन

ताल ब्यूरो चीफ –शिवशक्ति शर्मा

ताल नगर एवं आसपास के पांच ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शव दाह करने चंबल नदी जाते हैं किंतु चंबल नदी में आसपास के पांच गांव के लोग अंतिम संस्कार करने के लिए शवदाह एवं पश्चात की प्रक्रिया पूरी करने के लिए चंबल नदी पर पानी के लाले पड़ रहे हैं। नदी सूख चुकी है कुछ गड्ढों में थोड़ा बचा खुचा पानी खेती करने वाले खेत पिलाने एवं ईट भट्ठा चलाने वाले विद्युत पम्प लगाकर गड्ढे खाली कर देते हैं परिणाम स्वरूप लोगों को नदी पर पानी ले जाने की भी व्यवस्था करना पड़ती है। सबसे दुखद स्थिति तो तब पैदा हो जाती है कि अंतिम संस्कार करने जाने वाले लोगों को हाथ पैर धोने एवं शव की राख बहाने हेतु पानी के लाले पड़ रहे हैं । यहां तक कि पशु पक्षियों को भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। प्रशासन के कारिंदे आंख कान मूंदे बैठे हैं उन्हें इस समस्या से कोई सरोकार नहीं है। यदि पानी के गड्ढों से विद्युत पम्प हटवा दिए जाएं तो लोगों को कुछ राहत मिल सकती है और पशु पक्षियों भी पानी पीने को मिल सकता है। दुःख तो इस बात का है कि जनप्रतिनिधियों को अपना स्वागत सम्मान कराने से ही फूरसत नहीं है। क्षेत्रीय विधायक व सांसद से तो कोई उम्मीद करना भी बैकार है।

क्या जिला प्रशासन इस विकट समस्या का संज्ञान लेकर उचित व्यवस्था करेंगे जिससे थोड़ा बहुत पानी मुहैया हो सके ओर लोगों को आंशिक राहत मिल सके? क्या तहसीलदार ताल इस संबंध में कुछ उचित कदम उठाएंगे क्या?

बात यह है कि वहां पर दाग संस्कार करने के बाद भी हाथ मुंह धोने के लिए एवं जल अर्पित करने के लिए भी पानी नहीं बचा है

इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोग नदी में अपनी मोटर लगाकर अपने खेत पिलाने के लिए सारा पानी तोड़ देते हैं

यहां तक कहां जाएगी नदी में यह लोग मोटर लगाकर कुछ भी पानी नहीं बचता है मुखबिर पक्षी पशु भी पानी पीने के लाले पड़ रहे हैं

सबसे बड़ी मुसीबत तो यहां तक आ गई है कि अगर हमें अंतिम संस्कार करने के लिए नदी पर जाना पड़े तो अपने साथ पानी ले जाने की व्यवस्था अभी करनी पड़ती है पहले से अगर नदी में लगी ईंट भट्टे वाले और और अधिक कुछ मोटर भी पड़ी हुई है दूसरे लोगों की यह हट जाए तो दाह संस्कार करने के लिए पर्याप्त पानी इकट्ठा हो सकता है और जो अंतिम संस्कार होता है उसके लिए पर्याप्त पानी बच सकता है

जहां चंबल नदी पर पांच गांव के लोगों द्वारा दाह संस्कार किया जाता है वहां से मजहब 1 किलोमीटर दूर ताल तहसील कार्यालय हैं अगर इस बात की ओर तहसीलदार साहब ध्यान दें यह आम लोगों की परेशानी दूर हो सकती हैं।

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