उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ को लेकर संत समाज में आक्रोश

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उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ को लेकर संत समाज में आक्रोश है। नाराज साधु-संतों ने सिंहस्थ के आयोजन को लेकर होने वाली बैठकों के बहिष्कार की धमकी दी है। मामला रविवार-सोमवार को उज्जैन संभाग और सिंहस्थ कार्यों की समीक्षा बैठक से जुड़ा है।
जानकारी के अनुसार रविवार-सोमवार को अपर मुख्य सचिव डॉ.राजेश राजौरा ने उज्जैन संभाग और सिंहस्थ की समीक्षा बैठक ली। जनप्रतिनिधि और संभाग के आला अधिकारी मीटिंग में शामिल हुए थे। प्रशासनिक संकुल भवन सभा कक्ष में दो दिन चली मैराथन बैठक में साधु-संतो को आमंत्रित नहीं किया गया। इस पर संत समाज ने नाराजगी जाहिर करते हुए सिंहस्थ के लिए की जाने वाली बैठकों के बहिष्कार की धमकी दी है।
सिंहस्थ कुम्भ की तैयारियों के लिए प्रशासन के पास दो साल का समय बचा है। ऐसे में अधिकारी अब कुम्भ को लेकर चल रहे कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। समीक्षा बैठक में उज्जैन संभाग के विधायक और जनप्रतिनिधियों को तो बुलाया गया लेकिन संत समाज को आमंत्रित नहीं किया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि अभी तक शासन द्वारा की गई किसी भी बैठक में संत समाज और उनके पदाधिकारियों को नहीं बुलाया गया। जब हम सीएम के पास गए थे, उन्होंने कहा था की जब भी सिंहस्थ को लेकर बैठक होगी तो आपको आमंत्रित किया जाएगा। लेकिन आज तक किसी भी महंत को आमंत्रित नहीं किया, ना हमसे कोई राय ली गई। साधु-संतो को क्या-क्या आवश्यकता है, इसकी जानकारी उनसे पूछकर लेनी चाहिए। क्या अधिकारी घर बैठकर सिंहस्थ कर लेंगे। हमसे कोई राय नहीं लेते हैं ना हमें बुलाते हैं। ये साधु समाज की उपेक्षा है। इसलिए साधु समाज में रोष है और हमने फैसला किया है की हम अब इनका बहिष्कार करेंगे।
अपर मुख्य सचिव डॉ.राजेश राजौरा ने सिंहस्थ निर्माण कार्यों एवं सभी अखाड़ों के पेशवाई मार्गों का स्थल निरीक्षण किया था। इसके साथ ही महाकाल मंदिर, महाराजवाड़ा, मेला क्षेत्र में निर्धारित पुलिस कंट्रोल रूम, मेला क्षेत्र, पार्किंग स्थल आदि क्षेत्रों का निरीक्षण सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ किया था। इस दौरान वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। लेकिन तब भी किसी साधु, संत, महंत या महामंडलेश्वर को नहीं बुलाया
विधायक तेज बहादुर सिंह चौहान, जितेन्द्र पंड्या, महेश परमार, दिनेश जैन बोस, नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार, ओमप्रकाश सकलेचा, मंदसौर के विधायक विपिन जैन, हरदीप सिंह डंग, चंदर सिंह सिसौदिया, आगर-मालवा के विधायक माधव सिंह (मधु गेहलोत), देवास की विधायक गायत्री राजे पंवार, राजेश सोनकर, मनोज चौधरी, आशीष शर्मा, शाजापुर के विधायक अरूण भीमावत, रतलाम के विधायक मथुरालाल डामर, राजेन्द्र पांडे, उज्जैन महापौर मुकेश टटवाल के साथ संभागायुक्त संजय गुप्ता, आईजी उमेश योगा, डीआईजी नवनीत भसीन, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार शर्मा बैठक में उपस्थित रहे। उज्जैन, देवास, मन्दसौर, नीमच, नागदा, शाजापुर के विधायकों को बुलाया, लेकिन उज्जैन के साधु, संत और अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों को भूल गए। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास महाराज सहित अन्य संत इससे नाराज हैं।