समाचार मध्यप्रदेश रतलाम 29 दिसंबर 2024 रविवार

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सरकार निवेश क्षेत्र रतलाम परियोजना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध
रतलाम 28 दिसम्बर 2024/ रतलाम जिले में विकास को गति देने, रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने तथा रतलाम को एक प्रमुख निवेश के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन द्वारा अत्यंत महत्वाकांक्षी निवेश क्षेत्र रतलाम परियोजना प्रारंभ की गई है जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी।
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी संचालक श्री राजेश राठौड़ ने बताया है कि सरकार निवेश क्षेत्र रतलाम परियोजना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। रतलाम निवेश क्षेत्र न केवल क्षेत्र के निवासियों के लिए नए अवसर लेकर आएगा, बल्कि उद्योग और निवेश के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा। उक्त परियोजना न केवल रतलाम के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि राज्य और देश की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
हाल ही में एक पत्र प्रसारित किया जा रहा है जिसमें यह दावा किया गया है कि यह परियोजना रद्द की जा रही है, उक्त दावा पूरी तरह से झूठ और भ्रामक है। इस तरह की अफवाहें केवल जनता को गुमराह करने और परियोजना की छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से फैलाई जा रही है। सभी से अनुरोध किया गया है कि अफवाहों पर ध्यान नहीं दें, परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना प्राथमिकता में है। रतलाम को आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में नई पहचान दी जाएगी।
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जलकर राशि के नियमित भुगतान से ही नलजल योजना का सफल संचालन संधारण संभव
रतलाम 28 दिसम्बर 2024/ जल जीवन मिशन अंतर्गत ग्राम बासिंद्रा के पंचायत भवन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के सदस्य एवं ग्राम पंचों के साथ एक बैठक आयोजित की गई।
इस अवसर पर पीएचई विभाग के जिला जल सलाहकार श्री आनंद व्यास ने नल जल योजना के महत्व को बताते हुए कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु जलकर राशि का नियमित भुगतान हर उपभोक्ता के द्वारा किया जाए। योजना में हुई टूट फुट, बिजली का बिल, नल चालक की तनख्वाह आदि कई खर्च होते हैं इसके लिए जलकर की वसूली बहुत जरूरी है। साथ पानी व्यर्थ ना हो इसके लिए नलों पर टोटिया लगानी चाहिए।
बैठक में उपयंत्री सुश्री शुभा अर्गल, श्री राजेंद्र पाल, श्री जुल्फिकार अली, श्रीमती मथुराबाई मुनिया, श्री भूपेंद्र सिंह चुंडावत, श्री रणछोड़ लाल राठौर, श्री सोहनलाल मेहता, श्री रतनलाल मुनिया, श्रीमती टीमाबाई, श्री दिलीप लबाना, श्रीदेवीसिंह कतीजा, श्री गौतम अमलियार, श्री कोदर डामर आदि उपस्थित थे।
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उर्वरकों की समय रहते उपलब्धता सुनिश्चित की जाएं – मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की प्रदेश में उर्वरक प्रबंधन की समीक्षा
रतलाम 28 दिसम्बर 2024/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यूरिया, डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों की समय रहते उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए गौवंश आधारित जैव उर्वरकों के उपयोग को प्रदेश में प्रोत्साहित किया जाए। कृषक, पारम्परिक अनुभव और स्वयं की पहल पर बड़े पैमाने में जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। यह मिट्टी की गुणवत्ता और धरती की सेहत के लिए भी लाभप्रद है। उपयोग की जा रही जैविक खाद की मात्रा की गणना और दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है। इस आधार पर प्रदेश में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ाने के लिए कृषकों को प्रोत्साहित करने का मॉडल विकसित किया जाए। राज्य की यह पहल अन्य प्रदेशों के लिए भी अनुकरणीय होगी। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए जैविक तथा प्राकृतिक खाद जैसे विकल्प किसानों को उपलब्ध कराए जाएं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में उर्वरक प्रबंधन की समीक्षा के दौरान यह विचार व्यक्त किए। मुख्यमंत्री के समत्व भवन में हुई बैठक में सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग, अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव श्री अशोक बर्णवाल तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। डॉ. यादव ने कहा कि किसानों को फसल चक्र के अनुसार समय रहते उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए उर्वरक वितरण के प्रमुख केन्द्रों पर अग्रिम भंडारण सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए कार्य योजना विकसित करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में फसलों की बुवाई लगभग 97 प्रतिशत है। वर्तमान वर्ष में यूरिया, एन.पी.के.,एस.एस.पी और एम.ओ.पी. उर्वरकों की उपलब्धता गत चार वर्षों में सर्वाधिक है। वर्तमान तक उपलब्ध 35 लाख 68 हजार मीट्रिक टन में से 32 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का वितरण हो चुका है। इसी प्रकार 9 लाख 29 हजार मीट्रिक टन एन.पी.के., 10 लाख 58 हजार मीट्रिक टन एस.एस.पी, 91 हजार मीट्रिक टन एम.ओ.पी. वितरित हो चुका है। इसी प्रकार 10 लाख 82 मीट्रिक टन डीएपी और 20 लाख 11 हजार मीट्रिक टन डीएपी + एन.पी.के. वितरित किया जा चुका है। बैठक में विभिन्न जिलों में माकिस उर्वरक व्यवस्था पर चर्चा हुई तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
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