गरोठमंदसौर जिला

बिना नोटिस हटाया गया सर्वेयर, शामगढ़ में तहसील प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

बिना नोटिस हटाया गया सर्वेयर, शामगढ़ में तहसील प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

 

मन्दसौर- शामगढ- तहसील शामगढ़ में सर्वेयर पद से बिना किसी पूर्व सूचना और बिना कारण बताए हटाने का मामला सामने आया है, जिसने राजस्व अमले और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। यह मामला ग्राम खजूरी पंथ, पटवारी हल्का नंबर 37 से जुड़ा हुआ है।

बिना आदेश, बिना कारण – सर्वेयर को हटाया गया

सर्वेयर संघ तहसील शामगढ़ द्वारा तहसीलदार को सौंपे गए लिखित आवेदन में आरोप लगाया गया है कि ग्राम खजूरी पंथ में कार्यरत सर्वेयर सुनील धाकड़ (DCS) को बिना किसी अग्रिम सूचना, बिना जांच और बिना स्पष्ट कारण सर्वेयर पद से हटा दिया गया।

दो वर्षों से ईमानदारी से कर रहे थे कार्य

आवेदन में उल्लेख किया गया है कि सर्वेयर सुनील धाकड़ पिछले दो वर्षों से गिरदावरी, किसान फार्मर आईडी सहित सभी राजस्व कार्य पूरी ईमानदारी और समयबद्ध तरीके से करते आ रहे थे।

यहां तक कि भुगतान समय पर नहीं मिलने के बावजूद भी उन्होंने कार्य में कोई लापरवाही नहीं बरती।

व्हाट्सएप ग्रुप से जारी हुआ नया आदेश-

मामले को और भी चौंकाने वाला बनाता है यह तथ्य कि हल्का पटवारी द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप में सर्वेयर पद पर नई भर्ती का संदेश जारी कर दिया गया, जबकि पहले से ही ग्राम खजूरी पंथ में 06 सर्वेयर नियुक्त बताए गए हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब आवश्यकता ही नहीं थी, तो नई नियुक्ति क्यों?

पटवारी पर मनमानी के आरोप

आवेदन में हल्का पटवारी पर मनमानी और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सर्वेयर संघ का कहना है कि यह निर्णय नियमों के विरुद्ध और पूरी तरह से एकतरफा है।

तहसीलदार से जांच और पुनः नियुक्ति की मांग

सर्वेयर संघ ने तहसीलदार शामगढ़ से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए ।दोषी पटवारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।सर्वेयर सुनील धाकड़ को पुनः सर्वेयर पद पर बहाल किया जाए।

प्रशासन की चुप्पी, बढ़ता आक्रोश

अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यह मामला धीरे-धीरे तहसील स्तर से जिला स्तर तक तूल पकड़ता नजर आ रहा है।

यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो सर्वेयर संघ आंदोलन का रास्ता भी अपना सकता है।

सवाल यह है –

क्या तहसील शामगढ़ में नियमों से ज्यादा व्यक्तिगत फैसले हावी हो रहे हैं?क्या मेहनती कर्मचारियों को यूं ही हटाया जाएगा?

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