आरोपी संतोष वर्मा ने फर्जी कोर्ट आदेश से ले लिया IAS अवॉर्ड, इफेक्ट जज पर भी

फर्जी कोर्ट आदेश बनाने वाले जज रावत को अग्रिम जमानत
04 साल बाद अग्रिम जमानत, न्यायिक कार्य जारी रहा
आरोपी संतोष वर्मा ने फर्जी कोर्ट आदेश से ले लिया IAS अवॉर्ड, इफेक्ट जज पर भी
हाईकोर्ट ने जज पर कार्यवाही की अनुमति दी
ब्राह्मण लड़की से शादी वाले बयान केस में निलंबित आईएएस संतोष वर्मा पर कोर्ट का फर्जी आदेश प्राप्त करने और बनाने के मामले में थाना एमजी रोड इंदौर में दर्ज अपराध क्रमांक/155/2021 धारा 420, 467, 468, 471, 472, 120बी में आरोपी एडीजे विजेन्द्र सिंह रावत को न्यायाधीश प्रकाश कसेर षष्ठम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दिनांक 05/12/2025 को अग्रिम जमानत दे दी…* प्रकरण दर्ज होने के लगभग 05 साल बाद गिरफ्तारी के भय से अग्रिम जमानत ली गई, जो दे दी गई है….
फर्जी फैसला कांड में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। आरक्षण को लेकर ब्राह्मण बेटियों पर विवादित टिप्पणी करने वाले IAS संतोष वर्मा को राहत देने वाले तत्कालीन स्पेशल जज विजेंद्रसिंह रावत अब खुद कानूनी शिकंजे में आ गए हैं। चार साल से जांच के दायरे में रहे रावत ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर दी है, जबकि पुलिस ने उनकी जमानत का जोरदार विरोध करने की तैयारी कर ली है।रावत 20 दिन पहले ही निलंबित हुए हैं, वहीं संतोष वर्मा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं। पुलिस शुरुआत से ही रावत को इस पूरे फर्जी फैसला कांड का मुख्य संदेही मानती रही है।
आईएएस संतोष वर्मा का विवादों से पुराना नाता है, वर्मा ने प्रमोशन के लिए फर्जी साइन कर दस्तावेज बनाए थे जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।साल 2021 में आईएएस पद पर प्रमोशन के लिए उन्होंने दो जाली दस्तावेज तैयार कर इंदौर कोर्ट में लगाए थे. एक दस्तावेज में बरी होने और दूसरे में दोनों पक्षों के बीच समझौते की बात कही गई थी. जिस जज का नाम इस्तेमाल किया गया था, उन्होंने ही एमजी रोड थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी.
बचने के लिए जज ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, आरोपी बना दिए गए
एमजी रोड पुलिस ने फर्जी जजमेंट बनाने को लेकर गंभीर धाराओं में FIR दर्ज कर IAS संतोष वर्मा को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद संतोष वर्मा को जेल भेज दिया गया था। जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर और हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने संतोष वर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद संतोष वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत ले ली।
2021 में दर्ज हुई थी FIR इंदौर के लसुड़िया थाने में 2021 में दर्ज FIR के अनुसार संतोष वर्मा पर अदालत के दो आदेशों की फर्जी प्रतियां तैयार कर उनका उपयोग करने के गंभीर आरोप हैं। इस मामले में संतोष वर्मा जमानत पर हैं। इस मामले में तत्कालीन न्यायिक अधिकारी की शिकायत पर उनके खिलाफ 120-बी, 420, 467, 468 और 471 सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था।
विजेंद्र रावत को मिला अग्रिम जमानत का लाभ इधर,शुक्रवार (5 दिसंबर) को इंदौर के सत्र न्यायाधीश प्रकाश कसेर ने एसीपी विनोद दीक्षित की जांच रिपोर्ट में आरोपी बनाए गए तत्कालीन न्यायाधीश और निलंबित एडीजे विजेंद्र रावत को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान कर दिया है।
जिला लोक अभियोजक अभिजीत सिंह राठौर ने बताया-फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दर्ज शिकायत पर चल रही जांच में फर्जी दस्तावेज बनाने की शिकायत करने वाले तत्कालीन न्यायाधीश विजेंद्र रावत को ही आरोपी बनाया गया था।
दोनों की मोबाइल लोकेशन पाई गई पुलिस की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि पांच और छह अक्टूबर को जिन कूट रचित फर्जी दस्तावेज़ों को तैयार किया गया, उस दौरान संतोष वर्मा और विजेंद्र रावत की मोबाइल लोकेशन स्थानीय जिला कोर्ट परिसर और शहर की रेजीडेंसी कोठी क्षेत्र में पाई गई थी। वहीं जिस कम्प्यूटर पर यह दस्तावेज टाइप किए गए थे उसकी हार्ड डिस्क भी पुलिस पहले ही जब्त कर चुकी है।



