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अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर मंदसौर में संस्मरण गोष्ठी संपन्न

विचारों रचनाओं व संस्कृति के आदान-प्रदान का कुंभ, स्नान के लिए जुटे देशभर के साहित्य साधक

मन्दसौर। भारतीय भाषाओं के देशव्यापी संगठन अखिल भारतीय साहित्य परिषद का 17 वां राष्ट्रीय अधिवेशन मध्य प्रदेश के रीवा में संपन्न हुआ। तीन दिवसीय अधिवेशन का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा किया गया इस दौरान मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला भी मौजूद रहे देशभर से आए आए 1200 से अधिक साहित्य साधकों ने कार्यक्रम में भाग लिया साहित्य परिषद मंदसौर इकाई के अध्यक्ष नरेंद्र भावसार सचिव नंदकिशोर राठौर इंजीनियर दिलीप जोशी तथा श्रीमती चंद्रकला सिंह ने उक्त अधिवेशन में भाग लिया।
साहित्य परिषद मंदसौर इकाई द्वारा अधिवेशन संस्मरण गोष्ठी का आयोजन अजय डांगी, चंदा डांगी, सुधा कुर्मी, राजकुमार अग्रवाल, मनीष कनोदिया, नरेंद्र त्रिवेदी, वंदना त्रिवेदी, नरेंद्र सिंह राणावत, की उपस्थिति में किया गया। गोष्टी को संबोधित करते हुए इकाई के अध्यक्ष नरेंद्र भावसार ने कहा की भारतीय साहित्य में वैदिक काल की बहुत प्रभुता रही है  वेद और वेदांशो से लिए हुए ज्ञान को साहित्य के द्वारा जनमानस तक पहुंचाना साहित्यकार का कर्तव्य है।
सचिव नंदकिशोर राठौर ने कहा की भारत की सांस्कृतिक सभ्यता और त्यौहार कुटुंब की वजह से बचा हुआ था परंतु आज के युवा कुटुंब से परिवार, परिवार से हम और हम से मैं हो चुके हैं जबकि हमारी भारतीय संस्कृति में कुटुंब, परिवार एवं समाज के लिए समय व उचित स्थान निर्धारित होना चाहिए। इंजीनियर दिलीप कुमार जोशी ने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में जल का संकट है पानी बचाने के लिए ना तो कोई साहित्य है ना कोई किताब है। दुनिया में जनसंख्या बढ़ रही है और पानी घट रहा है।
श्रीमती चंद्रकला सिंह ने कहा कि गांव से युवा पीढ़ी के पलायन की वजह से शहरों की व्यवस्था चरमरा गई है। आपने कहा कि गांव में रोजगार की व्यवस्था कर रिवर्स माइग्रेंट के प्रयासों की आवश्यकता है।

डॉ. उर्मिला सिंह तोमर ने कहा कि साहित्यकार समाज को दशा और दिशा दे सकता है साहित्यकारों के प्रयास सदैव सकारात्मक होना चाहिए साहित्य के माध्यम से जो नेगेटिव नेरेटीव देश में गढ़े जा रहे हैं उसका प्रतिकार करना होगा एवं सकारात्मक सोच के साथ साथ समाज के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत किया जाना चाहिए यह एक सच्चे साहित्यकार का कर्तव्य है। इस अवसर पर श्रीमती चंद्रकला सिंह का सम्मान भी किया गया एवं आभार अजय डांगी ने व्यक्त किया।

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