स्वास्थ्यमंदसौरमध्यप्रदेश

निमोनिया: इसे पहचानें, इसके लक्षण और उपाय

स्वास्थ्य दर्शन

निमोनिया: इसे पहचानें, इसके लक्षण और उपाय

-लेखक डॉ. अभिजीत जैन मंदसौर

निमोनिया फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है। इसमें एक या दोनों फेफड़ों की हवा की थैलियाँ (एल्वियोली) सूज जाती हैं और उनमें तरल या मवाद भर जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को खांसी (बलगम वाली या सूखी), बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं।यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है।बैक्टीरियल और वायरल निमोनिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है (संक्रामक होता है), जबकि फंगल निमोनिया आमतौर पर संक्रामक नहीं होता।

निमोनिया के मुख्य लक्षण- निमोनिया के लक्षण व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और संक्रमण के कारण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में तेज सांस चलना, घरघराहट, सुस्ती या चिड़चिड़ापन दिख सकता है।

सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:- बुखार, पसीना और कंपकंपी वाली ठंड लगना, खांसी (जिसमें बलगम हो भी सकता है और नहीं भी), सांस लेने में कठिनाई या तेज सांस चलना, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द, मतली या उल्टी (विशेषकर बच्चों में, भ्रम की स्थिति (विशेषकर बुजुर्गों में)

गंभीर मामलों में निमोनिया जानलेवा भी हो सकता है।

किन्हें है ज़्यादा ख़तरा? (जोखिम कारक) निमोनिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इसका खतरा अधिक होता है:-छोटे बच्चे: 2 साल से कम उम्र के बच्चे।बुजुर्ग: 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्क।धूम्रपान करने वाले: धूम्रपान फेफड़ों को कमजोर करता है।

पुरानी बीमारियों वाले: अस्थमा, सीओपीडी, या हृदय रोग के मरीज। कमजोर प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) वाले: जो लोग HIV/AIDS, कीमोथेरेपी, अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) या स्टेरॉयड जैसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं।अस्पताल में भर्ती मरीज: विशेष रूप से जो वेंटिलेटर पर हैं।

निमोनिया के कारण और प्रकार

मुख्य कारण:-1. बैक्टीरियल: यह सबसे आम है, जैसे स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया। अन्य बैक्टीरिया में माइकोप्लाज्मा, हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा आदि शामिल हैं।2. वायरल: इन्फ्लूएंजा (फ्लू), RSV, कोरोनावायरस, राइनोवायरस (सामान्य सर्दी), खसरा और चिकनपॉक्स के वायरस।3. फंगल: यह आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर होती है (जैसे न्यूमोसिस्टिस, क्रिप्टोकोकस)।

निमोनिया के प्रकार:– समुदाय- अधिग्रहित (CAP): यह अस्पताल के बाहर, सामान्य समुदाय में होने वाला संक्रमण है।

अस्पताल-अधिग्रहित (HAP): यह अस्पताल में भर्ती होने के दौरान या बाद में होता है, जो अधिक खतरनाक हो सकता है।

वेंटिलेटर से जुड़ा (VAP):- यह उन मरीजों को होता है जो सांस लेने के लिए वेंटिलेटर मशीन पर होते है।

एस्पिरेशन निमोनिया: यह तब होता है जब भोजन, पानी, लार या उल्टी फेफड़ों में चली जाती है। यह अक्सर निगलने में कठिनाई या बेहोशी की स्थिति में होता है।

फेफड़ों के प्रभावित हिस्से के अनुसार इसे ब्रोंकोपमोनिया (दोनों फेफड़ों के हिस्सों को प्रभावित करना) या लोबार निमोनिया (फेफड़े के एक या अधिक लोब को प्रभावित करना) में बांटा जा सकता है।

डॉक्टर लक्षणों के आधार पर निमोनिया का संदेह करते हैं। पुष्टि के लिए वे क्लिनिकल जांच, छाती का एक्स-रे या सीटी स्कैन कर सकते हैं। संक्रमण का कारण जानने के लिए रक्त (Blood Culture, CBC) या बलगम (थूक संवर्धन) की जांच की जा सकती है। टीबी की जांच के लिए AFB स्मीयर/कल्चर भी किया जा सकता है।

इलाज निमोनिया के कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है:-

एंटीबायोटिक्स: बैक्टीरियल निमोनिया के इलाज के लिए इनका उपयोग किया जाता है।

ज्वरनाशक/दर्द निवारक: बुखार और दर्द को कम करने के लिए।खांसी की दवा: डॉक्टर की सलाह के अनुसार

सहायक देखभाल: भरपूर आराम करना, खूब तरल पदार्थ पीना और दवाओं का कोर्स पूरा करना।

गंभीर मामलों में (जैसे बुजुर्ग, तेज सांस, भ्रम, या सांस की तकलीफ) अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। 2 महीने से कम उम्र के बच्चों, तेज बुखार या निर्जलीकरण (Dehydration) वाले बच्चों को भी भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।

निमोनिया से बचाव के उपाय

रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है।

1. टीकाकरण (Vaccination):- न्यूमोकोकल टीके (PPSV23, PCV13), हिब (Hib), इन्फ्लूएंजा (फ्लू शॉट), चिकनपॉक्स और MMR (खसरा) के टीके निमोनिया से बचाने में मदद करते हैं।

2. साफ-सफाई:– नियमित रूप से हाथ धोना।छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढंकना। बिना हाथ धोए चेहरे को न छूना।बीमार लोगों से दूरी बनाए रखना।

3.धूम्रपान बंद करें: -धूम्रपान फेफड़ों की रक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है, जिससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

भारत सरकार का ‘सांस’ (SAANS) अभियान- भारत सरकार ने निमोनिया से लड़ने के लिए नवंबर 2019 में ‘SAANS’ (सांस) अभियान शुरू किया है। इसका पूरा नाम “सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन्स टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुली” है।

मुख्य उद्देश्य:-इस अभियान का मुख्य लक्ष्य 2025 तक निमोनिया के कारण होने वाली बाल मृत्यु दर को घटाकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 3 से कम करना है। साथ ही, इसका उद्देश्य निमोनिया की रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के बारे में माता-पिता और देखभाल करने वालों को जागरूक करना है।

प्रमुख रणनीतियाँ:-इसकी रणनीति में उपचार के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश देना, स्वास्थ्य कर्मियों (आशा, एएनएम, डॉक्टर) को प्रशिक्षित करना और परिवारों में जागरूकता फैलाना शामिल है।

मुख्य कार्य:- इसके तहत, स्वास्थ्य केंद्रों को पल्स ऑक्सीमीटर (ऑक्सीजन लेवल जांचने की मशीन) जैसे उपकरणों से लैस किया जा रहा है। टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV) को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, आशा कार्यकर्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे निमोनिया से पीड़ित बच्चों को अस्पताल ले जाने से पहले एंटीबायोटिक एमोक्सीसिलिन (Amoxicillin) की एक खुराक दे सकें।मंदसौर में इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुरेश सोलंकी हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon
Whatsapp
ज्वॉइन करें
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}