भ्रष्टाचार किस हद तक बढ़ चुका है कल ही नहीं हर रोज ऐसे मामले..!!
भ्रष्टाचार किस हद तक बढ़ चुका है कल ही नहीं हर रोज ऐसे मामले..!!
बिना लेन-देन के काम करा पाना संभव नहीं..!!
हमने भ्रष्टाचार को एक तरह से आत्मसात..!!
कल अलग-अलग जिलो में अलग-अलग विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों को एंटी करप्शन टीम ने भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार किया है इससे यह साबित होता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक बढ़ चुका है कल ही नहीं हर रोज ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जो हमें सबसे पहले सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्राप्त होते हैं लेकिन देखा जाएं तो किसी भी समाज में भ्रष्टाचार उस दीमक की तरह है जो भीतर ही भीतर खमोशी से उसकी जड़ों को खोखला कर देता है और अगर जड़ ही खोखली हो जाएं तो समाज किसके सहारे खड़ा होगा! इस दीमक से हमारे देश की जड़ें भी खोखली हो रही हैं!कोई विभाग भी इससे अछूता नहीं है! सरकारी विभागों में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने तक के लिए रिश्वत देनी पड़ती है तो सार्वजनिक हित के लिए बनने वाली योजनाओं पर नेताओं और अधिकारियों की नजर होती है!सैकड़ों में गिने जाने वाले घोटाले अब करोड़ों और अरबों में तब्दील हो गए हैं!जनता की गाढ़ी कमाई का जो पैसा देश के विकास पर खर्च होना चाहिए, वह नेताओं और विभागों कर कर्मचारियों व अधिकारियों के लॉकरों में पहुंच जाता है!नजरिया बदल चुका है, किसी हद तक हम भ्रष्टाचार को स्वीकार भी कर चुके हैं!बहुत से उदाहरणों में गड़बड़ियों को हम यह कह कर टाल देते हैं कि इतना तो चलता ही है!हम अपनी सहूलियत के हिसाब से भ्रष्टाचार के मानक तय कर लेते हैं, अपने आराम के लिए इसे बढ़ावा भी देते हैं! बात जब बड़े स्तर की होती है तो बड़ी योजनाओं में शामिल लोग अपने स्तर पर यही करते हैं और मौकापरस्त बन जाते हैं!सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ भले कितने अभियान चला ले, लेकिन इसे जड़ से खत्म कर पाना बहुत ही दुष्कर काम है! ऐसा इसलिए है कि हमने भ्रष्टाचार को एक तरह से आत्मसात कर लिया है और मान बैठे हैं कि यह हमारे समाज, प्रशासन और सरकारों का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।लोगों को संपत्ति और भूमि संबंधी कामों के लिए घूस,इसी तरह नगर निगम, बिजली विभाग, जल विभाग, आरटीओ दफ्तर और अस्पताल ऐसे ठिकाने हैं जहां बिना लेन-देन के काम करा पाना संभव नहीं है और इन महकमों से आमजन का सीधा सबका सामना करना पड़ता है!इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में निचले स्तर पर किस कदर भ्रष्टाचार पसरा है और लोग पैसे देकर काम कराने को मजबूर होते हैं!कहने को ज्यादातर सेवाएं आनलाइन कर दी गई हैं और इसका मकसद भी यह है कि लोगों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सके। लेकिन व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं हो पा रहा है!भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सरकार को तो अपने स्तर पर कड़े कदम उठाने ही होंगे, साथ ही समाज को भी जागरूक बनने की जरूरत है।



