नीमचमध्यप्रदेश

समाचार मध्यप्रदेश नीमच 26 अक्टूबर 2025 रविवार

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आजीविका मिशन से जुड़कर आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बन रही है नीमच जिले की महिलाएं

दाल एवं अनाज ग्रेडिंग ईकाई स्‍थापित कर,

प्रतिमाह 32 हजार रूपये कमा रही है ग्राम बनी की माया मालवीय

नीमच 25 अक्‍टूबर 2025, प्रदेश के नीमच जिले की महिलाएं आजीविका मिशन से जुड़कर आर्थिक एवं स्‍वरोजगार गतिविधियों का संचालन कर, आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बन रही है। ऐसी ही एक महिला है, मनासा जनपद की ग्राम पंचायत बनी की जय भवानी स्‍व सहायता समूह की श्रीमती माया पति रघुनन्‍दन मालवीय । माया ने 2018 में गांव की महिलाओं को संगठित कर, स्‍व सहायता समूह का गठन किया और 26 दिसम्‍बर 2018 को स्‍व सहायता समूह को बैंक ऋण मिला। रिवाल्विंग फण्‍ड की 10 हजार रूपये की राशि, सीआईएफ की 20 हजार रूपये की राशि तथा कुल 81 हजार रूपये का ऋण प्राप्‍त कर कृषि, पशुपालन तथा दाल, अनाज की ग्रेडिंग ईकाई स्‍थापित की। माया ने पीएफएफई योजना, आयुष्‍मान भारत योजना, लाड़ली बहना योजना का लाभ भी प्राप्‍त किया है।

आजीविका मिशन से जुड़कर, माया ने वर्ष 2023 में अपनी स्‍वयं की दाल एवं अनाज ग्रेडिंग ईकाई स्‍थापित की है। इससे माया को प्रतिदिन 1100 रूपये की आय हो रही है। माया अपने गांव बनी में दालों की ग्रेडिंग एवं अनाज की ग्रेडिंग का कार्य कर रही है। साथ ही वह कृषि कार्य में भी परिवार को सहयोग कर रही है। आजीविका मिशन से जुड़कर माया मालवीय आज आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गई है। वे अपने गांव की अन्‍य महिलाओं को भी आजीविका गतिविधियों से जुड़कर स्‍वरोजगार गतिविधियां प्रारंभ करने के लिए प्रेरित कर रही है। स्‍व सहायता समुह से जुड़ने से पूर्व माया एवं उसके परिवार की मासिक आय 18790 रूपये थी, जो अब बढ़कर 32 हजार रूपये मासिक हो गई है।

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स्वच्छता, साहित्य और संस्कृति का समन्वय – कृति की कार्तिक काव्य गोष्ठी एवं दीपावली मिलन में गूंजे काव्य स्वर


नीमच। स्वच्छता विकास अभियान संस्था के स्थापना दिवस के अवसर पर, क्षेत्र की अग्रणी साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था कृति के आह्वान पर कार्तिक काव्य गोष्ठी एवं दीपावली मिलन समारोह का आयोजन गायत्री मंदिर परिसर में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती रेणुका व्यास की सरस्वती वंदना “मैहर वाली मैहर कीजे, चरणों में जगह दीजे, कहीं राह भटक न जाऊं, घना अंधेरा छाए, अंतर ज्योति जगा दीजे” से हुआ। उनकी वाणी ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
इसके बाद वरिष्ठ कवि अख्तर अली शाह ‘अनंत’ ने अपनी रचना प्रस्तुत की – “फकत कहने को बाकी है हमारे हाथ, अंकुश कहाँ चलती हमारी बात अब घर में।”
कवि सलीम भाई ने हिंदी भाषा की महिमा को स्वर दिया -“हमारी आन है हिंदी, हमारी शान है हिंदी, हमारे दिल की धड़कन, हमारी जान है हिंदी।”
श्रीमती मंजुला धीर की रचना ने संस्था कृति के विकास और समर्पण को रेखांकित किया- “एक नदी सी बहती रही कृति, उतार-चढ़ाव झेलती रही कृति, मिल साथ हमने रोपी थी लता, मधु मालती सी फैलती रहे कृति। रेणुका, उर्मिला, निर्मला, माधुरी, साधना, अर्चना, मीना सभी सदस्यों के त्याग से फले-फूले कृति।”
श्रीमती वंदना नातेश्वरी ने दीपावली की पावनता और आनंद को भावनात्मक शब्दों में पिरोया – “तुम अगर हो साथ तो दीपावली, नेहा की बात हो तो दीपावली। मेरा सुख भी आपको सपना लगे, ऐसी है सौगात तो दीपावली।”
वरिष्ठ कवि निरंजन गुप्ता ‘राही’ की रचना में विचारों की गहराई थी – “जो हो गया पूरा नहीं वादा रहा, जो हो गए तामीर नहीं ख्वाब रहे, मैं कलम से मुकम्मल मांगता हूं यह दुआ, एक शरारा सोच का रोशन रहे।”
कवि दिलीप दुबे ने अपनी रचना में जीवन की पीड़ा और मुस्कान के द्वंद्व को संवेदनशीलता से व्यक्त किया – “मैं रोशनी से कई ज़ख्म खाए बैठा हूँ, अंधेरों से घर सजाए बैठा हूँ। हंसी जहां के लिए लबों पर सजाए बैठा हूँ, पलकों में आशिक सभी से छुपाए बैठा हूँ।”
कवि किशोर जेवरिया की पंक्तियाँ आत्ममंथन की गहराई लिए थीं – “कभी-कभी अल्फ़ाज़ भी रूह जाते हैं, मतलब हो तो बेगाने भी साथ आते हैं। मीठी-मीठी बातों से बहक न जाना, लोग मीठे में ज़हर भी बेच जाते हैं। आती-जाती सांसों से ज़िंदा न समझो, मरे हुए लोग ज़िंदा नज़र आते हैं।”
कवयित्री आशा सांभर ने राष्ट्रप्रेम की भावना को प्रकट करते हुए कहा – “तुम्हारा नाम के मंदिर नहीं बने हैं, कभी न मस्जिद को सजदा किया है कभी। वही रुतबा ज़मीन-ए-हिंद ने दिया है, जहां भी प्यार से थपकी दी मां भारती ने।”
डॉ. प्रेरणा ठाकरे ने नारी की शक्ति और आत्मगौरव को रेखांकित करते हुए कहा – “मेरे केवल होने से घर भी घर हो जाता है, मैं भारत की बेटी हूँ, हर जंग जीतना आता है। मैं सृष्टि की व्यास पीठ पर रचना धर्म निभाती हूँ, सीता बनकर स्वाभिमान की हर सीढ़ी चढ़ जाती हूँ।”
वरिष्ठ साहित्यकार राधेश्याम शर्मा एवं कवयित्री महक शर्मा ने भी अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को समृद्ध किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैलाश अहीर (ट्रस्टी, गायत्री मंदिर) एवं इंजी. बाबूलाल गौड़ (अध्यक्ष, स्वच्छता विकास अभियान संस्था) कृति अध्यक्ष डॉ. अक्षय राजपुरोहित और सचिव कमलेश कुमार जायसवाल मंचासीन थे।
स्वच्छता विकास अभियान संस्था के अध्यक्ष इंजी. बाबूलाल गौड़ ने अपने उद्बोधन में संस्था के 11 वर्षों के कार्यों की झलक प्रस्तुत करते हुए बताया कि अभी तक हम 800 दिन काम कर चुके हैं तथा 2014 से निरंतर यह अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि “जब तक समाज के जागरूक नागरिक स्वयं आगे नहीं आएंगे, तब तक कोई भी सरकारी उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सकता।”
इस अवसर पर स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले स्वच्छता योद्धाओं रमेश मोरे, रंजन स्वामी और कमल कुमार शर्मा को कृति संस्था द्वारा उपर्णा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
स्वागत उद्बोधन में कृति अध्यक्ष डॉ. अक्षय राजपुरोहित ने कहा “आज जब हम स्वच्छता, संस्कृति और साहित्य का संगम एक ही मंच पर देख रहे हैं, तो यह केवल काव्य का उत्सव नहीं, बल्कि स्वच्छ भारत, सृजनशील भारत और संवेदनशील भारत का प्रतीक है। दीपावली के दीप केवल घरों में नहीं, हमारे विचारों और आचरण में भी जलें।”
कार्यक्रम में कृति संस्था के पूर्व अध्यक्ष एवं साहित्यकार ओमप्रकाश चौधरी का चार धाम यात्रा सकुशल संपन्न करने पर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर कृति संस्था के योगेश पाटीदार, प्रकाश भट्ट, शैलेंद्र पौडवाल, डॉ. पृथ्वी सिंह वर्मा, राधेश्याम पाटीदार, सत्येंद्र सिंह राठौड़, डॉ. साधना सेवक, उमराव सिंह गुर्जर, मीनू लालवानी, स्वच्छता योद्धा किशोर कुमार कणिक, डॉ.महेश शर्मा के साथ ही गायत्री परिवार के सदस्य एवं नगर के साहित्य प्रेमी और स्वच्छता विकास अभियान संस्था के सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंजुला धीर एवं अंत में कृति सचिव कमलेश कुमार जायसवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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